वेल प्लेड शिवराज

 
गौरव चतुर्वेदी/खबर नेशन/Khabar Nation

पिछले 18 सालों में हमेशा शिवराज की कमजोरी को लेकर मैंने बहुत सारी स्टोरियां लिखी होगी लेकिन शिवराज ने जाते-जाते मन मोह लिया। खासकर उन डेढ़ सालों में जब भाजपा विपक्ष में थी और पिछले 6 महीना में जब शिवराज अपनों से जूझ रहे थे। विरोधियों से लड़कर और अपनों का साथ पाकर कोई भी सफलता का इतिहास रच देता है लेकिन जब अपने ही विरोधी बन जाते हैं , उस वक्त बड़ी सफलता प्राप्त कर लेना कम ही नजर आता है। इसका एक उदाहरण मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कहा जा सकता है। 
मुख्यमंत्री पर नई-नई ताजपोशी के साथ अगर भारतीय जनता पार्टी नई पीढ़ी के प्रवेश की कहानी लिख रही है।  तब यह भी सच है कि मध्य प्रदेश को लंबे समय बाद राजनेता के साथ-साथ एक राजनीतिज्ञ भी मिला है । यह सब उन स्थितियों के आधार पर कह रहा हूं जो पिछले 6 महीने में शिवराज सिंह चौहान ने झेली हैं। जब भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व शिवराज के खिलाफ खड़ा दिखाई दे रहे था तब लाडली बहन जैसी योजना का स्ट्रोक खेल कर भाजपा को एक बड़ी जीत का आधार दिया। उस वक्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के आंतरिक सर्वे में सिर्फ 70 सीट जीतने की आशंका व्यक्त की जा रही थी। हालांकि चुनाव आते-आते हालत में सुधार के बाद भाजपा की 163 सीटों पर लंबे मार्जिन के साथ जीत की बड़ी सफलता में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अहम योगदान है । जिसने बंपर बहुमत भाजपा की झोली में गिरवा डाला।
 इसे नई कहानी की शुरुआत भी कह सकते हैं । अब निगाहें मध्य प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री मोहन यादव के परफॉर्मेंस के साथ-साथ पूर्व होने जा रहे मुख्यमंत्री शिवराज के आने वाले कदमों पर भी टिकी है।  अगर शिवराज बिना हताश हुए अपने वजूद को बनाए रखने में सफल रहे तो शिवराज भाजपा में एक नए मुकाम पर नए राजनेता के तौर पर स्थापित हो जाएंगे।

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