विष्णु -ज्योति -शिवराज के बीच कड़ा मुकाबला

मोदी-शाह-नड्डा की नजर में सर्वश्रेष्ठ बनने की होड़ 

गौरव चतुर्वेदी/ खबर नेशन/ Khabar Nation 

 

2024 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की तीन सीटों पर राजनीतिक विश्लेषकों की नजर लगी हुई है । नजर लगने की प्रमुख वजह इन तीनों सीटों पर मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं । 

खजुराहो लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा मैदान में है । गुना से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मैदान में है । विदिशा से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं । वीडी शर्मा दूसरी बार खजुराहो से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद वे प्रदेश अध्यक्ष बने थे । इस बार बतौर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चुनाव मैदान में है । श्री शर्मा को भाजपा शुभंकर मान रही है। शर्मा के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनी और उपचुनाव, विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल हुई। विधानसभा चुनाव के पूर्व वीडी और भाजपा संगठन ने बूथ लेवल टीम, पन्ना समिति को मजबूत और सक्रिय बनाए रखने जबरदस्त मेहनत की। जिसके चलते विधानसभा चुनाव में बंपर वोट और 163 सीट जीतने में सफलता प्राप्त हुई। हालांकि शर्मा को खजुराहो में कोई भी बड़ी चुनौती नहीं है । कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन फॉर्म रिजेक्ट हो जाने के कारण चुनाव एक तरफा बचा है।  इसके बावजूद विष्णु दत्त शर्मा लगातार मैदान में डटे हैं और अधिक से अधिक मतदान एवं ज्यादा से ज्यादा लीड लेकर आने की कोशिश में लगे हुए हैं।

 दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया जिन्होंने अपने 22  समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया था और कमलनाथ की सरकार को औंधे मुंह गिरा दिया था । अब चुनाव मैदान में है। हांलांकि सिंधिया को तत्काल भाजपा ने राज्यसभा सांसद बना दिया था। सिंधिया के सामने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक रहे राव देशराज सिंह के पुत्र यादवेंद्र सिंह मैदान में है । 2019 का लोकसभा चुनाव अपने ही समर्थक केपीएस यादव से हारने के बाद सिंधिया को तगड़ा झटका लगा था । कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के चलते सिंधिया को किनारे किया जाता रहा। राजनीतिक हालात बदले और सिंधिया भाजपा के साथ हो गए । सिंधिया ने मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई। सिंधिया के इस एहसान का बदला चुकाने भारतीय जनता पार्टी ने सिंधिया को गुना लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बना दिया। गुना लोकसभा से सांसद रहे केपीएस यादव को टिकट नहीं दिया गया।2019 लोकसभा चुनाव में हार के बाद से ही सिंधिया भाजपा में आने के बावजूद के पी एस यादव से खासे कुपित रहे। जिसके चलते यादव समाज के वोट एकजुट कांग्रेस को मिलने की संभावना नजर आ रही है । हालांकि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव हैं। भाजपा ने देश के यादव समाज के वोट बैंक (खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और मुंबई)को साधने डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है।देखना है मुख्यमंत्री यादव गुना लोकसभा क्षेत्र में यादव वोटो को भारतीय जनता पार्टी और सिंधिया के पक्ष में कितना लामबंद कर पाते हैं । 

विदिशा लोकसभा क्षेत्र से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं । शिवराज सिंह चौहान को विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था । उनकी जगह मोहन यादव की ताजपोशी कर दी । राजनीतिक हलकों में ऐसा कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के साल भर पूर्व से मोदी और शाह शिवराज को ना पसंद करने लगे थे । इसलिए मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव का कैंपेन भी "एमपी के मन में मोदी मोदी के मन में एमपी" बनाया गया । उक्त कैंपेन मध्यप्रदेश में आक्रामक रूप से लागू नहीं किया जा सका ।  शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 49% मत और 163 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई लेकिन इसका पूरा क्रेडिट शिवराज को नहीं दिया गया।  शिवराज ने 2023 के बजट में लाडली बहन योजना लागू कर मध्य प्रदेश के सभी वर्गों की महिलाओं पर गहरा असर डाला था।  जिसके चलते यह माना जा रहा है की मध्य प्रदेश में बंपर जीत हासिल करने में शिवराज की लाडली बहना योजना का बड़ा योगदान रहा । हालांकि पार्टी के तमाम नेता छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव परिणामों को सामने रखते हुए और छिंदवाड़ा में 7 सीटों पर कांग्रेस की मिली जीत को देखकर अपने आप को यह कहने से नहीं रोक पाए कि फिर इन जगहों पर लाड़ली बहना का असर क्यों नहीं रहा ?   छत्तीसगढ़ और राजस्थान में लाडली बहना जैसी कोई योजना लागू नहीं थी। इसके बाद भी छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। 

विष्णु दत्त शर्मा के रणनीतिकार और खजुराहो के स्थानीय कार्यकर्ता जहां दस लाख वोटों से जीत का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। वहीं शिवराज सिंह चौहान भी इस कोशिश में लगे हुए हैं कि विदिशा से बंपर जीत हासिल कर सर्वाधिक वोटों से जीत का रिकार्ड बनाएं। सिंधिया के लिए मुश्किल है क्योंकि सिंधिया को अपनी सर्वस्वीकार्यता बनाए रखने और लोकप्रियता के पैमाने पर सर्वश्रेष्ठ साबित करना जरूरी है।

मुकाबले का बड़ा कारण भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार और माइक्रो मैनेजमेंट के माहिर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की नजर में अपने आपको सर्वश्रेष्ठ साबित करना भी है। यूं कहा जाए कि इन तीनों राजनेताओं का भविष्य चुनाव परिणामों में बंपर जीत से भी तय होगा।

 

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