शिव करेंगे रामपाल की छुट्टी...!
कैबिनेट विस्तार इसी सप्ताह संभव, तीन मंत्रियों को हटाने की सुगबुगाहट
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मौजूदा कार्यकाल में काबीना का आखिरी बहुप्रतीक्षित विस्तार इसी सप्ताह कर सकते हैं। आलाकमान से अनुमति मिल चुकी है। विस्तार में सबसे बड़ा धमाका लोक निर्माण और कानून मंत्री रामपाल सिंह को हटाने का होने के संकेत हैं। मुख्यमंत्री नान-परफारमर दो और मंत्रियों की छुट्टी भी अपनी कैबिनेट से करेंगे।
प्रदेश मंत्रिमंडल में अभी तीन स्थान रिक्त हैं। मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट में सदस्यों की संख्या फिलहाल 32 है। राज्य विधानसभा की 230 संख्या के मान से अधिकतम 35 सदस्य मंत्रिमंडल में हो सकते हैं। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री के अलावा 20 मंत्री और 11 राज्यमंत्री हैं।
सूत्रों के अनुसार आलाकमान चाहता है आने वाले विधानसभा चुनावों में चेहरों को लेकर संभावित हर तरह की कठिनाई को दूर करने के उपक्रम अभी से शुरू कर दिये जायें। इसी क्रम में मंत्रिमंडल में पाक-साफ चेहरों के साथ नान-फरमारमर्स की तत्काल छुट्टी कर दिये जाने को लेकर भी केन्द्र सख्त हो गया है।
संकेतों के अनुसार मंत्रिमंडल के विस्तार में इसी बात की वजह से देरी हो रही थी। मुख्यमंत्री इस सप्ताह विस्तार करने की तैयारी में हैं। सबसे कठोर निर्णय उन्हें मंत्री रामपाल सिंह को लेकर लेना है। बहू को आत्महत्या के लिये प्रेरित करने का आरोप उन पर और उनके परिजनों पर लगा हुआ है। रायसेन जिले में भाजपा की चार सीटें हैं। फिलहाल सभी चारों भाजपा के पास हैं। मामले में जिस तरह से रामपाल पर आरोपों की बौछार हो रही है, उसने न केवल रायसेन बल्कि प्रदेश भर में उन सीटों पर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं जो ठाकुर वोटर बाहुल्य हैं।
संकेतों के अनुसार रामपाल समेत कुल तीन मंत्रियों की कैबिनेट से छुट्टी की जा रही है। जिन तीन मंत्रियों को हटाये जाने की सुगबुगाहट है, उनमें एक महिला मंत्री भी शामिल हो सकती हैं। हटाये जाने वाले मंत्रियों में एक राज्यमंत्री का नाम संभावित बताया जा रहा है।
जातिगत समीकरण भी साधेंगे
मध्यप्रदेश मे आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से शिवराज जातिगत समीकरण साधने का प्रयास करेंगे । सर्वाधिक नाराज दलित और ब्राम्हण बताएँ जा रहे हैं । विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति जनजाति एक्ट को लेकर दिए गए निर्णय के बाद दलित सड़कों पर आकर उग्र हो गए थे । हिंसा में मौते भी हुई । इसके तत्काल बाद ब्राम्हण भी खासे नाराज हो गए । जिसका खामियाजा सरकार और भाजपा को चित्रकूट उपचुनाव में भुगतना भी पड़ा । हाल ही में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बदलाव के दौरान भाजपा के ब्राम्हण नेता नरोत्तम मिश्रा और राजेन्द्र शुक्ल को दरकिनार किए जाने से भाजपा में ही ढेर सारे ब्राम्हण नेता नाराज हो गए । सोश्यल मीड़िया पर नाराजगी बाहर भी आई । इसी प्रकार दलित भी नाराज हुआ । दलित मंत्री लालसिंह आर्य का नाम भी प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए तगड़े दावेदार के तौर पर सामने आया । हाँलाकि ब्राम्हण दलित को चुनाव अभियान समिति में सहसंयोजक बनाकर साधने का प्रयास किया गया हैं ।
असंतुष्टों को भी साधेंगे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कई वरिष्ठ विधायक लंबे समय से नाराज चल रहे हैं । इसका कारण अनुभवी होने के बाद भी उन्हें मंत्री ना बनाया जाना हैं । इसके अलावा भाजपा में लंबे समय से मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखने वाले कई कद्दावर नेता असंतोष को हवा दे रहे हैं । हाँलाकि शिवराज कई अवसरों पर इनकी मुहिम की हवा निकाल चुके हैं । हाल ही में यह माना जा रहा था कि कोर कमेटी की बैठक के दौरान असंतुष्ट हावी होंगे , लेकिन शिवराज ने प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान से इस्तीफें की पेशकश कराकर तगड़ा झटका दे डाला । अंसतुष्ट एक बार फिर दिल्ली में मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं । इस बार निशाना सीधा सीधा शिवराज पर ताना जाएगा ।
इन्हें मिल सकती है जगह
शिवराज काबीना में जिन चेहरों को जगह मिलने की संभावना है, उनमें गोपीलाल जाटव का नाम सबसे ऊपरी पायदान पर बताया रहा है। विंध्य क्षेत्र से केदारनाथ शुक्ला और मालवा अंचल से रमेश मैंदोला का नाम मंत्री पद के लिये सुनिश्चित बताया जा रहा है।