केजरीवाल के दिल्ली जल बोर्ड घोटाले सा मामला मध्यप्रदेश में भी

क्या ED लेगा निशाने पर ?

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार इन दिनों एक तथाकथित शराब घोटाले के मामले में जेल में है। इसी के साथ ही ईडी दिल्ली जल बोर्ड में अनियमितताओं से जुड़े एक मामले को लेकर तल्ख तेवर अपनाए हुए है। जांच एजेंसी ने जिस तरह के गड़बड़ियों संबधी तथ्य इस मामले में पाए हैं ठीक वैसी ही गड़बड़ी मध्यप्रदेश में भी एक टेंडर में की गई है। हांलांकि मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। इस मामले का दिलचस्प पहलू मध्यप्रदेश के बड़े अधिकारियों का इस घोटाले में शामिल होना रहा। सूत्रों के अनुसार इस मामले में शिवराज सरकार भी शामिल रही।

कैसा है दिल्ली का मामला - आप को दोहरा झटका • आप के चुनावी फंड में दिया गया जल बोर्ड घोटाले का पैसा : ईडी

 ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में अनियमितताओं से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में अदालत में आरोपपत्र दायर कर दिया। आठ हजार पेज का आरोपपत्र मनी लांड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत में दायर किया गया। ईडी ने आरोपितों पर पीएमएलए के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी है। अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के लिए एक अप्रैल की तारीख तय की है। ईडी ने आरोप लगाया है कि जल बोर्ड द्वारा जारी एक अनुबंध में भ्रष्टाचार से मिला पैसा आम आदमी पार्टी को चुनावी हीं फंड के रूप में दिया गया था।

आरोपपत्र में चार व्यक्तियों और एक कंपनी को आरोपित बनाया गया है। इनमें डीजेबी के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा, ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल, एनबीसीसी के पूर्व महाप्रबंधक डीके मित्तल, तेजिंदर सिंह और एनकेजी  इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड शामिल हैं। गई ईडी ने मामले में पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी बुलाया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। इसके बाद एजेंसी ने केजरीवाल को 21 मार्च को आबकारी नीति घोटाला से जुड़े मामले में गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले ईडी ने फरवरी में जांच के तहत केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार, आप के राज्यसभा सदस्य और कोषाध्यक्ष एनडी गुप्ता, पूर्व डीजेबी सदस्य शलभ कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज मंगल और कुछ अन्य के परिसरों पर छापेमारी की थी।

सीबीआइ की एफआइआर है ईडी के लिए आधार

ईडी के मामले का आधार सीबीआइ द्वारा दर्ज की एफआइआर है। इसमें अरोड़ा पर एनकेजी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 38 करोड़ रुपये का अनुबंध देने का आरोप लगाया गया है। कंपनी तकनीकी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती थी। इसके बावजूद उसे अनुबंध दिया गया। ईडी ने मामले में अरोड़ा और अग्रवाल को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था।

यह है मध्यप्रदेश का मामला

ग़ौरतलब है कि खबर नेशन ने पूर्व में इंदौर में बन रहे नये जिला न्यायालय परिसर में हुई गड़बड़ियों को लेकर मामला प्रकाशित किया था। जिला न्यायालय के भवन निर्माण कर रही आर्कन पॉवर इंफ्रा इंडियन प्रायवेट लिमिटेड ने फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेज लगाकर प्रथम निविदाकार के तौर पर काम हासिल किया था। इन गड़बड़ियों को लेकर द्वितीय स्थान पर रहे निविदाकार कल्याण टोल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा लिमिटेड ने मध्यप्रदेश के लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन मंत्री, विभागीय प्रमुख सचिव, को शिकायत की थी। शिकायत के दिन ही विभागीय प्रमुख सचिव ने अपने मातहत अफसरों को आर्कन पॉवर इंफ्रा इंडियन प्रायवेट लिमिटेड के साथ अनुबंध कराए जाने के निर्देश दे दिए। शिकायत किए जाने और अनुबंध के बीच पंद्रह दिन का समय अंतराल रहा लेकिन शिकायत पर गौर ही नहीं किया गया। बताया जा रहा है उस दौरान मध्यप्रदेश सरकार गुजरात लॉबी के दबाव में कार्य कर रही थी जिसके चलते शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया। गौरतलब है कि आर्कन पॉवर इंफ्रा इंडियन प्रायवेट लिमिटेड गुजरात बेस्ड कम्पनी है। जिसे लेकर कल्याण टोल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की शरण में चली गई।

देखना है जिस आधार पर ईडी दिल्ली सरकार के खिलाफ नोटिस जारी कर रही है। उसी तरह के मध्यप्रदेश के इस मामले में ईडी कोई कार्रवाई करेगा ?

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