13 साल में शिवराज ने खुद अपनी हार स्वीकारी
मामला मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के इस्तीफे की पेशकश का
खबरनेशन / Khabarnation
और अंततः मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह स्वीकार कर अपनी हार घोषित कर दी कि मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने पद से मुक्त करने की इच्छा जताई हैं। गौरतलब हैं कि शिवराज अपनी पूरी ताकत लगाकर नंदकुमार सिंह चौहान को प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखने के लिए प्रयासरत थे।
मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी में चल रही अंतर्कलह और कार्यकर्ताओं में आक्रोश के साथ-साथ आम जनता के बीच सरकार और संगठन की छवि जबदस्त तरीके से धूमिल हुई हैं। संगठन के खिलाफ केन्द्रीय नेतृत्व के पास लगातार शिकायतें की जा रही थी। जिसके बाद यह तय किया गया कि मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने की आवश्यकता हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए मजबूत दावेदारों के तौर पर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह, सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य, जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा के नाम प्रमुख तौर पर लिये जा रहे हैं। संगठन का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर अंतिम स्थिती सांस नहीं ली हैं..?
आज शाम मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक भी होने जा रही हैं। जिसमें प्रदेश के हालातों पर चर्चा तो होगी लेकिन इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष तय नहीं किया जायेगा। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल इस बैठक में भाग लेने आये हैं। और संभावना जताई जा रही हैं कि विगत दिनों भाजपा के अंदरूनी हालात टटोलने आये राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री सौदान सिंह की रिपोर्ट पर रामलाल कड़े तेवर अपना सकते हैं। इसके पूर्व ही शिवराज सिंह चौहान ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि नंदू भैया ने प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने की इच्छा जताई हैं। हालांकि आज सुबह मुख्यमंत्री ने एक चैनल के कार्यक्रम में यह कहा था कि दो एक दिन में प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर भ्रम की स्थिती दूर हो जायेगी। राजनैतिक हलकों में यह माना जा रहा हैं कि शिवराज ने नंदू भैया के उद्गार व्यक्त कर डैमेज कंट्रोल की कवायद की हैं। जबकि असल में यह डैमेज नंदू भैया की बजाय शिवराज का डैमेज हैं।