इंदौर शहर राम भरोसे - अधिवक्ता विकास डागा

एक विचार Jan 08, 2025

शहरहित व आने वाली पीढ़ी के हित हेतु विजन जरूरी

वकालत पेशा नहीं, मेरा धर्म आम जनमानस को न्याय दिलाना मेरी पहली प्राथमिकता- अधिवक्ता विकास डागा 

चंद केस में पुलिस कम शिक्षित, पुलिस की लापरवाही कार्यप्रणाली की वजह से अपराधी दोष मुक्त

इंदौर अमन मिश्रा खबर नेशन । जिंदगी की हर नए कदम पर प्रत्येक मनुष्य संघर्ष होता ही है। लेकिन कुछ ऐसे विरले ही होते हैं। जो अपने जीवन के अन्य हितों का परित्याग कर जनहित व दूसरों की भलाई के लिए संघर्षरत रहते हैं। ऐसे ही एक शख्स जिन्होंने अपनी कार्यप्रणाली से कई लोगों को न्याय दिलवाया। 2001 से इस धर्म की मशाल को जगा कर न्याय दिलाना एक मात्र लक्ष्य है। संवाददाता अमन मिश्रा से खास बातचीत वरिष्ठ अधिवक्ता व समाजसेवी विकास डागा से साक्षात्कार हुआ। 

प्रश्न- वकालत का पेशा चयन करने का मुख्य उद्देश्य व कब शुरूआत की ? 

जवाब- वकालत मेरा पेशा नहीं है वकालत मेरे लिए धर्म है। वकालत एक माध्यम है, आम जनता की सेवा करने का आम जनता तक न्याय पहुंचना इसलिए कभी वकालत को पेशा नहीं माना, ना ही यह पेशा होता है ।

प्रश्न- वकालत के कार्यकाल के दौरान अभी तक का सबसे चर्चित केस जिसे आप साझा करना चाहे ? 

जवाब- कानून और कानून से जुड़े हर कैसे एक चैलेंज लेकर आता है। उसे कैसे आपके पक्षकार के हित में करना उसे न्याय कैसे मिले यही यही प्राथमिकता रहती है। एक सफल अधिवक्ता किस तरह अपने दिल व दिमाग की उपयोगिता से अपने पक्षकार को न्याय दिलाता है प्राथमिकता है । हमें चेलेंज पसंद आते हैं ।

प्रश्न- केस लड़ने के दौरान किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं ?

जवाब- केस लड़ने के दौरान कुछ घटनाएं फॉरेंसिक पर निर्भर करती है कुछ घटनाएं परिस्थिति पर निर्भर करती है।  लेकिन दुख जब होता है जब पुलिस इन सब चीजों को नाकाम करने में साबित होती है। कुछ केसों में पुलिस बहुत कम शिक्षित रहती है। आपके माध्यम से माध्यम से कहना चाहता हूं पुलिस को यह बातें पढ़ने में बुरी लग सकती है । पर फॉरेंसिक जांच में गुथिया सुलझाने में, कड़ियों को जोड़ने में पुलिस कभी-कभी बहुत कम शिक्षित नजर आती है। और उसी का लाभ अधिवक्ता उठा रहे हैं। कुछ घटनाएं ऐसी सामने आई है, जिनमें अपराध हुआ है जिसमें दोषी होना चाहिए लेकिन पुलिस की लापरवाही के कारण वह अपराधी बच जाता है। मेरा मकसद आम नागरिक को न्याय दिलाना रहा है। तब मुझे यह पक्ष देखने में आ रहा है। 

प्रश्न- वर्तमान परिदृश्य में बहुत से बच्चे लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं, उन बच्चों को आपके सुझाव ?  

जवाब- मेरा मानना है वकालत किताबें पढ़ने से नहीं आती, वकालत की डिग्री जरूर पढ़ने से आ सकती है। आपको न्यायाधीश बनाना है, वकालत करना है, तो लॉ स्टूडेंट को दुनिया की समझ बहुत जरूरी है। आपको ज्ञान होना चाहिए की अनिल अंबानी कैसे बना है, वहां तक बना रहना आना चाहिए उसी के साथ अंबानी के स्वीपर के दिनचर्या उसे पर क्या बीतती है, यह भी जानकारी होना चाहिए। एक लॉ के स्टूडेंट को यह भी ज्ञात होना चाहिए कि किसान खेती कर रहा है तो उसे क्या परेशानी आती है। यह एक अधिवक्ता को ज्ञात होना चाहिए। जितना ज्ञान एक आईपीएस अधिकारी को रहता है उससे ज्यादा ज्ञान आपको एक अच्छे अधिवक्ता बनने के लिए चाहिए । जब तक आपको उचित ज्ञान नहीं होगा आपके पक्षकार की स्थिति नहीं समझ पाएंगे जब तक आप वह नहीं कर पाएंगे जो वह चाहता है। इसी के साथ आप कानून की मंशा नहीं समझ पाएंगे, तो न्याय दिलाना मुश्किल होगा नए बच्चों के लिए है कि किसी को देखकर वकील ना बने आप में वह मादा है तो आपका स्वागत है। 

प्रश्न- लॉ से जुड़े नए स्टूडेंट के सामने केस लड़ने के दौरान आने वाली क्या चुनौतियां हो सकती है ? और किन चुनौतियों का सामना होने करना पड़ सकता है ?

जवाब-  नए वकीलों व स्टूडेंट के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, उनके पास केस आना चाहिए क्योंकि केस आएंगे तो वह केस लड़ पाएंगे।  दूसरा विषय है कि अगर केस आते भी हैं, तो आपको उसके इफ एंड बट नहीं पता है, आपको प्रैक्टिकल जानकारी नहीं है और थ्योरिकल जानकारी है तो न्यायालय में थ्योरिकल जानकारी बहुत कम मान्य होती है। सबसे पहले प्रैक्टिकल जानकारी पर काम करें । दुनिया का ज्ञान अर्जित करें तब आप एक सफल वकील बन सकते हैं । 

प्रश्न- आप समाजसेवी भी हैं, वरिष्ठ अधिवक्ता भी है, इंदौर शहर के हित से जुड़े मुद्दे या आपके विचार व्यक्त करें ?

जवाब- इंदौर शहर का वर्तमान परिदृश्य देखा जाए तो इंदौर राम भरोसे हो गया है।  यहां पर अधिकारियों की मंशा, नेताओं की मंशा व युवा क्या चाहते हैं कुछ समझ नहीं आता । यह तीन स्तंभ हैं जिन्हें मजबूत होना चाहिए। विजन होना चाहिए। चंद अधिकारी फ्लावर बनाने की सोच रहे हैं, वह आज का सोच रहे हैं पर आने वाले 25 सालों में स्थिति क्या होगी ? रोड बन रही है कार्य पूर्ण नहीं होने पर भी दूसरे सिरे से खोलना चालू कर दिया जाता है। और कहना है कि ड्रेनेज लाइन डालना भूल गए इससे बड़ी हास्यपद बात और क्या होगी इस तरह की कार्यप्रणाली सवाल या निशान खड़े कर रही है। कहां है आपकी इंजीनियरिंग ? कहां है आपकी पढ़ाई ? कहां है वह मॉनिटरिंग ? कहां है वह नेताजी जिन्होंने टेंडर जारी किया ? आज का युवा नशे की ओर बड़ रहा हैं। आज के युवाओं के पास विजन होना चाहिए । हमारा शहर बहुत सुंदर शहर है। आत्मीयतिता वाला शहर है। पर दुख है शहर राम भरोसे चल रहा है इस शहर को एक विजन की आवश्यकता है जिससे आने वाली पीढ़ी का भला हो सके ।

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