पर्दे के पीछे बुंदेलखंड पैकेज मे भष्टाचार की परत
हाईकोर्ट आदेश के बाद भी जांच फायले लम्बित है विजलेंस विभाग मे -पवन घुवारा
खबर नेशन / Khabar Nation
जबलपुर हाईकोर्ट ने 3860 करोड़ रुपए के बुंदेलखंड राहत पैकेज मेँ भ्रष्टाचार की जांच के अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा है कि जांच मेँ अगर आरोप सही पाए जाते हे तो दोषियों से घोटाले की रकम वसूली जाए और दोषियों पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।आदेश रिट पिटीशन 16108/2014-पवनघुवारा विरुद्ध म.प्र.राज्य, लेकिन सरकार द्वारा भष्टाचार को परदे के रहकर कैसे बचाया यह मामला सामने भी आखिर सामने आ ही रहा है। गौरतलब है कि भष्टाचार पर कार्यवाही हेतु म.प्र.मे तीन विभागों जिसमें लोकायुक्त,आथिर्क अपराध प्रकोष्ठ , साथ ही मुख्य तकनीकी परिक्षक विजलेंस विभाग द्धाराअधिकतर जाचं कर कार्यवाही कि जाती है लेकिन परदे के पीछे की परत यह है कि वषों पूर्व आदेश क्रमांक एफ-11(16)90/1-10 दिनांक 16फरवरी 1994 द्धारा मुख्यतकनीकी परिक्षक को भी एफआईआर करने का अधिकार अन्य जाच ऐजेंसी के समानांतर दिया गया था लेकिन समीक्षा उद्देश्य को आधार बनाकर आदेश क्रमांक सामान्य प्रशासन वि.7-1/80दिनांक 7.1.2014के माध्यम से यह अधिकार सरकार ने समिति बना कर सरकार ने अपने तकनीकी विभाग से हाथ मे ले लिया जिससे भष्ट्राचार ओर भष्टाचारियो कि नकेल अपने हाथों मे कर ली यही किया बुन्देलखण्ड विशेष पैकज की 3660करोड़ों कि राशि के साथ पहले केंद्र सरकार से उक्त राशि को राज्य सरकार ने अधिकारो का हवाला देकर पहले अपने हाथों एक मंत्रीमण्डल आदेश .एफ -ए-3-01/2010/एक(1)दिनां क15जनवरी2010 को समिति बनाई ओर फिर पैकज के कार्यो का जुम्मा संविदा आधारित ऐसे अधिकारीयो को लगाया कि जिनपर पूर्व से भष्टाचार के कैश लम्बित थे ओर फिर क्या बुन्देलखण्डपैकज को सरकार के नुमाइंदों ने अपने हवाले कर लिया चूंकि जब हाईकोर्ट ने जाच आदेश दिया तो पहले यह जाच मुख्यतकनीकी परिक्षक को दी गई ओर जाच को केवल रेन्डम बेसिष पर विभागों कि कराई दी गई, परन्तु जाच हेतु दिऐ दस्तावेजों मे वह सभी दस्तावेजो कि जाच आज भी जाच प्रतिवेदनो का इंतजार कर रही है जिनका उल्लेख यह कि ■दमोह की पचंमनगर परियोजना के मझगुवां हसंराज जलाशय मे 4 लाख के बिल को सुधार कर 23लाख किया गया पत्रकार सतोषभारती द्धारा जमा कलेक्टर दमोह सतर्कता पत्र क्र.ओ.एसडी 1978/दि 19.8.2010 जहाँ 18 से अधिक जिम्मेदार मंत्री से लेकर सभी के नाम एफआईआर भी दर्ज है ■निलंबन बहाली कि आख मिचौली का भष्टाचार निवाडी के पास करियापाठा स्टापडेम जहां बिना अनुमति बाध की ऊंचाई लगभग 1.50 मीटर कम की गई पर कार्यरत सब इन्जीनियर बी. सी.कोरी को पहले निलंबन दिया जब उक्त अधिकारी ने निलंबन के जवाब मे यह उल्लेखनीय कर दिया कि साहब जिन्होंने निलम्बित किया वही तो उक्त भ्रष्टाचार मे है तो तुरंत ही वहाली का आदेश दे दिया ■ बीला बांध पोषक नहर परियोजना मे भष्टाचार पर विधायक राजेश कुमार वर्मा का पत्र ■सिगंपुर वैराज परियोजना मे बिना अनुमति के 1करोड़15लाख का भुगतान के सन्दर्भ मेएवं बरियारपुर परियोजना मे भष्टाचार पर मा.पूर्व सांसद जितेंद्र सिंह जी का पत्र ■दमोह मे घाट पिपरिया मे निमित स्टापडेम मे हुये भष्टाचार पर पत्रकार संतोष भारती जी का पत्र ■भीतरीमुटमुरू बाधं पर पूर्व विधायक फुन्दर चौधरी पन्ना का पत्र ■बुन्देलखण्डपैकेज मे जिन्हें महत्वपूर्ण दायित्व दिया था उनके ऊपर आथिर्क अपराध प्रकोष्ठ जबलपुर मे दायर था पूर्व मे कैश जिनके ऊपर पांच पांच हजार के हजारों बिल वाउचर्स उपरोक्त तथ्यों की पुष्टि श्री राजन श्रीवास्तव तत्कालीन प्रमुख अभियंता बोधी जल संसाधन विभाग भोपाल के जाचं प्रतिवेदन क्र.734 दि 08.06.2010 से होती है■ ऐसे अधिकारी कार्यपालन यंत्री भी लगाये गये जिनकी गोपनीय शासकीय डायरी मे यह अकित है की यह वरिष्ठअधिकारियों के निर्देशों की अवेहलना करते !बिना स्वीकृति के कार्य कराये !तकनीकी ज्ञान का अभाव है पत्र क्र.एफ22-2014/पी-1इकतीस, फिर बाधं निर्माण करना, यह सभी शेष प्रपत्रो की जाचें आज भी लम्बित रखी गई है, मुख्य तकनीकी परिक्षक द्धारा जाच नही कि गई है जिसके लिए लगातार तीन वषों से सामाजिक कार्यकत्ता पवनघुवारा शासन से अनुरोध करता आ रहा है दुर्भाग्य है यही प्रमुख सभी जाचें आज भी लम्बे समय से लम्बित रखी गई है,केवल 7 विभागों के जाच प्रतिवेदन सामने आऐ है बाकी ऊपर उललेखनीय जाच पत्रो की जाचें आज भी न्याय कि गुहार कर रही है गोरतलब कि एक ओर तो विभागीय जचों मे 300 से अधिक अधिकारी /कर्मचारियों के नाम तो सामने आऐ लेकिन एफ आई आर की आच आज तक नही है इतना ही नही सफेद पोशधारीयो ने बीच -बीच मे केबिनेट बैठक कर इस प्रकार से निर्णय लिये कि जन मानस को लगे कि सफेदपोशधारी साफतौर पर कार्य कर रहे है म.प्र. की कैबिनेट द्वारा दिनांक 12 सितम्बर 2017 को लिये गये फैसले में बुन्देलखण्ड पैकेज मे भ्रष्टाचार करने वालों पर (नियम) सेवानिवृत्त के चार साल बाद भी कार्यवाही होगी ’केबिनेट द्वारा लिये गये फैसले को लेकिन लागू नही किया गया अहम सबाल कि केवल वा केवल अधिकारियों ने 2100करोड़ का ऐतिहासिक भष्टाचार क्या किया गया जब कि मंत्रीमण्डल पैकज निगरानी समिति बनी थी तो पहली जुम्मेदारी मंत्रीमंडल की ही होना चाहिए थी लोकसभा चुनाव के पथरिया आम सभा मे मा.राहुल गांधी जी ने मुख्यमंत्री मा.कमलनाथ जी को बुन्देलखण्ड पैकज मे दोशियों पर कार्यवाही को कहा था पूर्व मे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मा.सुरजेवाला जी ने भी प्रेस कांफ्रेंस कर बुन्देलखण्ड पैकज घोटाले का उजागर किया था इतना ही नही र्सघशरत पवनघुवारा के पत्र पर नीतिआयोग ने भी संज्ञान मे लिया है।बुंदेलखंड पैकेज के रूप में 'मध्य प्रदेश को 3,860 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। स्वीकृत राशि में से सागर जिले में 840• 54 करोड़, छतरपुर जिले में 918•22 करोड़, पन्ना जिले में 414•19 करोड़, दमोह जिले में 619•12 करोड़ टीकमगढ़ जिले में 503•12 करोड़ दतिया 331 करोड़ रुपये से विकास कार्य किए जाने थे, जिसमें 2100 करोड़ रुपये सरकार भी विभिन्न योजनाओं में खर्च कर चुकी।जल संसाधन विभाग - ८८० करोड़
पीएचई विभाग - २१० करोड़
पशुपालन विभाग - ८१ करोड़
उद्यानिकी विभाग - ६६ करोड़
वन विभाग - १०७ करोड़
कृषि विभाग - ८५२ करोड़
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