मृतक के उत्तराधिकारियों कोे दस लाख रूपये की प्रतिकर राशि दो माह में अदा करें
भोपाल, सोमवार 16 अक्टूबर 2023
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग की महत्वपूर्ण अनुशंसा
’’आपराधिक मानव वध का मामला’’
मृतक के उत्तराधिकारियों कोे दस लाख रूपये की प्रतिकर राशि दो माह में अदा करें
खबर नेशन/ Khabar Nation
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा धारा-41(ए) एवं धारा-160 दण्ड प्रक्रिया संहिता के वैधानिक प्रावधानों में पुलिस की अभिरक्षा में लेते हुए मृतक बंदी के साथ गंभीर प्रताड़ना और मारमीट करना और चिकित्सकीय अभिमत अनुसार ऐसी चोटें समग्र रूप से प्रकृति के सामान्य अनुक्रम मेें मृत्यु कारित करने के लिये पर्याप्त होने से इसी अनुरूप उसका आपराधिक मानव वध करने और ऐसी कार्यवाही के दौरान पुलिस अधिकारी/कर्मियों की अभिरक्षा प्रबंधन में हुई उपेक्षा के कारण धारा-55(ए) दण्ड प्रक्रिया संहिता के स्पष्ट वैधानिक प्रावधान और इसी के साथ मृतक बंदी संजू भिलाला को भारत के संविधान में अनुच्छेद-21 के अंतर्गत प्राप्त जीवन जीने के मौलिक अधिकार/मानव अधिकार का उल्लंघन होने से पुलिस अभिरक्षा में रहे ऐसे मृतक बंदी संजू भिलाला की मृत्यु के संबंध में संबंधित पुलिस अधिकारी/कर्मियों जो कि लोक सेवक हैं, की उपेक्षा के लिये सिविल दायित्व के अंतर्गत प्रतिनिधिक दायित्वधीन रहते मध्यप्रदेश शासन रूपये 10 लाख (दस लाख रूपये) प्रतिकर राशि मृतक संजू भिलाला के वैध उत्तराधिकारियों को दो माह में अदा करंे।
पुलिस अभिरक्षा में रहे संजू भिलाला की पुलिस प्रताड़ना/मारपीट से हुई मृत्यु आपराधिक मानव वध होने एवं ऐसी अमानवीय घटना को छुपाने का प्रयास करने को देखते हुए मध्यप्रदेश शासन दोषी पुलिस अधिकारी निरीक्षक नीता देअरवाल व अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों के विरूद्ध अभियोजन के लिये धारा 302, 304, 330, 331, 342, 201 एवं 120बी भारतीय दण्ड संहिता आदि के अंतर्गत आपराधिक मामला पंजीबद्ध करते हुए विधि अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करे। मध्यप्रदेश शासन पुलिस अभिरक्षा में रहे संजू भिलाला की ऐसी मानव वध प्रमाणित हुई मृत्यु के संबंध में संबंधित पुलिस अधिकारी/कर्मियों के विरूद्ध अभियोजन की कार्यवाही के अतिरिक्त विभागीय स्तर पर नियमानुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें, क्योंकि ऐसे मामले में अभियोजन के साथ ही अतिरिक्त रूप से विभागीय कार्यवाही भी विधि अनुसार अनुमत है।
मामला इंदौर जिले का है, जोकि एक समाचार-पत्र में शीर्षक ’’इंदौर के थाने में पुलिस की पिटाई से युवक की मौत’’ से प्रकाशित हुआ था। उसकेे संबंध में आयोग ने स्वतः संज्ञान के आधार पर दिनांक 24.04.2019 को प्रकरण 2342/इंदौर/2019 दर्ज कर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, इंदौर से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा था। इस मामले की निरंतर सुनवाई की गई। मृतक संजू भिलाला के परिजनों को मध्यप्रदेश शासन की ओर से सम्बल योजना के अतंर्गत चार लाख रूपये की राशि दी गई थी। आयोग ने दस लाख रूपये की अनुशंसा करते हुए यह निर्देश दिये हैं, कि शासन की सम्बल योजना से प्राप्त उक्त चार लाख रूपये की राशि का समायोजन कर शेष छः लाख रूपये (6 लाख रूपये) की प्रतिकर राशि मृतक संजू भिलाला के उत्तराधिकारियों को दो माह के भीतर अदा करें।
आयोग ने अपनी अनुशंसा में यह भी लेख किया है कि उक्त प्रकरण की विवेचना से इस मामले में धारा-176(1)(ए) दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत संजू भिलाला की मृत्यु के संबंध में जाँच करने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी इंदौर द्वारा की गई जाँच और दिनांक 05.04.2023 को दिये गये प्रतिवेदन के संबंध में जाँच के क्षेत्राधिकार की सीमा के संबंध में प्रकट गंभीर वैधानिक त्रुटियों को देखते हुए यह युक्तियुक्त एवं उचित प्रतीत होता है कि इस आदेश की प्रति के साथ न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की गई जाँच से संबंधित अभिलेख की उपलब्ध प्रतियों को प्रशासनिक स्तर पर आवश्यक कार्यवाही एवं धारा-176(1)(ए) दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत मृत्यु जाँच के संबंध में स्पष्ट वैधानिक स्थिति के अनुरूप आवश्यक दिशा-निर्देश सभी संबंधित के लिए जारी किये जाने व इस संबंध में मध्यप्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी, जबलपुर के जरिये उचित कार्यवाही किये जाने हेतु माननीय उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश, जबलपुर को रजिस्ट्रार जनरल के जरिये प्रेषित की जाये।
आयोग ने अपनी इन अनुशंसाओं को मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, मंत्रालय, भोपाल, अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, गृह (पुलिस) विभाग, भोपाल तथा पुलिस महानिदेशक, मध्यप्रदेश, पुलिस मुख्यालय, भोपाल को मानव संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा-18(ई) के अतंर्गत आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की हैं।
सबसे बड़ा सर्वे :
मध्यप्रदेश का सबसे भ्रष्ट मंत्री कौन?
जवाब देगी जनता
मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 में संभावित हैं। विपक्षी दल कांग्रेस मध्यप्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहा है। खबर नेशन यह नहीं कहता कि सभी मंत्री भ्रष्ट हैं।
जनता जनार्दन भी कई मंत्रियों के भ्रष्टाचार का शिकार हुई है। आखिर क्या है वस्तु स्थिति?
कौन है मध्यप्रदेश का भ्रष्ट मंत्री?
जनता फैसला करेगी।
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