मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने ’सात मामलों में स्वतः संज्ञान’ लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।

भोपाल,  सात मामलों में स्वतः संज्ञान
 

खबर नेशन / Khabar Nation  

 

जच्चाखाना मुरार में महिला की मौत
ग्वालियर शहर के मुरार जच्चाखाना में बीते सोमवार की रात प्रसव के दौरान भीमनगर, थाटीपुर निवासी अर्चना पत्नी अशाीष बाबू की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने हंगामा कर जच्चाखाने के बाहर चक्काजाम कर दिया। परिजनों का आरोप था कि डाक्टरों की लापरवाही से प्रसूता को अधिक ब्लीडिंग हो गई जिसके कारण उसकी मौत हुई है। परिजन की मांग थी कि दोषी डाक्टर और स्टाॅफ पर पुलिस मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करे। मृतिका के पति ने बताया कि अर्चना को प्रसव पीढ़ा होने के चलते सुबह जच्चाखाना मुरार मंे भर्ती कराया गया। यहां दोपहर तीन बजे डाक्टरों ने परिजन को बताया कि अर्चना का आॅपरेशन करना पड़ेगा। डाक्टर अर्चना को आॅपरेशन थियेटर में ले गये। परिजन का कहना है कि अर्चना खुद चलकर आॅपरेशन थियेटर में गई थी। कुछ देर बाद डाक्टरों ने बताया कि अर्चना की हालत खराब है, इसलिये वह जच्चा व उसकी नवजात को केआरएच ले गये जहां डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, ग्वालियर से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जबाव मांगा है।

महिला की मौत, परिजन बोले - ससुरालियों ने मारा, मामला दर्ज


ग्वालियर शहर की महाराजपुरा निवासी आशा की बीते सोमवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। आशा को दो दिन पहले घायल हालत में जेएएच में भर्ती कराया गया था। परिजनों ने आरोप लगाया है कि पति और ससुरालजनों ने उसके साथ मारपीट की थी। पति का कहना है कि आशा सड़क हादसे में घायल हुई थी। सीएसपी महाराजपुरा ने बताया कि पति ने जो बयान दिये हैं, उसके मुताबिक बीते 27 मई को वह बाइक से पत्नी को लेकर बरासों गया था। वहां से लौटते समय सड़क हादसे में पत्नी घायल हो गयी थी। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एसपी, ग्वालियर से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जबाव मांगा है।

मौत का कारण बन रहे सुरक्षाविहीन नर्मदा घाट


सीहोर जिले के रेहटी में गंगा दशमी पर नर्मदा नदी में स्नान के लिये हजारों की संख्या में लोग पहंुच रहे हैं। इस दौरान स्नान करने आये एक परिवार की तीन बालिकाएं गहरे पानी में चली गईं। जिनमें से एक की डूबने से मौत हो गई, तो वहीं दूसरी बालिका को गंभीर अवस्था में नर्मदापुरम् रेफर किया गया है और तीसरी बालिका स्वस्थ बताई जा रही है। परिवार रायसेन जिले के मानपुर से आंवलीघाट स्नान के लिये आया था। पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, सीहोर से प्रकरण की जांच कराकर मृतकों के उत्तराधिकारियों को शासन की योजना अनुसार देय आर्थिक मुआवजा राशि एवं सुरक्षा प्रबंध के संबंध में एक माह में जबाव मांगा है।

पत्नी जिंदा है लेकिन उसे कागजों में मृत घोषित किया


शाजपुर जिले के पनवाड़ी गांव निवासी रमेश ने बीते मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में अधिकारियों को अपनी पीड़ा बताते हुये कहा कि साहब मेरी पत्नी जिंदा है, लेकिन कागजों में उसे मृत घोषित कर दिया है। पंचायत कार्यालय से लेकर विभागों के चक्कर लगा रहा हूं, किंतु कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। रमेश ने बताया कि उनकी पत्नी गंेदीबाई सूर्यवंशी को चुनाव के दौरान जिम्मेदारों ने कागजों में मृत घोषित कर दिया, जिसके कारण उसकी पत्नी जीवित होने के बावजूद उसकी वृद्धावस्था पेंशन बंद कर दी गई है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, शाजपुर से प्रकरण की जांच कराकर पीड़ित महिला गंेदींबाई की समस्या का शीघ्र समाधान कराकर तीन सप्ताह जबाव मांगा है।                
 

महिला के प्रायवेट पार्ट में डाली गई लाठी

सीधी जिले के अमिलिया थानांतर्गत ग्राम पंचायत डिहुली खास निवासी 35 वर्षीय एक महिला सुबह करीब चार बजे शौच के लिये गई थी। काफी देर तक नहीं लौटने पर घर की अन्य महिलाओं ने खोजबीन की तो वह शौचालय में बेहोशी की हालत में पड़ी हुई थी तथा उसके सीने के उपर एक बड़ा पत्थर रखा हुआ था। महिलाओं ने पत्थर हटाकर हल्ला गुहार मचाया। कुछ समय बाद उसे होश आया तो उसने प्रायवेट पार्ट में लाठी डालने की बात बताई। महिलाओं ने देखा तो करीब एक फीट की लकड़ी डाली गयी थी, जिसे बाहर निकाला गया। महिला को पुलिस द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अमिलिया पहुंचाया गया। अमिलया थाना पुलिस द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुये मौके पर पहुंचकर विवेचना शुरू कर दी है। आरोपी परिवार के ही बताये जा रहे हैं, जिनके द्वारा रंजिशन इस घटना को अंजाम दिया है। महिला को जिला अस्प्ताल, सीधी में लाने पर पुलिस की महिला अधिकारियों द्वारा बयान लेकर एफआईआर दर्ज करने की कार्यवाही की जा रही है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एसपी, सीधी से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में जबाव मांगा है।

अतिक्रमण बताकर नगर निगम अफसरों ने तोड़ा मकान

ग्वालियर शहर के लक्कड़खाना निवासी एक बजुर्ग महिला रामदुलारी कोटिया के निजी मकान को शासकीय जमीन पर अतिक्रमण बताकर नगर निगम के अधिकारियों ने तोड़ा था। जांच में वह जमीन शासकीय नही निकली। अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) कोर्ट ने जांच कार्यवाही को गलत माना है। अपने निर्णय में एसडीएम कोर्ट आवास विहीन हो गई बुजुर्ग महिला को शासन की अफोंडेबल हाउसिंग स्कीम के तहत मकान बनवाने का आदेश दिया है। जिस बुजुर्ग महिला का मकान तोड़ा गया है उनका कहना है कि यह एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिये कार्यवाही की हुई थी, जबकि उसका मकान ही नक्शे के हिसाब से नहीं बन रहा और उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। नगर निगम ने लगभग पांच महीने पहले रामदुलारी कोटिया को नोटिस दिया। नोटिस के बाद महिला ने अपना जबाव प्रस्तुत करते हुुये मकान की रजिस्ट्री, 1965 का नक्शा और पिछले 40 वर्षों से वहां पर रहने के सबूत नगर निगम अधिकारियों को दिये गये। इसके बावजूद भी नगर निगम के अधिकारियों ने पिछले तीन माह में दो नोटिस थमा दिये। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं नगर निगम कमिश्नर, ग्वालियर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का एक माह में प्रतिवेदन मांगा है। साथ ही ऐसी कार्यवाही में संलग्न रहे अधिकारियों की भी स्पष्ट जानकारी प्रतिवेदन के साथ प्रेषित करने के निर्देश् दिये हैं।

बड़ा अस्प्ताल - शौचालय का अभाव

ग्वालियर शहर का 1000 बिस्तर का अस्पताल मरीजों के लिये परेशानी का सवब बनता जा रहा है। बीते सोमवार को मरीज टाॅयलेट के लिये परेशान हो रहे थे। इसकी वजह यह थी कि सी-ब्लाॅक की तीसरी मंजिल पर संचालित मेडीसिन सर्जरी वार्ड सहित कई विभाग ऐसे थे जहां पर एक ही टाॅयलेट का उपयोग करना पड़ रहा है। शहर के एक जनप्रतिनिधि द्वारा 15 दिन में अस्पताल की कमियों को दूर करने के निर्देश दिये थे, किंतु निर्देशों के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। न तो टाॅयलेट ही साफ हो रहे हैं और न हीं दीवारों पर पड़ी दारारों को पूरी तरह से भरा गया है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कमिश्नर, ग्वालियर से प्रकरण की जांच कराकर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में रही समस्या का शीघ्र समाधान कर अस्पताल में रहे मरीजों की गरिमा एवं स्वास्थ्य सुविधा आदि को सुनिश्चित कराकर तीन सप्ताह में जबाव मांगा है।

 


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