हम चिपक हैं नोईं, हमतों चिपका देहें....!


जंगल बचाने खुला चैलेंज

खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बक्सवाहा के जंगल बचाने बुंदेलखंड में आंदोलन खड़ा होना शुरू हो गया है । केन्द्र और राज्य सरकार को खुले चैलेंज के साथ बुंदेलखंड के एक मीडिया संस्थान बुंदेली बौछार ने जनांदोलन में अपनी सहभागिता दिखाना शुरू कर दी है । जंगल बचाने  के लिए दिया गया चैलेंज " हम चिपक हैं नोईं, हमतों चिपका देहें...."
गौरतलब है कि कल ही देश के ख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का निधन हुआ है । स्वर्गीय बहुगुणा अपने चिपको आंदोलन को लेकर खासे चर्चित रहे । यह आंदोलन उत्तराखंड की वन संपदा और पहाड़ों को बचाने के लिए किया गया था ।
 बुंदेली बौछार के सचिन चौधरी जो इस आंदोलन के बहाने अपनी माटी और अपने सामाजिक दायित्व को लेकर कृतसंकल्पित हैं कहते हैं कि पहाड़ों (उत्तराखंड) के लोग बहुत ही सीधे और भोले स्वभाव के हैं इसलिए उन्होंने चिपको आंदोलन किया था , लेकिन बुंदेलखंड अपने अधिकारों को पाने को लेकर उग्रता की किसी भी  सीमा तक जा सकता है इसलिए हम अपनी वन संपदा बचाने के लिए चिपकाने ( मरने मारने) के अधिकारों का भी उपयोग कर जाएंगे ।
गौरतलब है कि छतरपुर जिले की बड़ा मलहरा विधानसभा में कस्बा है बक्सवाहा । प्रकृति ने इस इलाके को परिपुर्ण बनाने में कोई कमी नही रहने दी है । पहाड, घने जंगल, कई तरह के खनिज,लोहा,रेड ऑक्साइड, हीरा के भारी भंडार इस इलाके में हैं,अंग्रेजो के जमाने की लोहा सोधन करने बाली भट्टी भारी संख्या में जंगलों में आज भी बनी हुई हैं । जटाशंकर से लेकर बक्सवाहा तक ये बहुत बड़ा इलाका है ।
 बकस्वाहा के जंगल से हीरा निकालने के लिए 2.15 लाख पेड़ काटे जाने का प्रस्ताव तैयार हो चुका है। बकस्वाहा के जंगल में 3.42 करोड़ कैरेट के हीरे 2.15 लाख से ज्यादा पेड़ काटकर निकाले जाएंगे। बकस्वाहा क्षेत्र में जहां पर सबसे अधिक हीरे हैं, वहां पर घना जंगल है। यहां नाले के दोनों ओर सागौन, अर्जुन, शीशम, जामुन, बेल, पीपल, तेंदू, बहेरा सहित अन्य औषधीय व जीवन उपयोगी पेड़ हैं। सचिन चौधरी ने बताया कि  हीरा खनन के लिए लगभग 2.15 लाख पेड़ काटे जाने हैं, इनमें करीब 40 हजार पेड़ सागौन के हैं। अर्जुन के पेड़ भी करीब 10 से 12 हजार हैं। यहां 382.131 हेक्टेयर जमीन में घना जंगल है। इस जंगल में कई विलुप्त प्रजाति के जानवर भी मिलते हैं। इसके अलावा बड़ी संख्यस में वन्यजीव भी  यहां पर रहते हैं। जिसमें बारहसिंगा, लोमड़ी, बंदर, काले मुंह के बंदर, चिंकारा, मोर, गिलहरी, लकड़बग्घा, जंगली कुत्ते बड़ी संख्या में हैं। जंगल काटे जाने से इनका जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा।

जानकारी के मुताबिक बकस्वाहा के बंदर डायमंड प्रोजेक्ट में हीरा बड़ी मात्रा में है, यह रियो-टिंटो कंपनी द्वारा किए गए सर्वे प्रोजेक्ट में स्पष्ट हो चुका है। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार बकस्वाहा में जो जमीन 50 साल के लिए आदित्य बिड़ला ग्रुप को लीज पर दी जा रही है, इसमें 3.42 करोड़ कैरेट हीरा है। इन्हें ही निकालने के लिए यहां का जंगल खत्म किया जाएगा । जिसके विरोध में देशभर में मुहिम चलाई जा रही है। एक तरफ तो प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रतिदिन वृक्षारोपण कर रहे हैं,वहीं उन्हीं की सरकार में जंगल को तबाह करने की रणनीति तैयार की जा रही है।

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