मोहन : बांसुरी पर नाचने की नहीं नचाने की जरूरत

 

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की सबसे बड़ी चुनौती

 

सात सुरों को साधना जरुरी 

 

गौरव चतुर्वेदी/ खबर नेशन / Khabar Nation

 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को आमजन के कई सारे भ्रम तोड़ना जरुरी हैं। सबसे बड़ी चुनौती आम जनता का मन मोहना रहेगा। हाल फिलहाल मोहन ने सिर्फ तान छेड़ी है पर सात सुरों को साधना इतना आसान भी नहीं है। सात  सुरों को साधने की चुनौती पर एक विश्लेषण.....

 

राग मोदी: भारतीय राजनीति में वर्तमान दौर राग मोदी का चल रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने नवनिर्वाचित तीन राज्यों की सरकारों का मुखिया चौंकाने वाले घटनाक्रम के साथ नये चेहरों को सौंपा है। इसकी एक बड़ी वजह आगामी लोकसभा चुनाव भी है। मध्यप्रदेश में इसी कवायद के साथ उज्जैन दक्षिण के विधायक डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया है। यादव के समर्थक और विरोधी भी आमजन के साथ बात करते हुए इस बात का आभास दे रहे हैं कि अब मध्यप्रदेश में मोदी का शासन चलेगा। केंद्र और राज्य के विषय अलग-अलग होते हैं। हांलांकि समग्र दृष्टिकोण में कुछ मुद्दे एक से रहते हैं। यहीं से मोहन की चुनौती शुरू होती है। मोहन को मोदी का भी मनमोहना है और जनता का भी। 

 

भाजपा संगठन: सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाए रखना डॉ मोहन यादव की दूसरी चुनौती होगी। पिछले 18 सालों से भाजपा संगठन पर एक प्रकार से सत्ता का कब्जा रहा है। हांलांकि विधानसभा चुनाव के काफी पहले से संगठन ने अपनी खुद की रिपेयरिंग भी की और केंद्रीय नेतृत्व के कुछ निर्देशों को साधकर इस दिशा में काम भी किया। मोदी - शाह का यादव की ताजपोशी भी इसी कवायद का हिस्सा है। मध्यप्रदेश के देवदुर्लभ कार्यकर्ता के मूलभूत आवश्यकताओं को नई उड़ान देना भी एक बड़ी चुनौती है।

 

ब्यूरोक्रेसी: किसी समय मध्यप्रदेश की ब्यूरोक्रेसी देश की टॉप फाइव राज्यों में शुमार की जाती थी। धीरे धीरे मध्यप्रदेश के अफसरों ने इसके स्तर को गिराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मध्यप्रदेश का आमजन आज अधिकारियों की मनमानी, लालफीताशाही, भ्रष्ट आचरण और निरंकुशता से भरपूर परेशान हैं। यादव को इस पर भी लगाम लगाने की जरूरत है।

 

जनता - आमजन के बेहतर जनजीवन के लिए रोजगार की उपलब्धता, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, कानून व्यवस्था, बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है। हांलांकि मोहन के शुरुआती कदम में इसकी झलक दिखाई दी लेकिन और बेहतर एवं मजबूत कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

 

वित्तीय हालात में सुधार : पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जनकल्याणकारी योजनाओं से मध्यप्रदेश की वित्तीय हालात पर भारी भार पड़ रहा है। राजस्व आय की सीमित विकल्प हैं। आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हुई हैं। ऐसे में जनकल्याण और वित्तीय हालात में संतुलन साधना मोहन की बड़ी जिम्मेदारी है। सिर्फ खर्चों पर नियंत्रण रख कर ही संतुलन नहीं साधा जा सकता।

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