भारतीय जनता पार्टी में दिग्गजों को गलाने की तैयारी शुरू तली में खदबदाहट ऊपर शांति


कितना होगा नुकसान ?

मंत्रिमंडल के बहाने भाजपा के अंदरूनी हालात पर एक नजर 
गौरव चतुर्वेदी खबर नेशन Khabar Nation

मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के स्थापित नेताओं को गलाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। भाजपा के आला नेता इसे पीढ़ी परिवर्तन के रूप में देख रहे हैं। इसके पहले बड़ा पीढ़ी परिवर्तन लगभग तीस साल पहले हुआ था। तब भाजपा विपक्ष में थी ‌‌। अब भाजपा बीस सालों से सत्ता में है। इस कवायद से मोदीमय भाजपा के अंदर शांति दिखाई दे रही है, लेकिन तली के अंदर खदबदाहट महसूस की जा रही है ‌ कितना फायदा होगा या कितना नुक्सान होगा। एक नज़र 
विधानसभा चुनाव के पूर्व मध्यप्रदेश भाजपा के हालात से बड़े नेताओं की कंपकंपी छूट रही थी। सत्ता और संगठन में तालमेल का आभाव महसूस किया जा रहा था। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एकक्षत्र नेता के तौर पर स्थापित हो गए थे।ऐसे ही हालात लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में बन चुके थे। कार्यकर्ताओं की मंत्री, विधायकों, और पदाधिकारियों से दूरियां पनप चुकी थी। केंद्रीय नेतृत्व को कब्जे में लेकर बैठे भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ताबड़तोड़ मध्यप्रदेश को क़ब्ज़े में लेकर अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया। इसके बावजूद हालात में सुधार होता हुआ नजर नहीं आ रहा था। जिसके बाद टिकट वितरण में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज की दखलंदाजी को मंजूर कर लिया गया। 
चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में बंपर आए पर इसका श्रेय मोदी की योजनाओं को देते हुए शिवराज की मास्टर स्ट्रोक रही लाड़ली बहना को दबा दिया गया। इसी के साथ ही मध्यप्रदेश को नया मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को बना दिया। दिल्ली ने यह निर्णय मध्यप्रदेश के कद्दावर नेताओं को दरकिनार करते हुए लिया।इन हालात को देखकर कद्दावर नेताओं की इच्छा थी कि वे मंत्रिमंडल से बाहर रहे पर  उनकी अनिच्छा के बाबजूद उन्हें मंत्रिमंडल में लिया गया।
कई सारे दिग्गजों को बाहर रखा गया है। कहने को सभी कह रहे हैं कि 15 प्रतिशत के फार्मुले में फिट नहीं हो पाए पर अंदर ही अंदर वे एक घुटन को महसूस कर रहे हैं।ऐसी ही घुटन विधानसभा चुनाव के पूर्व की दिग्गजों ने महसूस करते हुए भाजपा छोड़ दी। रिजल्ट भले उनके अनुकूल नहीं आए हो पर एक रास्ता जरुर दिखा गये हैं। हांलांकि भाजपा के घटनाक्रमों पर नज़र रखने वाले विश्लेषकों और पार्टी के नीति निर्धारकों का मानना है कि मध्यप्रदेश का कार्यकर्ता देवदुर्लभ है और वह अंतिम समय में पार्टी के पक्ष में काम करने के भाव के साथ मैदान में उतर जाता है। इसलिए  नुक्सान नहीं होगा पर नीति निर्धारकों को पार्टी कार्यकर्ताओं की सुध लेने की ज्यादा जरूरत है। सत्ता पाकर पार्टी के नेता फूले नहीं समाते हैं पर कार्यकर्ता बेबसी से भर जाता है।

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