मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस का एक्सटेंशन गलत ?

जांच एजेंसी से नहीं लिया  गया विजिलेंस कलियरेंस

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation

मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को एक्सटेंशन गलत दिया गया है । सूत्रों के अनुसार एक्सटेंशन दिए जाने के पूर्व विजिलेंस क्लियरेंस नहीं लिया गया है ।

हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग का दल मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में मध्य प्रदेश विधानसभा 2023 की तैयारी की समीक्षा के सिलसिले में भोपाल आया था।  इस अवसर पर आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान खबर नेशन के संवाददाता ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 2 जून 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को लिखे पत्र का हवाला देते हुए प्रश्न किया था । उक्त पत्र में निर्देश दिए गए थे कि सेवावृद्धि प्राप्त अधिकारियों, पुर्ननियुक्ति प्राप्त अधिकारियों को चुनावी कार्य से हटाया जाए। 

इस मामले में गौरतलब पहलू है कि मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस भी एक बार नहीं दो बार सेवावृद्धि प्राप्त कर चुके हैं । इस प्रश्न का जवाब मुख्य निर्वाचन आयुक्त भारत सरकार ने मंच पर ना देते हुए अलग से संवाददाता को बताया कि मुख्य सचिव को सेवावृद्धि  प्रक्रिया के तहत दी गई है। ऐसा ही मामला दो अन्य राज्यों में भी हुआ है । जब उनसे पूछा गया कि इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की जा रही है तो उन्होंने कहा कि हम जवाब दे देंगे। 

सेवा वृद्धि दिए जाने के पूर्व विजिलेंस क्लीयरेंस नहीं

इस मामले को लेकर जब सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत भारत के सुप्रसिद्ध वकील अनुप जार्ज चौधरी से  निर्वाचन आयोग के पत्र और मुख्य निर्वाचन आयुक्त के कथन के बारे में चर्चा की तो उन्होंने बताया कि विगत दिनों जब वे मुख्य सचिव बैंस से संबंधित एक अन्य  मामले में मध्य प्रदेश के लोकायुक्त से मिलने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ गए थे तो उनकी बातचीत से ऐसा लगा की मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को सेवा वृद्धि दिए जाने के पूर्व विजिलेंस क्लीयरेंस नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त भारत का यह कहना गलत है कि सेवा वृद्धि प्रकू के तहत हुई है।

लोकायुक्त ने फोन काटा

इस मामले को लेकर मध्य प्रदेश के लोकायुक्त माननीय न्यायाधीश एन के जैन को फोन लगाया तो उन्होंने परिचय सुनकर बिना प्रश्न सुन ही धन्यवाद कहते हुए फोन काट दिया । 

सामान्य प्रशासन विभाग की प्रमुख सचिव (कार्मिक) का कहना

मध्य प्रदेश के  सामान्य प्रशासन विभाग की प्रमुख सचिव (कार्मिक)दीप्ति गौड मुखर्जी से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के नियम प्रक्रिया के तहत प्रस्ताव भेजा जाता है।  जब उनसे यह पूछा गया की क्या इसमें विजिलेंस क्लीयरेंस क्लेरेंस भी लिया जाता है तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रोविजन नहीं है।

चुनावी साल में रिस्क नहीं लेना चाहते शिवराज

दरअसल, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को 6 महीने बचे हैं। चुनावी साल के अगले 6 में बहुत महत्वपूर्ण होने वाले हैं। ऐसे में अगर कोई अन्य आईएएस को सीएस बनाया जाता तो संभव है कि वह प्रशासनिक व्यवस्था को कैसे संभालता? इसी चिंता से बचने के लिए शिवराज ने बैंस पर ही भरोसा जताया। इसलिए बैंस को अधिकारियों के बॉस संभालने का जिम्मा दिया गया है।

सरकार से नाराज हैं कई अधिकारी

मध्यप्रदेश के मंत्रालय वल्लभ भवन में पदस्थ कई अधिकारियों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को यह निर्णय पसंद नहीं आ रहा है। नवभारत टाइम्स डॉट कॉम से बात करते हुए कुछ अधिकारियों ने कहा कि प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया को करीब एक साल का एक्सटेंशन दिया गया है। यह गलत रीत निकल पड़ी है। इस एक साल में ऐसे कई अधिकारी रिटायर्ड हो जाएंगे जो कि मुख्य सचिव बन सकते थे या इसकी दौड़ में थे। अधिकारियों ने कहा कि एक ही अधिकारी को बार-बार परोपकृत करना गलत परंपरा को जन्म देगा।

इकबाल सिंह बैंस को जानें

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब 2005 में पहली बार कार्यकाल संभाला, तभी से 1985 बैच के आईएएस इकबाल सिंह बैंस पर उन्होंने भरोसा जताया। बैंस बेहद सख्त मिजाज के अफसर माने जाते हैं। कुछ वर्षों बाद बैंस शिवराज के प्रमुख सचिव बन गए। प्रशासनिक लिहाज से बैंस, चुस्त-दुरुस्त अधिकारी माने जाते रहे हैं। इसके बाद वे मध्य प्रदेश शासन में मुख्य सचिव बना दिए गए।

नवंबर में मची थी उथल-पुथल

दरअसल, इकबाल सिंह बैंस 30 नवंबर 2022 को रिटायर्ड हो रहे थे। तब प्रदेश में नए मुख्य सचिव के चयन को लेकर काफी गहमा-गहमी मची थी। मध्यप्रदेश में सीएस पद की दौड़ में केंद्रीय नियुक्ति पर पदस्थ अनुराग जैन का नाम सबसे उपर था। दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश में एसीएस मोहम्मद सुलेमान थे लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने पसंद के अधिकारी को मुख्य सचिव बनाना चाहते थे। शिवराज की पहली पसंद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ 1889 बैच के आईएएस अफसर अनुराग जैन थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुराग जैन को देने से मना कर दिया। इसके बाद शिवराज चाहते थे कि मोहम्मद सुलेमान को सीएस बनाया जाए लेकिन फिर उन्हें लगा कि प्रधानमंत्री शायद इस नाम को भी न टाल दें।

किसी भी तरह के संशय से बचते हुए शिवराज ने बैंस के कार्यकाल को ही छह महीने विस्तार का प्रस्ताव बना लिया था। यह प्रस्ताव डीओपीटी में जाकर फंस गया था। बाद में मामले में सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व्यक्तिगत तौर पर वहां पहुंचे और बैंस के रिटायरमेंट वाले दिन 30 नवंबर को उनका कार्यकाल 6 महीने बढ़ाने के आदेश जारी हो पाए।

सबसे बड़ा सर्वे :

मध्यप्रदेश का सबसे भ्रष्ट मंत्री कौन?

जवाब देगी जनता 

मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 में संभावित हैं। विपक्षी दल कांग्रेस मध्यप्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहा है। खबर नेशन यह नहीं कहता कि सभी मंत्री भ्रष्ट हैं।

जनता जनार्दन भी कई मंत्रियों के भ्रष्टाचार का शिकार हुई है। आखिर क्या है वस्तु स्थिति?

कौन है मध्यप्रदेश का भ्रष्ट मंत्री

जनता फैसला करेगी।

हम शीघ्र ही सर्वे प्रक्रिया आपके समक्ष चालू कर रहे है। आग्रह है आप खबर नेशन डॉट कॉम द्वारा करवाए जाने वाले सर्वे में अपना मत प्रकट करें। आपके निर्णय को प्रकाशित किया जाएगा लेकिन आपका नाम गोपनीय रखा जाएगा।

धन्यवाद

गौरव चतुर्वेदी

खबर नेशन

9009155999

Share:


Related Articles


Leave a Comment