मुरैना - श्योपुर लोकसभा विश्लेषण

चुनाव प्रचार थमा अब जातीय समीकरणों पर टिकी जीत - हार : मुरैना

KHABAR NATION

मुरैना (अर्पित शर्मा) 

देश में इस समय सबसे बड़ा महोत्सव चल रहा है और वह है लोकतंत्र में चुनाव का महोत्सव। इस महोत्सव के तीसरे चरण का चुनाव प्रचार रविवार को थम चुका है और प्रत्याशी अब जातीय समीकरणों को साधने में लग चुके हैं क्योंकि सोमवार का दिन ही बचा है जो उनके भाग्य को बदल सकता है।लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक चर्चित सीट मध्यप्रदेश के मुरैना - श्योपुर लोकसभा है इसका कारण है कि जहां भाजपा ने शिवमंगल सिंह को मैदान में उतारा है वहीं कांग्रेस ने भी भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को आगे किया है। अब दोनों ही दलों के प्रत्याशीयों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि दोनों ही समान जाति से आते हैं और मुरैना - श्योपुर लोकसभा तो है ही जातिवादी चुनाव के लिए मशहूर। 

कौन है प्रत्याशी

पिछली बार बीजेपी ने नरेंद्र सिंह तोमर को टिकट दिया तो वही कांग्रेस ने रामनिवास रावत को टिकट दिया, जिस वजह से कहीं ना कहीं भाजपा के लिए जीत आसान हो गई। 

मगर इस बार भाजपा ने नरेंद्र तोमर के करीबी कहे जाने वाले शिवमंगल सिंह तोमर को टिकट दिया है तो वहीं कांग्रेस ने जातिय समीकरणों को ध्यान में रखकर सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को टिकट दिया है तो हर बार की तरह बीएसपी भी पीछे नहीं रही और उसने मुरैना के नगर सेठ कहे जाने वाले के. एस. ऑयल कंपनी के मालिक रमेश गर्ग को टिकट दिया है। 

आसान नहीं बीजेपी के लिए जीत की राह

यूं तो पिछले 35 वर्षों से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है पिछले चुनाव में भी नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस के रामनिवास रावत से एक लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज कर ली थी। मगर इस बार भाजपा के लिए जीत की रहा आशा नहीं है क्योंकि भाजपा ने शिवमंगल सिंह को मैदान में उतारा है शिवमंगल सिंह पहले तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं मगर मात्र एक विधानसभा चुनाव जीत पाए थे और कहा जाता है, कि सिर्फ एक बड़े नेता के करीबी होने की वजह से उनको कृपा मिली हुई है। वहीं कांग्रेस ने जातिय समीकरण ध्यान मे रखकर सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को टिकट दिया है। नीटू का पारिवारिक राजनीतिक अनुभव लंबा रहा है उनके पिता गजराज सिकरवार सबसे पहले विधायक रहे फिर उनके बड़े भाई - भाभी ग्वालियर नगरनिगम पार्षद थे और खुद नीटू भी विधायक रहे हैं और सबसे बड़ी बात उनका सबका नाता पहले भाजपा से ही रहा है। अचानक उनका भाजपा से मोह भंग होने के कारण या यूं कहें की महत्वाकांक्षा पूरी न होकर अनदेखा किये जाने की वजह से उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया जिस वजह से उनके संबंध आज भी कई भाजपा कार्यकर्ताओं से हैं।

एक वजह यह भी है की भाजपा को भीतरघात की भी आशंका है। वही सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के लिए बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रमेश गर्ग बनकर सामने आए हैं, क्योंकि रमेश गर्ग वैश्य समाज से आते हैं और वैश्य समाज का वोट अभी तक पूर्ण रूप से भाजपा के साथ चलता था जिस वजह से भाजपा बड़ी आसानी से जीत दर्ज करती थी।

मगर इस बार क्योंकि उनके समाज का व्यक्ति और शहर के कुबेर कहे जाने वाले रमेश गर्ग मैदान में आ गए जिस वजह से वैश्य वर्ग का वोट बीजेपी से खिसकता नजर आ रहा है।

वही दलित और एससी एसटी का वोट बैंक इस बार यहां भाजपा पर पूर्ण रूप से न रहकर अपनी पुरानी पार्टी बीएसपी पर लौटता दिख रहा है। वही कहा जाता है कि मुस्लिम वोट तो कभी बीजेपी को मिलता ही नहीं। रही बात क्षत्रिय वोट की तो दोनों तरफ क्षत्रिय प्रत्याशी होने की वजह से वह वोट भी दोनों भागों में बट गया अब सबकी नजर ब्राह्मण वोट पर है क्योंकि ब्राह्मण यहां ढाई लाख से अधिक मतों के साथ अपना हस्तक्षेप रखते हैं मगर पिछले विधानसभा चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर को जिताने के लिए जो क्षत्रिय - ब्राह्मणो में लड़ाई झगड़े हुए उस वजह से ब्राह्मण समाज अभी तक नाराज है और भाजपा से दूरी बनाए बैठा है। अब यह समाज तीनों में से किस प्रत्याशी को समर्थन देता है यह चुनाव परिणाम में पता चलेगा। 

मंगल किसके लिए होगा अमंगल पता चलेगा 4 जून को

तीसरे चरण का चुनाव प्रचार थम चुका है और 7 मई मंगलवार के दिन मतदान होना है मगर जिस तरह अभी तक के चरणों में मतदान का प्रतिशत गिरता नजर आया है उस वजह ने शासन - प्रशासन के साथ-साथ प्रत्याशियों की भी नींद उड़ा रखी है जहां एक और प्रशासन तरह-तरह की स्कीम, जन जागरण और भी बहुत से कार्य कर रहा है ताकि लोग घरों से निकलकर वोट डालने आए वहीं प्रत्याशी भी अपने-अपने तरीके से प्रचार कर रहे हैं। वहीं गिरते हुए मतदान प्रतिशत को देखकर भाजपा ने तो यह कह दिया है कि हमारा कार्यकर्ता और हमको पसंद करने वाली जनता तो वोट डाल रही है, जो प्रतिशत कम हो रहा है वह कांग्रेस का वोट बैंक है जो घरों से नहीं निकल रहे। वहीं दूसरी तरफ भीषण गर्मी को भी मतदान प्रतिशत कम होने की वजह बताया जा रहा है। अब 7 मई मंगलवार का दिन है और हिंदुओ मे इस दिन को हनुमान जी की आराधना का दिन बताया जाता है  तो अब देखना यह है कि किस पर हनुमान जी अपनी कृपा करेंगे और 4 जून को परिणाम में किसका मंगल होगा तो किसका मंगल यानी कौन जीतेगा और कौन हारेगा ?

अर्पित शर्मा

राजनीतिक विश्लेषक

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