अमित शाह , जेपी नड्डा से लेकर शिवराज और विष्णु भी नहीं समझ पाए ? 

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation

भारतीय जनता पार्टी में चाणक्य माने जाने वाले देश के गृहमंत्री अमित शाह ,  राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश,  क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल,  केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव , केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव,  केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर , मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सहित पार्टी के राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक दिग्गज संगठन की पल्स पकड़ पाने में असफल रहे हैं। भाजपा के डैमेज कंट्रोल के प्रयास फेल होते नजर आ रहे हैं । आखिर क्यों ? अगर साल भर पहले मध्य प्रदेश के शीर्षस्थ नेता भाजपा के देव दुर्लभ कार्यकर्ताओं की पीड़ा को समझ गए होते तो आज पार्टी के अनेकों वरिष्ठ नेता पार्टी नहीं छोड़ते या सार्वजनिक तौर पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए नजर नहीं आते । 

यह सब आज इसलिए लिख रहा हूं , क्योंकि सोशल मीडिया फेसबुक पर आज ही के दिन लिखी गई खबर " अपेक्षित कार्यकर्ता की अनापेक्षित मौत " शीर्षक से खबर सामने नहीं आती। उपशीर्षक था  " सचमुच शिव सा सरल, क्रोधी ,भोला और निष्ठावान था उमेश शर्मा । उक्त समाचार राजनीति में लगातार योग्यता के दमन और भाजपा द्वारा राजनीतिक संभावनाओं को खो देने वाले प्रवक्ता उमेश शर्मा की मौत से संबंधित था ‌। आज भी भारतीय जनता पार्टी में उमेश जैसे ढ़ेरों कार्यकर्ता हैं जिन्होंने अपने खून-पसीने से पार्टी को सींचा और विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया।  आज वे उपेक्षित हैं । या तो वे घुट घुट कर मौत का इंतजार कर रहे हैं या फिर वह पार्टी छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं।  इसलिए उक्त समाचार का शीर्षक अमित शाह, जेपी नड्डा से लेकर शिवराज, विष्णु भी नहीं समझ पाए ?  दिया है

अमित शाह - माइक्रो मैनेजमेंट के माहिर माने जाते हैं । देश के गृहमंत्री अमित शाह को योजनाओं के क्रियान्वयन में जितनी महारत हासिल है उतनी ही बड़ी कमजोरी आम कार्यकर्ता जो देव दुर्लभ माना जाता है की पीड़ा को समझ पाने में असफल होना है।  हालांकि हाल ही के मध्य प्रदेश के दौरों से कार्यकर्ताओं की पीड़ा को समझने की कोशिश की है लेकिन यह कदम देर से उठाया हुआ महसूस हो रहा है । अभी तक भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अमित शाह को जो फीडबैक सौंपा है या तो वह गलत है या फिर उसे समझ पाने में अमित शाह असफल रहे। 

जेपी नड्डा - भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का मध्य प्रदेश से पारिवारिक संबंध है । नड्डा की ससुराल जबलपुर है।  भाजपा की वरिष्ठ नेत्री रही जयश्री बनर्जी की बेटी उन्हें ब्याही है।  इस लिहाज से मध्य प्रदेश के अनेक छोटे-बड़े नेता नड्डा के सीधे संपर्क में रहे हैं । इसके बाद भी नड्डा का मध्य प्रदेश के हालात से अनभिज्ञ रहना या जानबूझकर हालत ना स्वीकारना ही माना जाएगा। 

 शिव प्रकाश - भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश को भारतीय जनता पार्टी ने लगभग 3 साल पहले मध्य प्रदेश का प्रभार सोप था।  इसी के साथ ही शिव प्रकाश का बेस कैंप भोपाल तय किया गया था । विगत सालों में शिव प्रकाश ने मध्यप्रदेश में बूथ विस्तारक , मतदाता संपर्क , मंडल प्रशिक्षण , हारी सीटों का जिम्मा बड़े नेताओं को सौंपना , सत्ता और संगठन में तालमेल, विधानसभा वार कार्यकर्ता सम्मेलन , नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश सहित अनेक कार्यक्रमों की रूपरेखा ही नहीं बनाई अपितु स्वयं भी जमीन पर उतरकर कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित किया । इसके बावजूद परिणाम जस के तस रहे। 

अजय जामवाल - क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जमवाल भी काफी लंबे समय से मध्य प्रदेश भाजपा संगठन में सक्रिय हैं।  शिव प्रकाश के कार्यक्रमों से तालमेल बिठाते हुए संगठन के साथ कदमताल किया।  इस दौरान पार्टी के अनेक नाराज ,असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने मध्य प्रदेश भाजपा संगठन और सत्ता के शीर्षस्थ नेताओं सहित जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारीयों के आचरण और कार्य संस्कृति को लेकर शिकायत की । समय रहते नियंत्रित कर पाने में जामवाल असफल साबित हुए । 

विष्णु दत्त शर्मा - अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भाजपा संगठन में भेजे गए विष्णु दत्त शर्मा को मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया।  अध्यक्ष बनाए जाने के कुछ समय बाद मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता परिवर्तन करने में सफलता हासिल कर गई।  शर्मा बूथ के बहाने आम कार्यकर्ताओं से संपर्क करने की कोशिश करते रहे लेकिन मध्य प्रदेश भाजपा और शिवराज सरकार के बीच तालमेल बिठा पाने में असफल साबित हो गए। इसका एक सबसे बड़ा कारण उनकी स्वयं की महत्वाकांक्षा रही ।  उन्हें आस थी कि मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो वे मुख्यमंत्री बन सकते हैं। शर्मा शिवराज के खिलाफ चलने वाले असंतुष्ट नेताओं के अभियान को हवा देते रहे । 

शिवराज सिंह चौहान - चौथी बार मुख्यमंत्री बनकर शिवराज सिंह चौहान के समक्ष सबसे पहली मुसीबत विश्व व्यापी कोरोना संक्रमण रहा । उसके बाद सिंधिया गुट से तालमेल बिठाने में शिवराज जुटे रहे। इसी दौरान मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में आधा दर्जन नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार बनकर उभरे। ये दावेदार शिवराज की राह में कांटे बिछाते रहे और शिवराज इन कांटों को निकलने में व्यस्त रहे। जिसके चलते उनका आम कार्यकर्ताओं से संपर्क टूट गया और वह बुरी तरह असफल साबित हो गए।

हालात को समझते हुए देश के गृहमंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय रेल  मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को प्रमुख जवाबदारी सौंप दी।  भूपेंद्र यादव को प्रभारी और अश्विनी वैष्णव को सह प्रभारी बनने के साथ ही नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंधन की जवाबदारी सौंपी गई। तोमर मध्य प्रदेश के नेता हैं । शिवराज के संकटों में कई बार साथ रहकर मुसीबत से बाहर निकाल कर लाए हैं लेकिन इस बार उनका जादू असफल होता हुआ नजर आ रहा है । अगर विगत दिनों के हालात देखे जाएं तो मध्य प्रदेश के कई कद्दावर नेता जो अपने-अपने क्षेत्र ,जिले और संभागों में प्रमुख नेता के तौर पर जाने जाते हैं भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने पर मजबूर हो गए।

सबसे बड़ा सर्वे :

मध्यप्रदेश का सबसे भ्रष्ट मंत्री कौन?

जवाब देगी जनता 

मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 में संभावित हैं। विपक्षी दल कांग्रेस मध्यप्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहा है। खबर नेशन यह नहीं कहता कि सभी मंत्री भ्रष्ट हैं।

जनता जनार्दन भी कई मंत्रियों के भ्रष्टाचार का शिकार हुई है। आखिर क्या है वस्तु स्थिति?

कौन है मध्यप्रदेश का भ्रष्ट मंत्री

जनता फैसला करेगी।

हम सर्वे प्रक्रिया आपके समक्ष चालू कर रहे है । दी गई लिंक पर अपना मत देकर सर्वे प्रक्रिया में भाग ले  । आग्रह है आप खबर नेशन डॉट कॉम द्वारा करवाए जाने वाले सर्वे में अपना मत प्रकट करें। आपके निर्णय को प्रकाशित किया जाएगा लेकिन आपका नाम गोपनीय रखा जाएगा।

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धन्यवाद

गौरव चतुर्वेदी

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