वाह कमलनाथ वाह ...!

 

दबाबनाथ या विफलनाथ ?

खबर नेशन / Khabar Nation

कल रात मध्यप्रदेश सरकार के एक आदेश के बाद वाह कमलनाथ वाह करने का मन हो उठा । मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर विफलनाथ होते जा रहे कमलनाथ को देखकर आह ही निकल पड़ी। समझ नहीं आ रहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं या दबाबनाथ या विफलनाथ ?
सवाल मौजू इसलिए है कि कल देर शाम मुरैना के पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल को हटा दिया गया । रियाज इकबाल का   कसूर मात्र इतना है कि टोल बैरियर पर अंधाधुंध गोली करने के आरोप में कांग्रेस विधायक  ऐँदल  सिंह  कंसाना की बेटे पर  मुक़दमा दर्ज कर लिया ।

अब दूसरे घटनाक्रम का जिक्र देखिए सतना जिले के चित्रकूट से दो मासूमों प्रियांश और श्रेयांश  का अपहरण और उसके बाद उनकी  हत्या कर दी गई।   इस मामले में आरोपियों ने फिरौती वसूलने के बाद मासूमों की हत्या की ।   पुलिस की लापरवाही पूर्ण भूमिका , मिलीभगत या अक्षमता पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। बच्चों के पिता ने तो सीधे पुलिस पर अपराधियों के साथ मिलीभगत और लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले में डीजीपी से 12 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है। लेकिन कारवाई के लिए 12 दिन का इंतजार क्यों? एक आम आदमी की नजर से भी सोचें तो पुलिस की कार्यवाही में लापरवाही के यह बिंदु साफ नजर आते हैं... वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र शर्मा की फेसबुक पोस्ट के अनुसार

 लापरवाही इतनी की ख़ुदा भी माफ न करे
1 ...नजदीकी रिश्तेदारों परिचितों से पूछताछ नहीं
2 ..ट्यूशन टीचर पर कोई शक नहीं
3.. घर घर तलाशी के कोई प्रयास नहीं
4 ... बच्चो के पिता का फोन सर्विलांस पर नहीं
5 ..पिता को एक ही जगह से अलग अलग नंबर से कॉल किये जा रहे थे पर उन नंबरों से कोई पूछताछ नहीं 
6.. नाक के नीचे दो दिन रखा। नाक के नीचे से निकाल ले गए 
7 ..फिरौती का पैसा उत्तर प्रदेश चला गया और पता न चला 
8 ..भगवान भरोसे रहे, एक जागरूक नागरिक गाड़ी का फोटो नही खिंचता तो पकड़ में भी न आते 
9 ..संदिग्ध और उसके पिता से पूछताछ बहुत सामान्य तरह से
10 .. डीजीपी ने बारह दिन में घटना स्थल का दौरा तक नही किया
11.. पूरे 12 दिन सरकार ने कोई सख्ती के निर्देश नहीं दिए
12.. संदिग्ध ने जिस तरह अपहरण किया उससे साफ था कि बहुत नज़दीकी द्वारा अपहरण किया गया, फिर भी किसी पर शक नहीं
13 ..यूनिवर्सिटी से या शहर से अचानक गायब छात्रों की कोई तस्दीक नहीं
14 ..कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं था तब ऐसे नौसिखियों को पुलिस पकड़ न पाए तो गंभीरता समझी जा सकती है 

आईने की तरह साफ लापरवाही के ये बिंदु लापरवाहों पर कार्रवाई के लिए पर्याप्त आधार है। यदि आप वास्तव में ऐसे नर पिशाचो के प्रति गंभीरता बरतने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करना चाहते हैं तो तत्काल कीजिए।

दोनों घटनाक्रम को देखने के बाद स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ स्वयं   
किस प्रकार पुलिस की कार्यप्रणाली का आकलन कर रहे हैं ।


 आमतौर पर तबादलों को सामान्य प्रशासनिक  प्रक्रिया और सेवा काल का अनिवार्य अंग कहा जाता है लेकिन जब किसी पुलिस अधिकारी को सत्ताधारी पार्टी के नेता पुत्र के खिलाफ मामला दर्ज करने पर हटा दिया जाए तो फिर सरकार की नीति और नीयत पर सवालिया निशान खड़े होना लाजमी है। बमुश्किल डेढ़ महीने पहले मुरैना जिले की कमान संभालने वाले एसपी रियाज इकबाल के तबादले ने कानून का राज स्थापित करने की सरकार की घोषित नीति की मंशा पर  प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।

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