नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह नजरबंद

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डी जी पी का रंग या कुछ और

हाल ही में पुलिस मुख्यालय में साफ्ट माने जाने वाले मध्यप्रदेश पुलिस के महानिदेशक सुधीर सक्सेना के कड़े तेवरों का रंग देखने मिला। बड़ी मुश्किल से अपने अधिकारों को प्राप्त कर पाए डीजीपी साहब ने निचले स्तर के भ्रष्ट, लापरवाह और उद्दंड किस्म के अफसरों को दण्डित करने को लेकर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी कर दिए। सुना है चार पांच अफसरों को वर्तमान पदस्थापना से दूर करते हुए विपरीत इलाकों में जिलाबदर कर दिया। अब डीजीपी के स्वभाव को लेकर चर्चा है कि यह डीजीपी साहब का रंग है या कुछ और।

नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह नजरबंद

मध्यप्रदेश के राजनीति में शेरों की संख्या कम है। ऐसे ही कांग्रेस में शेर माने जाने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह को चंबल इलाके में नजरबंद कर दिया गया है। नजरबंद ना सरकार ने किया और ना ही भारतीय जनता पार्टी ने। डॉ गोविंद को नजरबंद बेटा बहू ने कर दिया है। मामला डॉ गोविंद सिंह के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। नजरबंदी में बाहर आने जाने पर पाबंदी है और मोबाइल भी जब्त कर लिया गया है। सीमित समय के लिए मोबाइल खोला जाता है और आवश्यक फोनों पर बात कराई जाती है। शेर जल्दी स्वस्थ हो ऐसी कामना करते हैं।  वरना राजनीति में शेर को बिल्ली बनने में देर नहीं लगती।

ऐसा कैसा बदला ?

कभी भाजपा सरकार में रसूख की तूती बोलती थी। अपने मुनाफे को कम कर सिर्फ इस जिद पर एक टेंडर हासिल किया कि टर्न ओवर बड़ा होगा तो बड़े टेंडर हासिल करने में आसानी रहेगी। फिर कंपनी से दूरी बना ली। सरकार बदली कांग्रेस के शासनकाल में तो और सूर्य की चमक तेज हो गई। सबकी मदद की। फिर निजाम बदला तो जिस शिवराज सरकार के दरवाजे चौबीस घंटे तीन सौ पैंसठ दिन खुले रहते थे अचानक बंद हो गये। वजह रही कि कंपनी पर कांग्रेस का मजबूत ठप्पा लग गया और इसी धंधे में शामिल भाजपा के एक मंत्री ने शिवराज के खिलाफ जो मोर्चा खोला तो शिव घबरा गये।

वास्तु ने बनाई दूरी

मध्यप्रदेश कांग्रेस कार्यालय को जोरदार तरीके से नवसुसज्जित किया जा रहा है। कई पदाधिकारियों के कक्ष में बदलाव किया गया है। अब इनमें से कुछ ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर चाय की गुमटियों पर ठिकाना बना लिया है। वजह कांग्रेस से दूरी की नहीं बल्कि तलघर के नव आवंटित कक्ष में मोबाइल सिग्नल ना मिलने की है। बार बार ऊपर आना पड़ता था सो चाय की गुमटी को ठिकाना बना लिया।

मंत्री और कांग्रेस के ताकतवर विधायक के मीडिया सलाहकार एक

सुबह-सुबह मंत्री जी को राजनीतिक मामलों में बयानबाजी का मश्विरा देकर मीडिया सलाहकार का रुख कांग्रेस के एक ताकतवर विधायक के घर की और हो जाता है। कांग्रेस के इस विधायक को भी राजनीतिक मामलों में बयानबाजी की सलाह दी जाती है। चंबल के मंत्री जी और कांग्रेस के ताकतवर विधायक की दोस्ती बरसों से जगजाहिर है। यह बात दोनों जानते हैं कि मीडिया सलाहकार का दबदबा एक दूसरे के बंगले में है। इसके बाद भी काम और दोस्ती बदस्तूर जारी है।

सेंट्रली एयर कंडीशनर फिर भी दफ्तर में दो एसी

मध्यप्रदेश के एक आयोग के दफ्तर को सेंट्रली एयर कंडीशनर से सुसज्जित किया गया है। हांलांकि दफ्तर में पहले से एसी लगे हुए थे। ठेकेदार के साथ तय हुआ कि दफ्तर में जो एसी लगे हैं उन्हें सेंट्रली सिस्टम से जोड़ दिया जाएगा। कुछ विवाद के चलते ऐसा हो नहीं पाया। सरकार की वित्तीय सेहत को सुधारने वाले ताकतवर आय ए एस अफसर को जब सेवानिवृति के बाद यहां पदस्थ किया गया तो उन्होंने अपने कक्ष में दो एसी लगवा लिए। अब साहब का अंदाज देखने लायक है। खिड़की दरवाजे खुले रहते हैं और फुलस्पीड पर दोनों एयर कंडीशनर चलते रहते हैं।

प्रोटेम स्पीकर की सीट खतरें में

मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर का पद दो या तीन दिन के लिए होता है। विधायकों को शपथ दिलाकर इस पद की उपयोगिता समाप्त मानी जाती है। वजह नया पूर्णकालिक विधानसभा अध्यक्ष चुन लिया जाता है। पहली बार मध्यप्रदेश में प्रोटेम स्पीकर के रसूख को स्थापित करने का काम भोपाल के भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने किया है। कांग्रेस की सरकार को गिराने के घटनाक्रम के बाद भाजपा की सरकार बनी। रामेश्वर शर्मा को प्रोटेम स्पीकर बना दिया गया। सुनने में आ रहा है कि रामेश्वर की सीट खतरें में है। सुरक्षित सीट हूजूर से चुनकर आते रहे रामेश्वर को कांग्रेस की सुरक्षित सीट उत्तर भोपाल से उतारने की रणनीति भाजपा के एक बड़े नेता के मन में है। वजह बड़े नेता के सपने बड़े बड़े है और उन्हें सुरक्षित सीट की दरकार है। रामेश्वर शर्मा ठहरे उग्र हिंदुत्व वाले चेहरे सो उन्हें उत्तर भोपाल उतारकर हिंदू मुस्लिम कार्ड की राजनीति की जा सकती है।

मध्यप्रदेश का सबसे अमीर आदमी भी वास्तु से परेशान

मध्यप्रदेश के सबसे अमीर आदमी दिलीप बिल्डकॉन के मालिक दिलीप सूर्यवंशी इन दिनों वास्तु के कारण परेशान हैं। भोपाल और दिल्ली की मेट्रो रेल परियोजना के निर्माण कार्य में भागीदारी है। यूं तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बालसखा हैं। सत्ता में तूती बोलती थी। बड़े बड़े आय ए एस और आय पी एस अफसरों के साथ साथ कई मंत्री और दिग्गज राजनेता दिलीप सूर्यवंशी के दरबार में हाजिरी बजाते रहे हैं। अब देखकर कन्नी काट जाते हैं। सिर्फ सत्ता के गलियारों में ही पकड़ कम नहीं हुई। आर्थिक तौर पर भी झटके पर झटके लग रहे हैं। मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा आई पी ओ लाने वाले दिलीप सूर्यवंशी की कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। वजह भोपाल में बनाई फाइव स्टार होटल का वास्तु बताया जा रहा है। कैचमेंट की भूमि पर तानी गई होटल के शुभारंभ के बाद ही हालात बिगड़े हैं।


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