"हमसे आया न गया, तुमसे बुलाया ना गया, फासला प्यार का......

संस्कारधानी जबलपुर की बातें वरिष्ठ पत्रकार चैतन्य भट्ट की कलम से कहो तो कह दूं ।
खबर नेशन / Khabar Nation

कितना और लूटोगे इनको
अपनी मध्यप्रदेश सरकार का रोल समझ से बाहर है,कभी वो दरुओं के लिए इतना बड़ा दिल कर देती है कि लगता है कि उसको दुनिया में दरुओं से ज्यादा और किसी से मोहब्बत नहीं है और कभी दरुओं को ऐसी अलसेठ देती है कि वो बेचारे सोचते ही रह जाते हैं कि हमसे ऐसा क्या गुनाह हो गया कि सरकार ने ये कर दिया । अभी अभी पता लगा है कि सरकार ने अंग्रेजी और देसी शराब दोनों की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है। अंग्रेजी शराब 10 फ़ीसदी महंगी हो गई है तो देसी शराब मैं 14 फीसदी का इजाफा हो गया, अब आप ही बताओ एक बार में इतना इजाफा कौन सी चीज में होता है ? अरे भाई दो तीन परसेंट बढ़ा देते तो उनको कोई फर्क न पड़ता लेकिन एक ही झटके में 10 से लेकर 14 फीसदी की बढ़ोतरी ये तो सरासर अन्याय है। वैसे भी शराब दुकानों के बगल के अहाते बंद करके आपने उन पीने वालों को पहले ही बर्बाद कर दिया वरना आराम से दारू लेते थे और बगल के हाल में बैठकर पी लेते थे ,अब कहीं किसी पुलिया के नीचे, तो कहीं झाड़ के पीछे, कहीं खाली पड़े मैदान में, तो कहीं किसी मकान की आड़ में, तो कहीं किसी की छत पर पैग सुलटा रहे हैं उस पर दाम बढ़ाने का यह सितम, कम से कम उन लोगों पर तो दया दृष्टि डाले सरकार जिनके दम पर उसका खजाना भर रहा है, अरबों रुपया दरुओं की जेब से निकालकर अपने खजाने में डाल रही है सरकार और उन्हीं पर ये सितम ये नाइंसाफी नहीं तो क्या है, अपनी तो यही मांग है कि इन रिंदों की चिंता सरकार को करना चाहिए अगर वे बिचारे कुछ नहीं बोलते हैं, विरोध नहीं करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि आप उन पर सितम पर सितम ढाते जाएं । अभी भी मौका है ये जो रेट बढ़ाए हैं उन्हें कम कर दें क्योंकि किसी भी शराब प्रेमी की अंतरात्मा से निकली आह खतरनाक होती है यह सरकार को समझ लेना चाहिए ।
पैसा ही तो सब कुछ है
कुछ दार्शनिक कहते हैं कि पैसे के पीछे मत भागो, सब कुछ यहीं रह जाएगा जिस दिन आप इस दुनिया से उठ जाओगे पैसा हाथ का मैल है। अब इन दार्शनिकों को कौन समझाए कि भैया जब दुनिया से उठेंगे तो उठेंगे लेकिन जब तक दुनिया में है तब तक तो पैसा चाहिए और यह बात एक सर्वे में साबित भी हो गई है कि पैसा ही इंसान के जीवन में खुशियां लाता है, इस सर्वे में ये पता लगा कि भारत के जिस राज्य में प्रति व्यक्ति आय ज्यादा है वो खुशियों की रैंक में सबसे ऊपर यानी टॉप पर है । 45 परसेंट से ज्यादा लोग यह मानते हैं कि पैसा ही खुशी देता है क्योंकि जब जेब में माल रहता है तो चेहरे पर चमक आ जाती है ,शरीर में फुर्ती आ जाती है, चाल में तेजी आ जाती है और मन खुशी से झूमने लगता है, लेकिन कुछ लोग जिनके पास माल नहीं होता वे कह रहे हैं कि पैसा खुशी नहीं लाता। चार परसेंट लोग ये मानते हैं पैसे से खुशी का लेना देना नहीं ।अपने हिसाब से तो पैसा खुशी ही खुशी देता है जो मर्जी खरीद लो, जहां मर्जी घूमने चले जाओ, बीवी को बच्चों को उनकी इच्छानुसार सामान खरीद कर दे दो,बड़ी गाड़ी खरीद लो, हवाई जहाज में यात्रा कर लो, फाइव स्टार में खाना खा लो यानी सारे भौतिक साधन यदि किसी चीज से मिल सकते हैं तो वो है पैसा, इसलिए जो यह कह रहे हैं कि पैसे से खुशी का कोई लेना देना नहीं उनके पास माल नहीं है इसलिए उनको खुशी का मतलब ही नहीं समझ में आ रहा, वैसे भी यह कहा गया है कि "पैसा खुदा नहीं लेकिन खुदा से कम भी नहीं"
सुपरहिट ऑफ द वीक
श्रीमान श्रीमती जी के बीच जमकर झगड़ा हुआ । श्रीमान जी एक सत्संग में चले गए जब वापस आए तो श्रीमती जी ने पूछा
"कहां गए थे"
"प्रवचन सुनने"
"कुछ असर हुआ "श्रीमती ने पूछा
श्रीमान जी ने श्रीमती जी को गोद में उठा लिया श्रीमती शरमाते हुए बोली "क्या प्रवचन में रोमांस करने के लिए कहा है"
"नहीं महात्मा जी का कहना है कि अपने दुख खुद ही उठाओ"
श्रीमान जी ने लंबी सांस छोड़ते हुए कहा ।
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गौरव चतुर्वेदी
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