पूर्व प्रदेशाध्यक्ष की हिचकी

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पूर्व प्रदेशाध्यक्ष की हिचकी

भगवा पार्टी में राजनीतिक वनवास झेल रहे पूर्व प्रदेशाध्यक्ष हिचकियों से परेशान थे। वैसे तो हिचकियां तभी आती हैं जब कोई याद करता है। वैसे भी भाजपा के अंदरूनी हालात किसी से छुपे हुए नहीं हैं सो यह विचारणीय है कि आखिर पूर्व प्रदेशाध्यक्ष को जोर शोर से याद कौन कर रहा था। सत्ता या संगठन।? पर मामला खुलकर तब  नज़र आ गया जब पोकरण विस्फोट में ध्वस्त करने वाले नेताजी का खासुलखास उनके साथ एक डेढ़ घंटे वर्तमान राजनीति पर बात करता रहा । वजह है गद्दी पर बने रहना। राजनीतिक कौशल के धनी पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अपनी बात पर अडिग रहे और मनचाहा खुलासा नहीं किया। वजह राजनीतिक कौशल था या  बागेश्वर धाम वाले बाबा की कृपा । उनकी हिचकियां ठीक हो चुकी थी।

 

चीता और खरगोश में अदावत

 

हैं तो वे प्रशासन के मुखिया सो उन्हें जंगल का राजा शेर की पदवी से नवाजना गलत रहेगा। वर्तमान दौर चीतों का चल रहा है सो यह ज्यादा ठीक रहेगा। बात मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की है। उन्होंने एक अदने से खरगोश के ऊपर नजरें टेढ़ी कर ली है। खरगोश आबकारी विभाग का एक सहायक आयुक्त स्तर का अधिकारी है। पहले संबंध मधुर थे । सीधे सीधे नहीं प्रदेश के नामवर ठेकेदार के सहारे जिनकी शासन प्रशासन में तूती बोलती थी। शिवराज के पहले कार्यकाल से लेकर कांग्रेस की सरकार गिरने तक ठेकेदार की भरपूर पूछपरख रही। शिवराज ने सरकार बनते ही बदले तेवरों का हवाला दे दिया। सो ठेकेदार की पूछपरख भी कम हो गई। किसी मामले को लेकर सहायक आबकारी आयुक्त पर गाज गिर गई और मलाईदार पोस्टिंग जाती रही। बेचारे हर रोज मलाईदार पोस्टिंग के लिए  मेहनत करते हैं लेकिन बैंस साहब हर मेहनत पर पानी फेर देते हैं। वजह आबकारी में पत्ता भी इकबाल की मर्जी के बिना नहीं हिलता। कुछ करने की तर्ज पर मीडिया में अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्री के खिलाफ प्रचार अभियान जरुर चलाते रहते हैं। सो दुश्मन बढ़ते जा रहे हैं।

समधी के घर पहरा

भोपाल की एक पाश कालोनी में एक बंगले पर अचानक पुलिस ने पहरा कड़ा कर दिया है। मामला किसी भी प्रकार की  असामाजिक हरकतों से जुड़ा हुआ नहीं है। एक वरिष्ठ राजनेता के छोटे पुत्र की ससुराल बनने जा रहा है उक्त बंगला। बताया जाता है कि उक्त नेता जी के पुत्र और बहु साथ साथ विदेश से शिक्षा ग्रहण कर आए हैं।

कुछ तो गडबड है

भले ही सरकारी प्रचार विभाग पर शिवराज का कब्जा हो लेकिन संगठन के मीडिया विभाग में वे अपनी पैठ नहीं बना पा रहे हैं। छोटी सी छोटी उपलब्धि पर सरकारी मीडिया तंत्र ढ़ेर सारी वीडियो क्लीपिंग और फोटो जारी कर देता है। संगठन की बैठकों में शामिल होने के बाद कभी कभी ही संगठन का मीडिया विभाग एकाध फोटो जारी कर पाता है। अब इसे गलती कहें या पनपी हुई दूरियां यह तो विष्णु शिवराज ही जानते हैं।

रहस्यमयी चुप्पी

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमलों का मौका नहीं छोड़ने वाले कांग्रेस के प्रदेश स्तर के बड़े नेता इंदौर के दर्दनाक हादसे पर सीधे सीधे बोलने से बचते नजर आए। सरकारी तंत्र और भाजपा नेताओं के गठजोड़ पर पूरी कांग्रेस खुलकर बोली। लेकिन दोषी कब्जाधारी और अवैध निर्माण कर्ता के खिलाफ बोलने से बचती नजर आई। वजह सिर्फ और सिर्फ सरकारी तंत्र की खामियों को उजागर करने का मसला नहीं था। कमलनाथ के एक करीबी का आग्रह था कि दोषी ट्रस्टियों के खिलाफ नरमी रखी जाए । सो एक ट्रस्टी की टांग टूटने और स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देकर मौन साधा गया।

मंत्री जी का 50 लाख का पैकेज

चुनावी साल में हवा अपने पक्ष में रखने के लिए एक मंत्री जी ने पचास लाख का पैकेज खरीद लिया है। भोपाल के एक नये मीडिया समुह के साथ डील फाइनल भी हो चुकी है। यह समुह मंत्री जी की इमेज को बढ़ाने के लिए दिन रात काम करेगी।

भा गई अदा

रियासती परिवारों में सियासी झगड़ों की कथाएं सामने आती रही हैं। उदाहरण सिंधिया घराने का है मां- बेटा , भाई -बहन, बुआ -भतीजे की राजनीतिक तल्खियां सड़क तक पर नजर आ गई । ऐसे में एक सामान्य परिवार में राजनीतिक मौका देने का मामला मन को सुकून दे गया। राजनीति के कद्दावर नेता रहे स्वर्गीय सुभाष यादव की प्रतिमा अनावरण समारोह के अवसर पर पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव अपने छोटे भाई विधायक सचिन यादव को आगे बढ़ाते हुए नजर आए। बात अतिथियों के स्वागत सत्कार में संस्कारों की थी या अपने अनुज को आगे बढ़ाने की पर उपस्थित जनसमुदाय को भाती रही।

चार IPS डरे डरे

मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में भारतीय पुलिस सेवा के कई अफसरों के तबादले किए हैं। चार अधिकारी डरे डरे नज़र आ रहे हैं और अपनी नई पद-स्थापना की कोशिश में हैं । शरीर सौष्ठव की मुद्रा में फोटो खिंचवाने वाले अफसर तो इतने डरे हुए हैं कि नई जगह पर आमद तक नहीं दी। वजह आगामी चुनाव है। सरकार और भाजपा संगठन इस सीट पर जबरदस्त मेहनत कर रही है। सामने वाला नेता भी कमजोर नहीं है। अफ़सर को डर है सरकार का मनचाहा करा तो ये वाले नेताजी नहीं छोड़ेंगे और मनचाहा नहीं किया तो सरकार परेशान करे बिना नहीं मानेगी। सो इधर उधर होने की फ़िराक में हैं ।

 

 

कभी सोचा ना था कि आप सब के स्नेह से हम इस कदर सराबोर होंगे...इस सफर या यूं कहें पड़ाव के मार्ग में "कंटीले बाणों" और ठोकरों का आभास आपके मनोबल और प्यार ने महसूस होने ही नही दिया, यही मूल पूंजी रही हमारी... 6 अप्रेल 2012 को बुंदेलखंड की अयोधया ओरछा के रामराजा सरकार के आशीर्वाद से खबर नेशन का सफर मील का पत्थर साबित होता जा रहा और अब 12 वें पड़ाव पर निकल रहा है... कमियां रही होंगी मुझमें,लेकिन आपके नजरिये ने अच्छाइयों को सराहा और संबल बढ़ाया.. सुधार के साथ आपकी अपेक्षा अनुरूप बेहतर करने में सार्थक रहूँ यही प्रेरणा और संकल्प साध्य करने में चट्टान बने रहें, यह आग्रह करता रहूंगा.. इसी संकल्प के साथ आप सबके मनोबल के साथ मार्ग प्रशस्त हो यही अपेक्षा रखता हूँ... सादर .. सस्नेह का आकांक्षी... 

 

ये जमी आपकी ये गगन आपका 

बस चलने दौड़ने उड़ने का हौसला दे 

आपका 

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