भोज विश्वविद्यालय में कोई नियम कानून नही, भ्रष्ट राज कायम

भोपाल। मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल में कोई नियम कानून नहीं बल्कि कुलपति जयंत सोनवलकर का राज कायम है। मामला छात्रों का हो या शिक्षक एवं शैक्षिणेत्तर कर्मचारियों का, सब के सब कुलपति से परेशान देखे जाते हैं।  जिस विश्वविद्यालय के पास अपना नियम कानून नहीं होता है वह प्रदेश सरकार के नियमानुसार कार्य करता है। लेकिन भोज मुक्त विश्वविद्यालय उस कानून और नियम को लागू करने का प्रयास करता है जिस नियम कानून से कुलपति जयंत सोनवालकर का हित होता है। आपको उन खबरों की ओर ले चलते हैं जिनमें कुलपति द्वारा नियमों का धज्जियां उड़ाते हुए अवैध और अनियमित कार्य किये गये:- इस साल जनवरी में भोज विश्वविद्यालय के कुलपति जयंत सोनवलकर ने विद्यार्थियों के कौशल विकास और प्लेसमेंट का हवाला देकर मुम्बई की एक निजी कंपनी "ई-स्कूल गुरु प्राइवेट लिमिटेड" के साथ एमओयू साइन किया है। इस समझौते के तहत विश्वविद्यालय के छात्रों को "ई स्कूल गुरु" ट्रेनिंग और प्लेसमेंट ऑनलाइन उपलब्ध कराएगा।  विश्वविद्यालय अधिनियम के जानकारों के अनुसार मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय और " ई स्कूल गुरु प्राइवेट लिमिटेड" के बीच राजस्व बंटवारा को लेकर किया गया एमओयू गैरकानूनी, अवैध और विश्वविद्यालय अधिनियम के विपरीत है। विश्वविद्यालय के जानकार कहते हैं कि विश्वविद्यालय अधिनियम में राजस्व बंटवारें का कहीं भी वर्णन नहीं है इसके बावजूद भोज मुक्त विश्वविद्यालय ने राजस्व बटबारे को लेकर " ई स्कूल गुरु" के साथ अवैध एमओयू कर लिया। इस एमओयू के बाद विश्वविद्यालय के छात्र ईस्कूल गुरु के छात्र हो गये हैं और अब स्कूल गुरु छात्रों से फीस वसूलेगा और बाद में विश्वविद्यालय को उसका कुछ हिस्सा वापस देगा। इतना ही नहीं इस एमओयू के लिए न तो कोई निविदा निकाली गयी और न ही इस एमओयू की जाहिर सूचना का प्रकाशन स्थानीय पत्र-पत्रिका में किया  गया।  विश्वविद्यालय के जानकार कहते हैं कि एमओयू के लिए कुलपति ने गुपचुप तरीके से स्वीकृति दी थी, जिसकी खबर कुलसचिव एच एस त्रिपाठी को भी नहीं हुई। अगर राज्य सरकार इस मुद्दे को निगरानी से जांच कराती है तो करोड़ो रूपये का भ्रष्टाचार उजागर होगा और कुलपति भी लपेटे में आ जायेंगे। क्योंकि ये सारे निर्णय उन्हीं के एकतरफा आदेश से हुआ है।  बिना आदेश के निःशुल्क दिया निजी कंपनी को कार्यालय बनाने की जगह। बिना किसी लिखित आदेश के कुलपति जयंत सोनवलकर  निजी कंपनी "स्कूल गुरु" को विश्वविद्यालय परिसर के मुख्य प्रशासनिक भवन के तीसरी मंजिल पर कार्यालय के लिए कमरा दे रखा है। इसके कारण विश्वविद्यालय को लाखों रुपये के राजस्व का चूना लग रहा है। इसके अलावा कुलपति जयंत सोनवलकर पिछले एक साल से कभी समारोह के नाम पर तो कभी प्रसार कार्यक्रम (एक्सटेंशन एक्टिविटी) के नाम पर करोड़ो रुपए की निकासी कर विश्वविद्यालय को लूटने की धंधा जारी रखे हुए है। यह तमाम राशि छात्रों से विभिन्न योजनाओं के नाम पर प्रति वर्ष वसूले जाते रहे हैं जिसका उपयोग अपने निजी स्वार्थ में जयंत सोनवलकर के द्वारा की जा रही है। जिम बनना था परिसर में छात्रों और कर्मचारियों के लिए, बन गया कुलपति निवास । कुलपति जयंत सोनवलकर ने विश्वविद्यालय आने वाले  विद्यार्थियों और परिसर में रह रहे कर्मचारियों के शारीरिक और मानसिक विकास के नाम पर जिम खुलवाने के निर्णय लिया। इसके पश्चात कुलपति ने 3 लाख रुपये के आधुनिक उपकरण खरीदने का स्वयं ही अनुमोदन किया। जिम सामग्री की खरीदी होने के बाद उसे परिसर में न लगवाकर अपने बंगले पर लगवा दिया। यह खुलासा तब हुआ जब ऑडिट विभाग ने निजी उपयोग के लिए बनाए गये जिम के उपकरणों के खरीद फरोख्त पर आपत्ति ली।

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