बुझी हुई आग के सुलगते हुये सवाल

कांग्रेस सरकार समूचे मप्र के लिये लायेगी फायर सेफ्टी एक्ट
 

खबर नेशन/ Khabar Nation

भोपाल,  बीते सोमवार 12 जून 2023 को मप्र की राजधानी भोपाल के अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार की ऊंची-ऊंची लपटों में झुलसी हुई सतपुड़ा भवन की चार दीवारें चींख-चींख कर कह रही थी कि अगर मुंसिफ ही खुद कातिल बन जायेगा, तो लोकतंत्र को न्याय कौन दिलायेगा? बिडंवना देखिए सतपुड़ा भवन के चार कदम की दूरी पर समूचे प्रदेश में आग बुझाने के दायित्वों का निर्वहन करने वाला अग्निशमन मुख्यालय है और प्रदेश की अकर्मण्य सरकार को अग्निशमन का दमकल दिल्ली से बुलवाना पड़ता है।
एक पुरानी कहावत है आग लगने पर कुंआ खोदनामगर दुर्भाग्य देखिए कि मप्र में कई बड़े अग्निकांड़ हुये मगर भीषणतम भ्रष्टाचार में डूबी भाजपा सरकार ने आग लगने पर कुंआ खोदना तो दूर उस आग को कोरो आश्वासनों और बातों की बौछारों से बुझाने की कोशिश की।
याद कीजिए, चाहे सितम्बर 2020, जब शिवपुरी जिला अस्पताल में भयानक आग का मामला हो या मई 2021, में अशोकनगर जिला अस्पताल में तेज धमाकों के साथ आग की लपटों से जैसे-तैसे 14 नवजात शिशुओं को बचाया गया हो या नवम्बर 2021, में हमीदिया केंपस स्थित कमला नेहरू अस्पताल में आग की वजह से 12 मासूम बच्चों ने तिल-तिल कर तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया हो या फिर चुनावों के पहले वर्ष 2013, वर्ष 2018 में मंत्रालय और प्रशासकीय कार्यालयों की आग हो या हाल ही मंे चुनावों के पहले 2023 में सतपुड़ा भवन में लगी भयंकर आग का मामला हो, इन बुझी हुई आगों के सुलगते हुये सवाल कांग्रेस पार्टी भाजपा सरकार से करना चाहती है:-
1. क्या यह सही नहीं है कि 28 मार्च 2023 को संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने मप्र में हो रहे अग्निकांड़ों को लेकर एक हिदायत भरा पत्र प्रदेश के  समस्त कलेक्टरों, समस्त नगर पालिका आयुक्तों को लिखा था, जिसमें शासन के परिपत्र 23 जनवरी, 2014 और शासन के आदेश दिनांक 29.9.2020 का हवाला देते हुये यह निर्धारित किया गया था कि नगर निगम क्षेत्र में निगमों के आयुक्त तथा ग्रामीण क्षेत्र में जिले के कलेक्टर अग्निशमन प्राधिकारी होंगे तथा उन प्राधिकारियों को आमजन की जानमाल से सुरक्षा के लिए मॉकड्रिल कर अग्निशमन व्यवस्था को सुनिश्चित करने की हिदायत दी गई। क्या नगरीय या ग्रामीण क्षेत्र में अग्निशमन व्यवस्था को लेकर कोई मॉकड्रिल की गई?
2.
मप्र के नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा 16 दिसम्बर, 2022 को मप्र भूमि विकास नियम, 2012 के 87 (1) के अंतर्गत समूचे मप्र के कलेक्टरों, निगम आयुक्तों तथा विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों को यह निर्देश दिये गये थे कि राष्ट्रीय भवन संहिता (नेशनल बिल्डिंग कोड) के चेप्टर चार में दिये गये दिशा-निर्देशों का पालन करते हुये 15 मीटर से ऊंचे समस्त भवनों, होटलों, अस्पतालों, नवीन भवनों तथा पूर्व से निर्मित भवनों के लिए दो माह के भीतर एक फायर सेफ्टी प्लान तैयार करना होगा तथा उसे अग्निशमन अधिकारी द्वारा अनुमोदित कराना होगा।

अनुमोदित फायर सेफ्टी प्लान के अनुरूप व्यवस्था सुनिश्चित करने के उपरांत एक फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी किया जायेगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष की होगी।
मगर इन तीन वर्षों के दौरान प्रत्येक वर्ष एक फायर सेफ्टी ऑडिट कराना होगा, जिसकी रिपोर्ट अग्निशमन प्राधिकारी को प्रस्तुत करनी होगी।
मप्र कांग्रेस भाजपा सरकार से जानना चाहती है कि क्या नेशनल बिल्डिंग कोड के प्रावधानों के अनुसार सतपुड़ा भवन, विंद्याचल भवन, नवनिर्मित वल्लभ भवन, विधानसभा भवन, बड़े अस्पतालों और प्रशासनिक कार्यालयों का फायर सेफ्टी प्लान स्वीकृत कराया गया है? क्या इन भवनों का फायर सेफ्टी ऑडिट कराया गया है? क्या इन भवनों के लिए निर्धारित अग्निशमन प्राधिकारियों के खिलाफ बीते वर्षों में हुई घटनाओं को लेकर  कोई सख्त कार्यवाही की गई?
बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा सरकार जांच कमेटियां तो बनाती है, मगर ज्यादातर हादसों की जांच में या तो लीपापोती कर दी जाती है या रिपोर्ट ही प्रस्तुत नहीं की जाती। चाहे वह रतनगढ़ मता मंदिर में भगदड़ से 115 श्रद्धालुओं की मौत का मामला हो या पेटलावद में अवैधानिक विस्फोट से 78 लोगांे की मौत का मामला हो या मंदसौर में किसानों को गोलियों से छलनी करने का मामला हो या हमीदिया अस्पताल में आग से मासूम बच्चों की मौत का मामला हो।

मप्र की 18 सालों की भाजपा सरकार ने केंद्र और अदालतों के बार-बार कहने के बावजूद अब तक कोई फायर सेफ्टी एक्ट नहीं बनाया
 

दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि कोरे प्रचार की प्रसिद्धि में डूबी मप्र की भाजपा सरकार ने केंद्र और कोर्ट के निर्देश के बावजूद कोई फायर सेफ्टी एक्ट समूचे मप्र के लिए नहीं बनाया। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अगस्त, 2005 में फायर एडवायजरी कमेटी की मीटिंग बुलायी गई थी, जिसमें मप्र ने भी प्रतिनिधित्व किया था। इसके बाद व्यापक विचार विमर्श के पश्चात जुलाई, 2017 में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ विश्व भर के फायर सर्विस एक्ट के दृष्टिगत एक व्यापक विचार विमर्श किया गया, तत्पश्चात एक मैटेंनेंस ऑफ ए फायर एण्ड इमरजेंसी सर्विस फार दा स्टेट माडल बिल 2019 सभी राज्यों को मुहैया कराया गया। मगर मप्र की भाजपा सरकार की गंभीर लापरवाही देखिए कि प्रादेशिक स्तर पर फायर सेफ्टी के लिए कोई कानून नहीं लाया गया। इतना ही नहीं अकर्मण्यता की पराकाष्ठा तो यह है कि जबलपुर की डिवीजन बैंच में एक पीआईएल लगायी गई थी, जिस पर मप्र सरकार ने अपना जबाव प्रस्तुत करते हुये मई 2022 में कहा था कि हम यह एक्ट जल्द ही लाने वाले है। देश के 24 राज्यों में यह कानून पहले से लागू है।  
मप्र के यशस्वी पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने इन गंभीर तथ्यों का संज्ञान लेते हुये प्रदेश की जनता को आश्वस्त किया है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही मैटेंनेंस ऑफ ए फायर एण्ड इमरजेंसी सर्विस फार दा स्टेट बिल लाया जायेगा, ताकि न सिर्फ ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण हादसों से बचा जा सके, अपितु जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्यवाही भी की जा सके।

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