सरकारी धन की लूट और मामले पर लीपापोती के लिए हुए दिखावटी प्रशिक्षण

महेन्द्र सिंह सिसोदिया, मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
द्वारा जारी अवैधानिक प्रशासकीय अनुमोदन के बाद हुये
भ्रष्टाचार की जांच की जाये : के. के. मिश्रा

आदिवासी वर्ग के लिए जारी मद का मध्यप्रदेश
सरकार में भारी दुरूपयोग और भ्रष्टाचार : पुनीत टंडन

भोपाल,  जुलाई 2023

खबर नेशन/ Khabar Nation

भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने वर्ष 2019-20 में मध्यप्रदेश के पंचायती राज निर्वाचित प्रतिनिधियों में क्षमता संवर्धन संबंधी प्रशिक्षण करवाने के लिए रूपए 8 करोड़ 42 लाख दिए थे। इस राशि के उपयोग में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। भ्रष्टाचार की शिकायतें आदिम जाति कल्याण और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में हुई हैं, लेकिन मामले को दबाया जा रहा है।
यह राशि आदिवासी वर्ग पर उपयोग के लिए आरक्षित थी, इसलिए इस राशि का उपयोग सिर्फ आदिवासी वर्ग पर ही होना चाहिए था।
कार्यक्रम के तहत प्रदेश के तीन जिलों (सिवनी, बड़वानी और धार) में कराए गए प्रशिक्षण में भारी भ्रष्टाचार हुआ। लीपापोती और सरकारी धन की लूट के लिए हुए दिखावटी प्रशिक्षण में सामान्य/ अनारक्षित, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को प्रशिक्षण देना दिखाया गया।
इंदौर संभाग के आदिवासी विभाग के उपायुक्त द्वारा कराई गई जांच में यह सामने आया है कि पंचायत स्तर पर कराए गए इस प्रशिक्षण में दर्जनों ग्राम पंचायत के कर्मचारियों को ही यह जानकारी नहीं है कि प्रशिक्षण कब हुआ।
प्रशिक्षण पर खर्च में मनमानी की गई। समान रूप से पैसा खर्च नहीं किया गया। किसी पंचायत में प्रशिक्षण सामग्री नहीं दी, किसी में भोजन नहीं दिया। लेकिन पैसा पूरा खर्च कर दिया।
राशि वास्तविक रूप से खर्च होने के पहले ही जुलाई 2021 में भारत सरकार को राशि के पूर्ण उपयोग का फर्जी यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट भेज दिया।
1. इस घोटाले के तकनीकी तथ्य:- सामान्य प्रोटोकॉल, प्रोसीजर और परम्परा अनुसार किसी भी प्रकरण की प्रशासकीय स्वीकृति का प्रस्ताव विभाग/ शासन/ मंत्रालय के  ACS/PS/Secy के माध्यम से प्राप्त होने पर ही विभागीय मंत्री प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान करते हैं। (शासन/ मंत्रालय के अलावा किसी अन्य कार्यालय द्वारा सीधे मंत्री से प्रशासकीय अनुमोदन लेना अवैधानिक है)
2. श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया, मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अपनी टीप जावक क्रमांक-2755 / मंत्री/प.ग्रा. वि.वि./ 2021, दिनांक 17/03/2021 ने संचालक, महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज संस्थान, जबलपुर के प्रस्ताव पर आदिवासी विशेष केन्द्रीय सहायता राशि रूपए 842.78 लाख के उपयोग और प्रशिक्षण संबंधी प्रशासकीय अनुमोदन दिया, जो अवैधानिक है।
3. इसी अवैधानिक प्रशासकीय अनुमोदन के बाद 8 करोड़ 42 लाख के उपयोग में भारी भ्रष्टाचार हुआ, जिसके लिए पद के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार जांच होना चाहिए।
4. संचालक, महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज संस्थान, जबलपुर नामक संस्था प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत आती है।
5. श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया को उक्त प्रस्ताव विभाग/ शासन/ मंत्रालय के  ACS/PS/Secy द्वारा नहीं भेजा गया था। इस प्रस्ताव पर संचालक, पंचायती राज का मत / अभिमत भी नहीं था।
6. जबलपुर से भोपाल आई फाइल 1 दिन में मंत्री से अनुमोदन संचालक, महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज संस्थान, जबलपुर द्वारा दिनांक 16/03/2021 को यह प्रस्ताव श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया को भेजा गया। जिस पर दिनांक 16/03/2021 को ही संचालक, आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएं, भोपाल ने अपनी टीप और सहमति दर्ज कर दी और दिनांक 17/03/2021 को श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने भी अनुमोदन दे दिया।
7. यह मामला पूर्ण रूप से भ्रष्ट आचरण और पद के दुरूपयोग और लोकनिधि के दुरूपयोग और गबन का है।
8. भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय, नई दिल्ली ने यह राशि 52 जिलों में पंचायती राज प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने के लिए दी थी।
9. संचालक, महात्मा गांधी ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज संस्थान, जबलपुर ने यह राशि सिर्फ 3 जिलों (सिवनी, धार, बड़वानी) में खर्च कर दी।
10. भारत सरकार, जनजातीय कार्य मंत्रालय, नई दिल्ली ने यह राशि पंचायती राज प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने के लिए मंजूर की थी। राज्य स्तर को यह अधिकार नहीं था कि इस योजना में बदलाव कर सके।

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