संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज की असलियत ?
भाजपा के ताकतवर नेता अमित शाह की चिरौरी में प्रदेश की जनता को छोड़ा लावारिस
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दिल्ली रवाना होने के बाद जुटे मध्यप्रदेश की हाल बेहाल जनता की सुध लेने
गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation
मध्यप्रदेश में भारी बारिश के अलर्ट के बावजूद शासन -प्रशासन ने साढ़े आठ करोड़ जनता को लावारिस छोड़ दिया। भोपाल में 36 घंटे में 14 इंच बारिश ने हाल बेहाल कर दिया। कुछ इलाकों को छोड़कर राजधानी 17-18 घंटे अंधेरे में डूबी रही । सड़कों पर बड़े बड़े पेड़ धराशाई रहे। ट्रैफिक जाम, टेलीफोन सेवा ठप्प , निचली बस्तियों में पानी भरा रहा।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित सारा मंत्रिमंडल, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सहित आला नेता, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, भोपाल के कलेक्टर, पटवारी, नगर निगम, बिजली विभाग, स्वास्थ्य विभाग का अमला, पुलिस महानिदेशक से लेकर आरक्षक तक भाजपा के राष्ट्रीय आला नेता की चिरौरी में जुटा रहा। मध्यप्रदेश तो दूर राजधानी में ही हाल बेहाल जनता की सुध लेने में सारा तंत्र असफल रहा।
लगभग 24 घंटे बाद स्टेट हैंगर के वेटिंग लाऊंज में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मूल स्वरूप में संवेदनशीलता के साथ सामने आए। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, इंटेलिजेंस चीफ आदर्श कटियार, गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा, और स्थानीय मंत्री विश्वास सारंग, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के साथ बारिश के हालात पर चर्चा कर वल्लभ भवन में सिचुएशन रुम में प्रदेश के आला अफसरों के साथ बैठक करने का समय निकाल पाए।
भाजपा की मीडिया सेल ने तत्काल अपने मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता का परिचय कराते हुए देर रात बैठक के फोटो जारी कर दिए। सोशल मीडिया में जारी फोटो में मुख्यमंत्री शिवराज की मुखमुद्रा को देखकर गृहमंत्री अमित शाह के रोद्ररुप के कयास लगाते रहे।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह राजधानी में बारिश के चल रहे कहर के 24 घंटे बाद पहुंचे थे तब तक प्रदेश का शासन प्रशासन क्या कर रहा था?
सवाल है कि क्या राजनेताओं और अफसरों के इस आचरण को उचित माना जाए?
अगर मुख्यमंत्री व्यस्त थे तो क्या बाकी अफसरों का दायित्व नहीं था कि व्यवस्था को सुचारू बनाने की दिशा में कदम उठाते।
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गौरव चतुर्वेदी
खबर नेशन
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