कर्ज के बोझ में डूबकर कब तक करेंगे किसान खेती...

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कर्ज के बोझ में डूबकर कब तक करेंगे खेती किसान बीजों का उत्पादन उपार्जन दर बढ़ा या जाय विक्रय दर‌ कम करें मध्यप्रदेश राज्य बीज फार्म विकास निगम :किसान सुब्रत 

रीवा  भारतीय किसान यूनियन मध्यप्रदेश प्रदेश के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के सदस्य किसान सुब्रत ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय कृषि मंत्री से मांग कि है कि बीजोतपादित बीजो के  उपार्जन दर को बढ़ाया जाय विक्रय दर कम की जाय ।

मध्यप्रदेश सरकार का उपक्रम मध्य प्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम लागातार कर रहा किसानों का शोषण मध्यप्रदेश शासन किसान कल्याण तथा कृषि विभाग मंत्रालय के अपर मुख्य सचिव सह उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में दिनांक 10.10.2022को आयोजित बीज दर निर्धारण बैठक में लिए गये निर्णय के अनुसार राज्य शासन द्वारा रबी बर्ष 2022-23हेतु विभिन्न फसलों के प्रमाणित बीजों के उपार्जन, विक्रय दर एवं प्रमाणित बीज वितरण अनुदान तथा प्रमाणित रबी 2022-23हेतु प्रमाणित बीजो की उपार्जन, विक्रय दर बीज निगम के प्रस्ताव पर निर्धारण की गयी । मध्य प्रदेश सरकार का उपक्रम मध्य प्रदेश के बीजोतपादन कार्यक्रम मे‌ शामिल‌ होने‌ वाले किसानों का लगातार शोषण कर रहा है बीजोतपादित बीज देने एवं बीजोतपादि बीज लेने‌ दोनों के मूल्यों में भारी अन्तर रख एक पांच छै माह अन्तिम  भुगतान के लिए इंतजार मूल्य बीज‌ का समर्थन मूल्य के बराबर भी नहीं मिल पाता । किसान सुब्रत ने‌ कहा है कि गेहूं का समर्थन मूल्य 2022,23मे सरकार द्वारा   2015 रूपए प्रति क्विंटल निरधारित किया गया था 

मध्यप्रदेश प्रदेश सरकार का उपक्रम किसानों की मेहनत से उत्पादित बीज में किसानों से ही मुनाफा कमाने का कार्य वर्षों से कर रहा है सरकार जनप्रिनिध लगातार उपेक्षा कर रहे हैं सोचे इस वर्ष अभी रबी के बोनी के लिए प्रमाणित बीज जो किसानों ने उत्पादित कर बीज निगम को दिया गेहूं उपार्जन दर 2150 रूपए प्रति क्विंटल किसानो को देंगे जबकि गेहूं का अनाज का समर्थन मूल्य 2015था किसानों ने माह अप्रैल मई मेंबीजोतपादित बीज बीज निगम को दिए थे जिसका प्रथम भुगतान 1500रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से दिया गया था बीज है अनाज नहीं रीडिंग में अंडरसाइज भी निकले अप्रैल से लेकर आजमाए अक्टूबर तक किसानों को उनके कृषि के खातों में ब्याज लगी अगर वह समर्थन मूल्य में बेच  देते तो उन्हें ₹2015 प्रति क्विंटल अप्रैल-मई माह में ही मिल जाता10.10.2022अक्टूबर को किसानों के द्वारा उत्पादित बीजों का उपार्जन दर निर्धारित किया गया गेहूं का  2150 रुपए प्रति क्विंटल प्रमाणित बीजों का एवं विक्रय दर 3350 रुपए निर्धारित की गई किसानों के बीजों उत्पादित बीच में प्रति क्विंटल 1450 रुपए मुनाफा कमाने का मूल्य निर्धारित किया बीज निगम ने वहीं चना में किसानों से बीज लेंगे 5350रूपये प्रति क्विंटल किसानो को बोनी के लिए बीज देंगे 

7700रूपये प्रति क्विंटल एक क्विंटल में  2350 रुपए प्रति क्विंटल मुनाफा ।मटर का बीजोतपादित बीज का मूल्य किसानो को 3300रूपये प्रति क्विंटल किसानो को बोनी के लिए देंगे 7700रूपये प्रति क्विंटल एक क्विंटल बीज मे‌1800 सो रुपए प्रति क्विंटल मुनाफा  सरसों के बीजोतपादित बीज का मूल्य किसानो को देंगे 6400रूपये प्रति क्विंटल किसानों को बीज बोनी के लिए देंगे 9000रूपये क्विंटल 2600रूपये एक कुंटल में मुनाफा अलसी के बीजोतपादित बीज का मूल्य किसानो को‌ देंगे 7300 प्रति क्विंटल किसानो को बोनी के लिए बीज‌ देंगे 9000रूपये क्विंटल 1700रूपये पर क्विंटल मुनाफा लेंगे एवं जौ किसानों को बीजोतपादित बीज का मूल्य देंगे 1900 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को बोनी के लिए बीज देंगे 3500रूपये प्रति क्विंटल एक क्विंटल में 1600रूपये कमाऐगे । किसान सुब्रत ने कहा है कि एक ओर‌ केन्द्रीय सरकार प्रदेश सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने‌ की बात करती है दूसरी ओर मध्यप्रदेश सरकार का उपक्रम किसानों का शोषण लगातार कर रहा है अनाज की कीमत‌ एवं बीज के कीमत का अन्तर नही समझ रहा बीजोतपादित बीजों का प्रथम भुगतान के बाद अन्तिम भुगतान रबी या खरीफ  के बीजोतपादित बीजों का अन्तिम भुगतान बोनी के समय तक भी नहीं हो पाता किसानों के द्वारा बीजोतपादित बीज को बेचकर किसानों को अन्तिम भुगतान दिया जाता है यह कैसा न्याय है रबी के कर्ज 31जून को ओवहर डियू हो जाते हैं तो वहीं खरीफ के 31 मार्च को । कर्ज का बोझ बढ़ाकर बीजों का उत्पादन आखिर कब तक करेंगे किसान?

बीजोतपादित बीजों के मूल्य का निर्धारण 10.10.2022 को निर्धारित किया गया किसानों ने बीजोतपादित बीज अप्रैल मई में दे‌ दिया था ।जबकि किसानों के कर्जे जून माह में ओवहर डियू हो गए। निरीक्षण शुल्क, परीक्षण शुल्क, ग्रीडीग शुल्क, किसान प्रति हेक्टेयर देते है‌ अक्टूबर माह में कृषि उत्पादन आयुक्त ने मूल्यों का निर्धारण किया वह भी उन्होंने नहीं सोचा कि समर्थन मूल्य में किसानों को गेहूं का मूल्य क्या दिया गया है समर्थन मूल्य से भी कम अगर ग्रीटिंग और इतने समय बीत जाने के बाद किसानों को मूल्य निर्धारित किए गए हैं तो सोचे वह समर्थन मूल्य से भी कम में बीज उत्पादक बीजों का मूल्य दे रहे हैं जो कि सरासर किसानों के साथ अन्याय है सरकार पुनर्विचार करे बीजों के विक्रय दर एवं उपार्जन दर के अंतर को कम करें बीजोतपादित बीजों के उपार्जन दर बढ़ाए जाय ।

 

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