खजराना के पूर्व पार्षद गुलाब पटेल नहीं रहे
ताहिर कमाल सिद्दीकी
इंदौर। खजराना के पहले पार्षद हाजी गुलाब पटेल नहीं रहे। उनके इंतक़ाल (निधन) की खबर से क्षेत्र में शोक छा गया। खजराना क़ब्रस्तान में पूर्व पार्षद हाजी गुलाब पटेल को सुपुर्दे ख़ाक किया गया।समाज के प्रमुखजनों ने उन्हें खिराजे अक़ीदत (श्रद्धांजलि) पेश की। गौरतलब रहे मरहूम हाजी गुलाब पटेल खजराना नायता पटेल समाज के बड़े दानिशवरों (बुद्धिजीवी यों) में से एक थे । जब भी बोलते, तौल कर बोलते थे और सीखने वालों के लिए एक प्रोफेसर की तरह थे । हज़ारों लोग उन्हें पसंद करते थे, इसीलिए वह हरदिल अज़ीज़ थे। मरहूम हाजी गुलाब पटेल को ज़मीन से सम्बंधित बारीकियों से जानकारी थी , पूरे खजराना के चप्पे चप्पे को वह खसरा नम्बर से जानते थे। पेशे से वक़ील थे सो क़ानून से ख़ूब वाक़ीफ़ थे। पार्षद जब बने थे तब खजराना मुस्लिम बहुल जैसा कुछ नहीं था, उन्होंने एलआईजी कॉलोनी और संजय नगर जैसी जगहों से भी बहुत वोट हासिल किए थे। शख़्सियत ऐसी कि उन्हें ग़रीबी ,मुफ़लिसी , दिगर कोई परेशानी से कभी डर नहीं लगा। उनकी सभी इज़्ज़त करते थे, सियासत में होने के बाद भी उनकी बुराई करने वाला आज तक नहीं मिला। मिले हैं तो बस उनके क़द्रदान।
उनके दो बेटे हैं हाजी समीर पटेल और हाजी शानू पटेल जो अपने वालिद की ख़िदमत के सिलसिले को आगे ले जाने का जज़्बा रखते हैं। ऐसा लगता है उनकी तमाम खूबियां उनके भतीजे मोहसिन पटेल बा की रग-रग में दौड़ रही है। जनाब युवा समाजसेवी भी हैं, तभी तो वह सियासत को ख़िदमत का जरिया मानते हुए सक्रिय नज़र आते हैं। ऐसे गुलाब पटेल हमेशा याद आते रहेंगे जिन्होंने अपने खानदान की तरबियत में एक जज़्बा पैदा किया जिससे उम्मीद की किरण नज़र आती है।