नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में अल्पसंख्यक नेता ने भाजपा छोड़ी


खबर नेशन /Khabar Nation
इंदौर। नागरिकता संशोधन बिल के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों का ग़ुस्सा अब कई तरह से सामने आ रहा है। अल्पसंख्यक नेता भाजपा की रीति-नीतियो से नाराज़ होकर पार्टी छोड़ रहे हैं। खजराना के भाजपा के सक्रिय नेता  मोहसिन पटेल ने भाजपा छोड़ी है। उनके पास युवाओं की फ़ौज है और सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं। उन्होंने वर्तमान में भाजपा की अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों और कॉलेज के छात्र-छात्राओं  पर पुलिस बर्बरता व झूठे मुकदमे लादने से नाराज़ होकर भाजपा से इस्तीफा देने की घोषणा की है। उनका कहना था हाल ही में कैब के प्रस्ताव के बाद अल्पसंख्यकों के बीच काम करना मुश्किल हो गया है।इसी कारण उन्होंने पार्टी छोड़ने का मन बनाया। उन्होंने कहा पार्टी की कथनी और करनी में अंतर आ गया है। मोहसिन पटेल ने कहा भाजपा से इस्तीफा देने के बाद भी वे निरन्तर समाजसेवा करते रहेंगे। क्योंकि समाजसेवा के लिए किसी पार्टी से जुड़ा होना या किसी पद का होना ज़रूरी नहीं है। मोहसिन पटेल के अलावा बांक पंचायत से शादाब पटेल,विधानसभा तीन से एडवोकेट मुबारिक अंसारी,इसरार ठेकेदार का भी भाजपा से मोह भंग हो चुका है। मोहसिन पटेल ने कहा वतन से मोहब्बत ईमान का हिस्सा है। लेकिन जब मज़हबी सियासत होने लगे तो इससे दूरी बनाना ही ठीक है। मोहसिन पटेल ने
बढ़तीअसहिष्णुता, धार्मिक भेदभाव अल्पसंख्यकों की अनदेखी और एनआरसी और सीएए के अंदर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को शामिल नहीं करना आदि से निराश होकर भाजपा छोड़ी है।  खजराना के प्रभावशाली युवा मोहसिन पटेल ने जो कि भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता की तरह जुड़े रहे। उनके स्वभाव की वजह से मुस्लिमो ने बीजेपी को भी कबूला और पिछले निगम चुनाव में भी पटेल की मेहनत से भाजपा प्रत्याशी जीत के बहुत क़रीब आ गए थे। सभी नेताओ, राजनीतिक दलों ओर आमजन से मधुर संबंधों ने उन्हें सबका चहेता बनाया हुआ है।  इन सब बातों के मद्देनज़र सभी की भावनाओं के चलते और बार बार पार्टी की तरफ से मुसलमानों के साथ जो बर्ताव किया जा रहा है,उससे व्यथित और  एनआरसी व सीएबी जैसे कानून ने उनके सब्र के बांध को धराशायी कर दिया। मोहसिन बताते हैं ये उनके ज़मीर की आवाज़ है। जो उनके दिल में काफी वक़्त से चल रही थी। मगर ये एक बड़ा फैसला था कई सालों की मेहनत थी, लेकिन ईमान की ताकत ने कल उनसे ये फैसला करवा ही लिया। अब वो सिर्फ समाजसेवा का दायित्व निभाना चाहते है एक ज़िम्मेदार शहरी ओर एक लीडर का फर्ज निभाएंगे।

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