कितने सफल होंगे जितिन प्रसाद ?

 

नाज़नीन नकवी / खबर नेशन / Khabar Nation

( लेखक मध्यप्रदेश के रीजनल चैनल Ind24 की एसोसिएट एडिटर हैं )

छूटी राहुल से यारी..अब आगे की तैयारी..रुठे जितिन प्रसाद ने थामा ‘कमल’
लफ्जों से कहीं ज्यादा तस्वीर बोलती है। तस्वीर बयां करती है इतिहास और वर्तमान को...हालांकि टीवी स्क्रीन पर नजर आ रही तस्वीरों पर गौर करें तो एक चीज साफ नजर आती है। और वो है कांग्रेस की गिरती साख...जिसे बचाने की कोशिश कोई कर भी रहा है या नहीं कहना मुश्किल है। ऐसे दौर में जब भारत के नक्शे पर कांग्रेस सिमट गई हो। जहां कांग्रेस सत्ता पर काबिज है वहां अपने ही उसकी शाखें काट रहे हो। ऐसे में हाथ की पकड़ ढीली पड़ना...कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत तो नहीं है। गौर हो कि दोनों ही तस्वीरों में नजर आ रहे चेहरे कभी कांग्रेस के खास रहे.. ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की टीम से एक और बेहद अहम विकेट गिरा है। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल करवाया..उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले यह बड़ा सियासी उलटफेर दिलचस्प है...विस चुनाव से पहले की ये तस्वीर भविष्य को लेकर भी बहुत कुछ कहती है। 
हाशिए पर कांग्रेस 
लेकिन सवाल यह कि हाशिए पर खड़ी कांग्रेस का न वर्तमान मजबूत दिख रहा न भविष्य की कोई रणनीति..अध्यक्ष के पद को लेकर जद्दोजहद अब भी है। तो वही राहुल के लाख निशाने साधने के बाद भी एक भी तीर निशाने पर नहीं लगता। उल्टा पंजाब हो या राजस्थान अपने ही अपनों के निशाने पर हैं। कभी अमरिंदर पर सवाल तो कभी पायलट का वार...राहुल के करीबियों का उनको यूं छोड़कर जाना..और इस पर उनकी चुप्पी...ऐसे में एक शेर याद आता है। घर जलाने को घर का चिराग काफी है। 

नाराजगी और तल्खी की वजह क्या ? 

उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी के हाथों में आई। सूबे की राजनीति में जितिन प्रसाद का दखल कम हुआ। और वही से तल्खी बढ़ती गई। 
जितिन प्रसाद के भाजपा खेमे में आने की अटकलें बहुत पहले से लगाई जा रही थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले भी वे भाजपा के संपर्क में थे और पार्टी ज्वाइन करने के बहुत करीब पहुंच चुके थे। लेकिन इस बात की खबर मीडिया में आ जाने के बाद प्रियंका गांधी ने उन्हें संभाला और पार्टी में जरूरी भूमिका देने की बात कहकर उनको भाजपा में जाने से रोका था।


हिस्ट्री रिटर्न !

जितिन प्रसाद की बीजेपी में एंट्री के साथ ही कांग्रेस से उनके परिवार के रिश्तों का इतिहास एक बार फिर दोहराया गया है। जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद वर्ष 2000 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में बगावत करते हुए सोनिया गांधी के खिलाफ उतरे थे। अब 21 साल बाद उनके बेटे ने कांग्रेस को करारा झटका दिया है। 47 वर्षीय जितिन प्रसाद ने ऐसे वक्त में बीजेपी का दामन थामा है, जब अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं।

महाराज का मन और सियासी 'प्रसाद' 
जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, मुझे खुशी है कि वह पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह के नेतृत्व में बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. वह मेरे छोटे भाई हैं और मैं उनके लिए खुश हूं..

जितिन प्रसाद को भाजपा में आने के बदले में क्या मिलने की डील हुई है, अभी तो यह साफ नहीं है। इसके पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में लाकर पार्टी उन्हें राज्यसभा भेज चुकी है। जितिन प्रसाद को भी राज्यसभा भेजे जाने की संभावना बन सकती है। लेकिन एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में महत्वपूर्ण जगह देकर चुनाव में उतारा जाए, जिससे वे अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए अहम साबित हों। इस बात में दम इसलिए भी है क्योंकि बहुप्रतीक्षित मंत्री मंडल विस्तार हाल ही में घटी कुछ घटनाओं के बाद रोक दिया गया था। अब नई परिस्थितियों में उन्हें योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल विस्तार में जगह देने की संभावना बन सकती है।

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