टीम कमलनाथ को यूं खुश करते रहे अफसर


सरकार बचाने में कलेक्टर का योगदान
खबर नेशन / Khabar Nation
मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार को बचाएं रखने का योगदान कलेक्टर इस तरह देते रहे । नियम विरुद्ध, राजनेताओं और विधायकों की मनमर्जी के पालन का उदाहरण अफसरों द्वारा टीम कमलनाथ को खुश करते रहना।
धार जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रिंगनोद में पदस्थ डॉक्टर वरुण सिंह को विधायक प्रताप ग्रेवाल की मनोइच्छा पर कलेक्टर श्रीकांत बनोठ ने निलंबित कर दिया । टीम कमलनाथ और विधायकों को खुश रखने में कलेक्टर इतने मशगूल थे कि उन्होंने यह देखना भी गवांरा नहीं किया कि जिन आधार पर एक छोटे से चिकित्सा अधिकारी को निलंबित कर रहे हैं उसकी सच्चाई क्या है । डॉक्टर वरुण सिंह को कर्त्तव्य से अनुपस्थित रहने को आधार बनाकर निलंबित करने की अनुशंसा कर दी  । खबर नेशन के पास उपलब्ध दस्तावेज के मुताबिक डॉ. सिंह इस दौरान स्वीकृत अवकाश पर थे । सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि विधायक प्रताप ग्रेवाल अनावश्यक दबाव बनाकर डॉ. सिंह को अपमानित कर रहे थे और उनसे क्षेत्र में नौकरी करने के बदले चंदा चाहते थे।
दस्तावेज के अनुसार मामला इस प्रकार है । डॉक्टर को निलंबित किए गए पत्र के अनुसार मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील)नियम 1966 के नियम 12(2) एवं 13(1) के आधार पर निलंबित किया गया है । आरोप के अनुसार 3 अगस्त 2019 को कांग्रेस सरकार का आपकी सरकार आपके हाथ शिविर आयोजित किया गया था । जिसमें डॉ सिंह को पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाह एवं उदासीन माना गया था। इसी के साथ ही 22/8/2019 को मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरदारपुरा ने अनुपस्थिति का पंचनामा बनाने का आधार बनाया है। इसी के साथ ही 23/9/2019 को विधायक प्रताप ग्रेवाल ने निरीक्षण कर अनुपस्थित बताया था । गौरतलब है कि इस बात की सूचना डॉक्टर सिंह के पास थी लेकिन उन्हें सहयोगियों ने अनहोनी की आशंका जताते हुए कर्तव्यस्थल पर ना आने का आग्रह कर डाला ।
डॉक्टर वरुण सिंह इस बात की सूचना पाकर अन्य निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर अपने वरिष्ठ अधिकारी के पास चले गए ।
दस्तावेज के अनुसार दिनांक 1/8/2019 से 31/8/2019 तक एवं 1/9/2019 से 10/9/2019 तक डॉक्टर सिंह स्वीकृत अवकाश पर थे ।
सवाल है कलेक्टर पर किस बात का दबाब था कि आनन फानन डॉक्टर सिंह को निलंबित करने की अनुशंसा कर डाली । इस मामले में दोषी स्वास्थ्य विभाग के वे अधिकारी भी हैं जिन्होंने जानबूझकर इस तरह का प्रस्ताव रखकर कलेक्टर को गुमराह किया।जो कलेक्टर की प्रशासनिक दक्षता पर सवाल खड़े कर रही है ।

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