सेना के नाम पर भारतीय रिजर्व बैंक से धोखाधड़ी

इस गड़बड़ी में रिजर्व बैंक के अफसर भी शामिल
4 साल से हो रहा है 3 करोड़ रुपए का गबन हर साल
खबर नेशन / Khabar Nation

भारतीय रिजर्व बैंक के भोपाल स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय पर सेना के नाम पर धोखाधड़ी की जा रही है । इस तरह के आरोप लगाते हुए एक शिकायत रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साथ विभिन्न जांच एजेंसी से की गई है । हालांकि उक्त शिकायत को दबाया जा रहा है ।यह धोखाधड़ी रिजर्व बैंक की सुरक्षा में लगी निजी जांच एजेंसी बांम्बे इंटेलिजेंस सिक्योरिटी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ही जा रही है । भारतीय रिजर्व बैंक से भूतपूर्व सैनिकों के लिए दी गई दर का भुगतान लिया जाता है । सुरक्षा में लगे अमले को लगभग आधा भुगतान ही दिया जाता है । गौरतलब है कि 2013 से भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय और उसके आवासीय परिसरों की सुरक्षा के लिए निजी सुरक्षा एजेंसी बाम्बे इंटेलिजेंस सिक्योरिटी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दिया जा रहा है । यह एजेंसी भारतीय रिजर्व बैंक के सुरक्षा विभाग से मिलकर भूतपूर्व सैनिकों के लिए तय डीजीआर रेट वसूलती है ।
गौरतलब है कि सुरक्षा सुपरवाइजरों  के लिए डीजीआर रेट ₹38200 और सुरक्षा गार्डों के लिए 28,750 तय है । सुरक्षा सुपरवाइजरों को 20500 और सुरक्षा गार्डों को 15400 रुपए ही दिए जाते हैं । रिकॉर्ड के अनुसार 5 सुरक्षा सुपरवाइजर और लगभग 40 सुरक्षा गार्ड भारतीय रिजर्व बैंक की सुरक्षा में तैनात हैं । अगर इस गड़बड़ी का जोड़ किया जाए तो लगभग हर माह 6,22,000 का गबन किया जा रहा है जो हर वर्ष 3 करोड़ के लगभग बैठता है । इसी के साथ ही सुरक्षा एजेंसी के पास डायरेक्टरेट जनरल रिसेटेलमेंट न्यू दिल्ली का अप्रूवल भी अनुमोदित नहीं है । जो ऐसे संवेदनशील संस्थानों के लिए अत्यंत आवश्यक शर्त के रूप में रहती हैं।
सूत्रों के अनुसार बताया जाता है की इस गड़बड़ी में सहायक महाप्रबंधक सुरक्षा कैप्टन पीसी जोशी की अहम भूमिका है । श्री जोशी ने स्वयं की भर्ती के दौरान बैंक प्रबंधन को गुमराह कर नौकरी प्राप्त की थी । बताया जा रहा है की जोशी ने विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर भारतीय सेना से सेवानिवृत्ती ली थी । जिसे दिखाकर वे इनकम टैक्स रिटर्न में राहत तो ले रहे हैं ।  इस तथ्य को उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक से छुपाए रखा।
इस बारे में बाम्बे इंटेलिजेंस सिक्योरिटी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के वीरेंद्र कुमार ने बताया कि उक्त आरोप गलत है । कंपनी अपने सभी कर्मचारियों को बैंक के माध्यम से भुगतान करती है । और कंपनी द्वारा पेमेंट एक्नालेजमेंट प्रस्तुत करने पर अगला पेमेंट जारी होता है । हमारी कंपनी भारत सरकार द्वारा निर्धारित सारे मापदंडों को पूरा करती है । पूरी कंपनी में चालीस हजार कर्मचारी काम करते हैं ।

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