राजनेताओं के साथ अफसरों से बदला भांजती बीजेपी सरकार

 

ई-टेंडर के जिन्न से थरथराईं सरकार, अफ़सरों को दबाने की साज़िश शुरू 
खबर नेशन Khabar Nation
मध्यप्रदेश में राजनैतिक बदला निकालने के साथ-साथ अफसरों को भी निशाने पर लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है । हाल ही में मध्य प्रदेश के 3 आईपीएस अफसरों को अपराधिक प्रकरण में दबोचने की तैयारी की जा रही है। इन अफसरों का कसूर यह है की पिछली सरकार के कार्यकाल में हुए ई टेंडर घोटाले को कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में जांच में लेकर सुक्ष्मता के साथ जांच करने का गुनाह ये अफसर कर बैठे ।
गौरतलब है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के पूर्व मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के सहयोगी के ठिकानों और व्यावसायिक संस्थानों पर पड़े आयकर छापों की रिपोर्ट के आधार पर कमलनाथ के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए हैं । आयकर विभाग ने रिपोर्ट में हवाला के माध्यम से कांग्रेस मुख्यालय तक करोड़ों रुपए पहुंचाने का आरोप लगाया है । चुनाव आयोग के हालिया निर्देश पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय को दोषियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के लिए कहा है । इन निर्देशों में कहीं से भी किसी अधिकारी के नाम का उल्लेख नहीं है । विपक्ष लगातार इस बात के आरोप लगा रहा है कि केन्द्र सरकार सीबीआई,ईडी,इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का इस्तेमाल राजनैतिक विरोधियों को फंसाने के लिए कर रही है । इस मामले में भी कमलनाथ को राजनीतिक तौर पर परेशान करने के आरोप कांग्रेस नेता लगा रहे हैं । लेकिन अफसरों के नामों के खुलासे को लेकर प्रशासनिक गलियारों में कहा जा रहा है कि अफसरों को राजनीतिक तौर पर प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए । जिसको लेकर यह तर्क सामने निकलकर सामने आए हैं ।
मध्यप्रदेश में 3000 करोड़ से अधिक के ई-टेंडर घोटाले की जांच करने वाली आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के तीन पूर्व अफ़सरों पर एफआईआर की ख़बर ने प्रशासनिक हलकों में सनसनी फैला दी है।

बीजेपी सरकार ने एफआईआर का बहाना बेशक एक राजनीतिक दल की फ़ंडिंग बताया हो पर हक़ीक़त ये है कि ये तीनों अफ़सर आर्थिक अपराध शाखा में पदस्थ रहने के दौरान बीजेपी सरकार के सबसे बड़े ई-टेंडर घोटाले की जांच से संबद्ध रहे हैं।

जिन तीन अफ़सरों पर एफआईआर की चर्चा है उनमें वी. मधुकुमार और सुशोवन बनर्जी जहाँ ई-टेंडर घोटाले की जांच के दौरान आर्थिक अपराध शाखा के महानिदेशक रहे हैं वहीं तीसरे अफ़सर अरूण मिश्रा ईओडब्ल्यू में एसपी रहते हुये ईटेंडर घोटाले की जांच से सीधे संबद्ध रहे हैं।

सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि इन तीनों ही अफ़सरों के पास ई-टेंडर घोटाले से संबंधित ऐसे दस्तावेज हैं जो बीजेपी सरकार को कभी भी अस्थिर कर सकते हैं, सरकार ने इसी डर से इन अफ़सरों पर दबाव बनाने और इनका मुँह बंद रखने की कोशिश करते हुये एफआईआर का तिकड़म रचा है।

मज़े की बात ये है कि जिन विभागों पर फ़ंडिंग का आरोप है वही विभाग आज भी बीजेपी सरकार के लिये फ़ंडिंग कर रहे हैं और उनमें से कुछ विभाग में तो आज मंत्री भी वही हैं जिन पर फ़ंडिंग का आरोप लग रहा है।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार आज भी परिवहन विभाग से बीजेपी के लिये फ़ंडिंग का काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के ओएसड  द्वारा धड़ल्ले से किया जा है। 

कुल मिलाकर बीजेपी ने आनन-फ़ानन में अपने लिये बहुत बड़ा गढ्ढा खोद लिया है। ये पूर्व अफ़सर यदि ईटेंडर के बेहद अहम दस्तावेज़ों को बाहर लाते हैं तो बीजेपी की सरकार के लिये ख़तरे की बड़ी घंटी हो सकती है।

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