मध्य प्रदेश विधानसभा :  सचिवालय नियम परंपराओं से नहीं चलता 

मध्य प्रदेश विधानसभा सचिवालय में भी उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय की तरह cbi जांच की जरूरत 

स्पीकर कार्यकाल समाप्ति की और ओर कर रहे धड्डले से नियुक्तियां 

गौरव चतुर्वेदी/  खबर नेशन/ KHABAR NATION

सदन नियम परंपरा से चलता है के ब्रम्ह वाक्य को मध्यप्रदेश विधानसभा का सचिवालय हरदम उलटने की कोशिश को सफल करता रहता है । ताजा मामला विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की निजी स्थापना में की जा रही अवैध भर्तियों का है। एक तरफ स्पीकर ,उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष का कार्यकाल समाप्ति की ओर है और दूसरी तरफ भर्तियों में भाई- भतीजावाद, सिफारिश और  लेन-देन के बाद भर्तियों को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे में इन भर्तियों पर सवाल खड़े होना  जायज है । 

गौरतलब है  कि ऐसी ही भर्तियों के मामले को लेकर उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय की cbi जांच की सिफारिश उच्च न्यायालय ने की है।  ऐसी ही भर्ती के अन्य मामले को लेकर मध्य प्रदेश विधानसभा सचिवालय और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ लंबित है।  2018 के पूर्व इसी तरह की भर्तियों को लेकर तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द कुमार सिंह ने आपत्ति उठाई थी । जिसके बाद तत्कालीन अध्यक्ष डॉ सीता शरण शर्मा ने भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर दी थी। 

हालिया मामला इस प्रकार है । मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की आचार संहिता घोषित होने में महज सप्ताह भर बचा है । विधानसभा में ताबड़तोड़ नियुक्तियों का दौर चल रहा है । सूत्रों के अनुसार पद की सूचना,आवेदन ,साक्षात्कार और नियुक्ति आदेश जारी करने की प्रक्रिया महज 48 कार्यालयीन घंटे में पूरी करने की कवायद की जा रही है।  25 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष की निजी स्थापना में द्वितीय श्रेणी के पद पर कंप्यूटर प्रोग्रामर , एक कंप्यूटर इंजीनियर , एक सहायक कंप्यूटर प्रोग्रामर के पद पर भर्ती हेतु आवेदन निकाला था । उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की निजी पदस्थापना में होने वाली नियुक्तियां इनके कार्यकाल के साथ ही समाप्त मानी जाती हैं।

आवेदन सूचना जारी होने से 3 अक्टूबर तक जमा किए जाना थे।  सूचना जारी होने के बाद चार दिन शासकीय  अवकाश रहा।  कार्यालयीन दिन महज 6 दिन बचे। जिसमें महज 48 घंटे ही शासकीय कार्य हो पाता है। भर्ती प्रक्रिया की सूचना जारी होते ही विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह विदेश यात्रा के लिए घाना चले गए। विधानसभा सचिव अपना चार्ज संविदा पर नियुक्त अधिकारी शिशिर कांत चौबे को सौंप गए। भर्ती में गड़बड़ी की संभावना का अहसास करते हुए जब मध्यप्रदेश विधानसभा की स्थापना के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अवकाश का आवेदन दिया। जिसे विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने चुनावी कार्यों में आवश्यकता की संभावना बताते हुए निरस्त कर दिया।

यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष का पद शिवराज सिंह चौहान की भाजपा सरकार बनने के बाद रिक्त है।

मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि लगभग 40 पदों पर भर्ती की जा रही है। मुझे पता नहीं है कि अभी कितने पद पर भर्ती और क्या शर्तों को जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि पद समाप्त नहीं होते हैं।                         जब इस संदर्भ में विधानसभा प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह से दूरभाष पर चर्चा की तो उन्होंने बताया कि भर्तियां पूर्व प्रक्रिया के अनुसार हो रही है। उन्होंने कहा कि मैं अभी संसदीय दल के साथ घाना में विदेश यात्रा पर हूं इसलिए ज्यादा कुछ नहीं बता सकता।

सबसे बड़ा सर्वे :

मध्यप्रदेश का सबसे भ्रष्ट मंत्री कौन?

जवाब देगी जनता 

मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 में संभावित हैं। विपक्षी दल कांग्रेस मध्यप्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहा है। खबर नेशन यह नहीं कहता कि सभी मंत्री भ्रष्ट हैं।

जनता जनार्दन भी कई मंत्रियों के भ्रष्टाचार का शिकार हुई है। आखिर क्या है वस्तु स्थिति?

कौन है मध्यप्रदेश का भ्रष्ट मंत्री

जनता फैसला करेगी।

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धन्यवाद

गौरव चतुर्वेदी

खबर नेशन

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