न्याय के मंदिर की नींव में ही कर गए घोटाला

 

 

गुजरात कनेक्शन का दबाव या अधिकारियों की मंशा खराब

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के लोक निर्माण विभाग ने न्याय मंदिर के निर्माण में ही गड़बड़ियों का रिकार्ड तोड डाला। इंदौर जिला कोर्ट के पीप्लया हाना में बन रहे नवीन परिसर की निविदा में कांट्रेक्टर की सारी गड़बड़ियों को लेकर आंख मूंद लीं गई। आखिर अधिकारियों की मंशा क्या थी या कोई राजनीतिक दबाव । गड़बड़ियों को लेकर एक अन्य निविदाकार ने जब सरकार का दरवाजा खटखटाया तो वल्लभ भवन से लेकर इंदौर की यूनिट तक शिकायती पत्र को दबा दिया गया और ताबड़तोड़ अनुबंध करवा दिया गया। सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि इस मामले में गुजरात की लॉबी का दबाव था। अब मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और अधिकारियों के हाथ पांव फूल रहे हैं। इस मामले में अधिकारी टिप्पणी करने से बच रहे हैं।

इंदौर जिला न्यायालय भवन के लिये लोक निर्माण विभाग के पीआईयू विभाग द्वारा निविदाएं आमंत्रित की गई थी ।निविदादाता के चयन के लिए तकनीकी मापदंड दर्शाये गये थे । जिनकी पूर्ति करने के बाद ही निविदा के वित्तीय प्रस्ताव खोले जाने थे । किन्तु विभाग ने मापदंडों को नजरअंदाज कर एक ऐसी कम्पनी आर्कन पॉवर इंफ्रा इंडियन प्रायवेट लिमिटेड की निविदा का वित्तीय प्रस्ताव खोल लिय जो मापदंड पर खरी नहीं उतरती थी ।

जब इसका पता एक अन्य निविदा दाता कल्याण टोल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को लगा तो उसने 22 सितंबर 2023 को अपनी आपत्ति विभाग को प्रेषित की । किन्तु विभाग ने उक्त आपत्ति को प्रभाव शून्य करते हुए एक ही दिन में मंत्रालय से लेकर कार्यपालन यंत्री तक स्वीकृति की सूचना भेज दी । 

आपत्ति का परीक्षण करे बिना ही लोक निर्माण विभाग के पी आई यू इंदौर ने 7 अक्टूबर 2023 को चयनित निविदाकार आर्कन पॉवर इंफ्रा इंडियन प्रायवेट लिमिटेड से अनुबंध करा लिया । शिकायतीपत्र को नजरंदाज करने के साथ-साथ उक्त अनुबंध शासकीय अवकाश के दिन कराया गया। मध्यप्रदेश की सरकार के कुछ प्रमुख अधिकारियों और राजनेताओं को इस बात का डर था कि कभी भी विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग सकती है। सरकार में बैठे लोग उस वक्त इस बात की भी आशंका जता रहे थे कि इस बार मध्यप्रदेश में सरकार नहीं बनेगी।

जानने योग्य बात यह है कि उक्त न्यायालय भवन प्रारंभ से ही विवादास्पद रहा एवं लंबे समय से अधूरा है । सबसे पहले इसमे स्थल को लेकर स्थानीय जनता का विरोध सामने आया क्योंकि य़ह स्थल जल क्षेत्र में था । तत्पश्चात नवीन निविदा आमंत्रित की गई किन्तु उक्त कम्पनी का ठेका भी धीमी गति के कारण निरस्त करना पड़ा।

याचिकाकर्ता ने समय समय पर सुनवाई के दौरान पूरा ब्यौरा प्रस्तुत किया और अनेक दस्तावेज भी  प्रस्तुत किये । जिसमें जिस कंपनी को योग्य ठहराया उसके आधार के लिए प्रस्तुत कूट रचित प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत किए गए। कूटरचित दस्तावेज में कार्यानुभव संबंधित दस्तावेज है। इसी के साथ ही आर्कन पॉवर इंफ्रा इंडियन प्रायवेट लिमिटेड अहमदाबाद गुजरात द्वारा चार्टर्ड एकाउंटेंट की ऑडिट रिपोर्ट भी संदिग्ध है। जिस कार्य के आधार पर  अनुभव दर्शाने का प्रयास किया गया था वह कार्य किसी अन्य कम्पनी को आवंटित है ।

जिस के विरुद्ध उक्त कम्पनी जिसके कथन के अनुसार वह अर्हता पूर्ण करते हुए न्यूनतम निविदा दाता है ।उसने उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ जबलपुर में एक याचिका दायर की जो अभी विचाराधीन है ।

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