करोड़ों के अरहर खरीदी फर्जीवाड़े मामले में आखिर क्यों नहीं हो रही दोषियों पर कार्यवाही ?

 

अमर नोरिया / खबर नेशन / Khabar Nation

वर्ष 2015-16 में समर्थन मूल्य पर की गई थी जवाहर कृषि उपज मंडी में अरहर की खरीदी  ।


नरसिंहपुर- जवाहर कृषि उपज मंडी,गाडरवारा में वर्ष 2015-16 में की गई अरहर खरीदी को लेकर हुये भ्रष्टाचार के मामलेेे में तत्कालीन जिला कलेक्टर ने 2 सदस्यीय  जांच समिति का गठन कर इस मामले इस मामले में  जांच के आदेश दिये थे तब की  इस जांच समिति में  मुकेश सिंघई,प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम,नरसिंहपुर व जे पी सैयाम अनुविभागीय दंडाधिकारी गाडरवारा को इस मामले का जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था जिनके द्वारा इस पूरे अरहर घोटाले की जांच की गई थी । 

गौरतलब है कि जवाहर कृषि उपज मंडी गाडरवारा में 11 जनवरी 2016 से 26फरवरी 2016 तक कृषकों से अरहर खरीदी की गई थी  खरीदी को लेकर इसमें भ्रष्टाचार किये जाने की शिकायत कलेक्टर नरसिंहपुर को की गई थी जिसको लेकर  जांच अधिकारियों ने इस मामले में किसी व्यक्ति को इस संबंध में साक्ष्य,सूचना या अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी  कार्यालय अनुविभागीय दंडाधिकारी गाडरवारा के पास  दिनांक 4 अप्रैल 2016 तक प्रस्तुत किये जाने की बात कही गई थी । 

जवाहर कृषि उपज मंडी गाडरवारा में अरहर खरीदी के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार   केंद्रीय सरकार की दलहन खरीदी (बफर स्टाक कार्यक्रम खरीफ -2015 ) के तहत म प्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड,अरेरा हिल्स,भोपाल द्वारा मध्यभारत कंसोर्टियम आफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड,भोपाल के द्वारा गाडरवारा कृषि उपज मंडी में दलहन उपार्जन की खरीदी के लिये  कंपनी के द्वारा आवेदन देने पर प्राथमिकता के आधार पर मंडी अनुज्ञप्ति प्रदान करने  एवं दलहन खरीदी हेतु मंडी स्तर से आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये थे। 

इस मामले का सबसे बड़ा पेंच यह है था कि  अरहर खरीदी का अनुबंध मध्यभारत कंसोर्टियम आफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड भोपाल के नाम से हुआ था जबकि अरहर की खरीदी स्थानीय फर्मों मे माध्यम से की गई थी और की गई शिकायतों पर संबंधित जांच अधिकारियों क माध्यम से जब जांच की गई तो उन्होनें अपने जांच प्रतिवेदन में कलेक्टर नरसिंहपुर को पत्र क्रं. 973/प्रवा-1/अ.वि.अ./2016 गाडरवारा दिनांक 14.7.2016 के माध्यय से बताया गया कि जवाहर कृषि उपज मंडी गाडरवारा में की गई अरहर खरीदी की जांच में पाया गया कि कंपनी द्वारा बाहर से क्रय किये गये दलहन की मंडी शुल्क का भुगतान किये जाने के दस्तावेज पेश नहीं किये गये थे व कृषकों के रकबे की जांच के दौरान रकबे से औसत से दो गुने से तीन गुने तक अरहर विक्रय दर्शित पाई गई थी । 

इस पूरे अरहर घोटाले को लेकर जो सबसे बड़ी गड़बड़ी पाई गई थी वह यह थी कि जांच के दौरान एजेंट सहकारी समितियों के रिकार्ड में संधारित कृषक का नाम कृषक क े पिता का नाम एवं निवास ग्राम का नाम मिलान करने पर जांच में कृषकों का नाम व निवास स्थान की पुष्टि नहीं हो सकी थी वहीं अरहर खरीदी के अंतगर्त एजेंसी का नियंत्रण एजेंट सहकारी संस्थाओं पर होना नहीं पाया गया तथा किसान से कम दर पर अरहर लेकर दलालों के माध्यम से कृषकों को फर्जी नाम पर क्रय करने में एजेंट सहकारी समिति की भूमिका संदेहास्पद पाई गई और जिस आधार पर इस पूरे प्रकरण की जांच करने वाले अधिकारियों ने अपने जांच प्रतिवेदन मे स्पष्ट दर्शाया कि इसमें गंभीर अनियिमिततायें की जाना जांच के दौरान परिलक्षित हुआ है अत: विस्तृत जांच की जाना उचित प्रतीत होता है, बावजूद इसके लगभग 4-5 साल बीत जाने के बाद भी किसानों के नाम पर बेची गई हजारों क्विंटल अरहर खरीदी के इस करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच को लेकर इस पूरे मामले में जो कार्यवाही की जाना थी वह न तो 15 महीने कांग्रेस की सत्ता रहते हो पाई और न ही बीजेपी जिसके शासनकाल में यह खरीदी हुई थी उसके पुनः सत्ता में आने के बाद भी अभी तक नहीं हो पायी ऐसे में एकबार फिर सवाल उठते हैं कि आखिर जब गाडरवारा में अवैध खनन सहित अन्य मामलों को लेकर जिले में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर जब भोपाल में धरना दिया जा रहा है ऐसे में वर्ष 2015 -16 में  समर्थन मूल्य पर किये गये करोड़ों के फर्जीवाड़े पर सर्वदलीय चुप्पी क्यों ? वहीं जिले में छोटे छोटे अपराधों में वर्षों से फरार आरोपियों की गिरफ्तारी का धरपकड़ अभियान चलाया जा रहा है तो फिर करोड़ों रुपये के इस फर्जीवाड़े में जिला प्रशासन द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में जो दोषी हैं उन पर अभी तक  कार्यवाही आखिर क्यों नहीं की जा रही है .....?

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