सौंसर की शिवाजी प्रतिमा के मामले में शिवराज बहा रहे हैं घड़ियाली आंसू
महापुरुषों के सम्मान को लेकर अपना रहे हैं दोहरा चरित्र
सौंसर की जनता जानना चाहती है कि हनुमान जी को धोखा देकर,
आखिर वहां से भाग क्यों गए थे शिवराज? : शोभा ओझा
खबर नेशन / Khabar Nation
भोपाल,/ मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा ने आज जारी अपने वक्तव्य में कहा कि छिंदवाड़ा जिले के सौंसर स्थित छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा के मामले में राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास कर रहे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान और उनकी पार्टी के नेताओं को इस मुद्दे पर घड़ियाली आंसू बहाने और दिखावा करने की बजाय, जनता के सामने यह स्वीकार करना चाहिए कि धार्मिक आस्था और महापुरुषों के सम्मान को लेकर उनका चरित्र दोहरा है। चाहे संघ के लोगों द्वारा राष्ट्रपिता की हत्या का मामला हो, समय-समय पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, अंबेडकर, स्वाधीनता संग्राम सेनानियों या शहीदों के अपमान का मामला हो या शिवराज सिंह द्वारा सौंसर के जामसांवली में हनुमान जी को ही धोखा देने का मामला हो, संघ और भाजपा के नेताओं का असली चाल-चरित्र और चेहरा अब देश की जनता के सामने आ चुका है।
आज जारी अपने वक्तव्य में श्रीमती ओझा ने कहा कि शिवराज सिंह आज जब विपक्ष में हैं, तब अपनी कुंद हो चुकी राजनीति को धार देने के लिए वे शिवाजी प्रतिमा को मुद्दा बनाने छिंदवाड़ा गए हैं, जबकि स्थानीय सांसद श्री नकुल नाथ ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वे अपने खर्चे से छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य आदमकद प्रतिमा सौंसर में स्थापित करवाएंगे। छिंदवाड़ा सांसद की इस प्रतिबद्धता के ठीक विपरीत, 18 दिसंबर 2015 को सौंसर के जामसांवली स्थित हनुमान मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए जब तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह ने 20 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की थी, वह आज तक पूरी नहीं हुई है, सौंसर के युवा नागरिक मंच को यह कहना पड़ रहा है कि ‘शिवराज सिंह जी, आपने तो भगवान तक को धोखा दिया है।’
अपने बयान में श्रीमती ओझा ने आगे कहा की दरअसल अपनी ही पार्टी में हाशिए पर चल रहे शिवराज सिंह, आज छिंदवाड़ा जिले की जिस धरती पर अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन तलाशने का काम कर रहे हैं, अगर वहीं के ष्छिंदवाड़ा मॉडलष् को उन्होंने सत्ता में रहते, पूरे प्रदेश में लागू किया होता तो आज जनता ने उनको सत्ता से इस तरह बेदखल न किया होता।
श्रीमती ओझा ने कहा कि वर्षों तक लोगों की धार्मिक भावनाओं और आस्था से खिलवाड़ कर रहे लोगों द्वारा जब महापुरुषों के सम्मान की दिखावटी बातें की जाती हैं, तो यह प्रश्न खड़ा होता है कि जब इनके मन में राष्ट्रनायकों के प्रति इतना ही सम्मान है तो वे समय-समय पर उनका अपमान क्यों करते रहते हैं? 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या करने वाले, उसके बाद खुशी से मिठाईयां बांटने वाले, 11 दिसंबर 1949 को संविधान की प्रतियों के साथ ही बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का पुतला जलाने वाले, स्वतंत्रता आंदोलन में माफीनामा लिखने वाले, क्रांतिकारियों के विरुद्ध मुखबिरी करने वाले, भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध करने वाले आखिर किस विचारधारा के लोग थे? शिवराज सिंह को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए।
शिवराज सिंह से उक्त तीखे प्रश्न पूछते हुए अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने कहा की केवल इतना ही नहीं, देश पर अपनी जान न्यौछावर कर देने वाले अमर शहीद हेमंत करकरे का अपमान करने, देश के पहले आतंकवादी नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता कर, उसे महिमामंडित करने और महात्मा गांधी को अपमानित करने वाली आतंक की आरोपी भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर आखिर किस पार्टी की सदस्य हैं? शिवराज सिंह को इन प्रश्नों के जवाब भी प्रदेश और देश की जनता को देना चाहिये।