शिवराज तो क्या वाकई वल्लभ भवन दलाली का अड्डा है ?

 

तब तो इन भारतीय प्रशासनिक सेवा , राज्य प्रशासनिक सेवा, मंत्रालयीन सेवा के अधिकारियों के सामुहिक इस्तीफा ले लेना चाहिए या इन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए


खबर नेशन/ Khabar Nation

इन दिनों मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनावी मंचों पर चीख चीखकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार को कोस रहे हैं । चुनावी मंचों पर जनता को यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि कमलनाथ ने मध्यप्रदेश के मंत्रालय वल्लभ भवन को दलाली का अड्डा बना दिया था । मंत्रालय वह भवन जहां भारत देश की सर्वश्रेष्ठ सेवा के रुप में जानी जाने वाली एवं प्रदेश के शीर्षस्थ आय ए एस अफसर आम आदमी के हित में योजना बनाते और लागू करते हैं । ये अधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के तौर पर जाने जाते हैं । शिवराज किसका अपमान कर रहे हैं । प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का या भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का .....। सवाल है क्या इतनी वरिष्ठ सेवा का अधिकारी कमलनाथ सरकार के समय नतमस्तक था । अगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आरोप सही हैं तो इन भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों सहित राज्य प्रशासनिक सेवा, मंत्रालयीन सेवा के सामुहिक इस्तीफे ले लेना चाहिए या फिर इन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए । क्योंकि शिवराज के यह आरोप इन अधिकारियों की अक्षमता और अकर्मण्यता को प्रर्दशित करते हैं । एक सवाल और क्या यह मध्यप्रदेश को बदनाम करने की साज़िश नहीं मानी जाना चाहिए ? क्योंकि यह आरोप उस मध्यप्रदेश की ब्यूरोक्रेसी पर भी है जो किसी समय अन्य राज्यों के मुकाबले देश की सर्वश्रेष्ठ मानी जाती थी।
क्योंकि जब मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाला अपने पैर पसारे हुए था । तब यही शिवराज अपने ऊपर लगने वाले आरोपों पर कांग्रेस के ऊपर मध्यप्रदेश को बदनाम करने की साज़िश बताते हुए नहीं थकते थे । 
15 अगस्त 2015 को मध्य प्रदेश में स्वाधीनता समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषण में कहा कि व्यापमं को लेकर प्रदेश को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जब तक इस बदनामी के दाग धो नहीं देंगे, तबतक चैन से नहीं बैठेंगे। चौहान ने मोती लाल नेहरू स्टेडियम भोपाल मे आयोजित स्वाधीनता दिवस समारोह में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों का नाम लिए बगैर कहा कि पहले भर्ती की कोई पारदर्शी प्रक्रिया नहीं थी। उनकी सरकार ने भर्ती में पारदर्शिता लाई, गड़बड़ी हुई तो उसे भी उनकी सरकार ने पकड़ा।

उन्होंने आगे कहा, "व्यापमं द्वारा आयोजित भर्ती और प्रवेश परीक्षा में एक करोड़ सात लाख परीक्षार्थी सम्मिलित हुए। उनमें तीन लाख 54 हजार का चयन हुआ। मात्र 1641 उम्मीदवारों के चयन में गड़बड़ी पाई गई। दूसरे राज्यों में जांच कराई जाए तो इससे कई गुना गड़बड़ियां पाई जाएंगी।" चौहान ने कांग्रेस का नाम लिए बगैर एक बार फिर कहा, "कुछ लोगों द्वारा व्यापमं को मुद्दा बनाया जा रहा है। ऐसे प्रचारित किया जा रहा है कि यह प्रदेश हत्यारों का प्रदेश है।

इस महान प्रदेश को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। इस साजिश से राज्य की प्रतिभाओं को दूसरे राज्यों में शक की नजर से देखा जा रहा है।" उन्होंने आगे कहा, "प्रदेश के बाहर के लोग इस तरह सोच रहे हैं जैसे यहां सब गड़बड़ है। राज्य की बदनामी हुई है।" उन्होंने प्रदेशवासियों से कहा कि वे जब तक इस बदनामी के दाग धो नहीं देंगे, तबतक चैन से नहीं बैठेंगे।
उल्लेखित शिवराज के भाषण से अगर चुनावी मंचों पर दिए जा रहे भाषण की तुलना की जाए तो मध्यप्रदेश के मंत्रालय पर लग रहे आरोप भी मध्यप्रदेश को बदनाम करने की साज़िश ही मानी जाना चाहिए ।

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