मोहन का कृष्ण मोहिनी दाँव या राजनीतिक जुमला ?

 

 

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का भगवान श्रीकृष्ण के चरण भूमि को तीर्थ स्थल के तौर पर विकसित करने का वादा राजनीतिक जुमला है या भविष्य की राजनीति को लेकर उठाया बड़ा कदम विश्लेषण का विषय बन गया है। एक नज़र 

हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने विधानसभा में ऐलान किया है कि मध्यप्रदेश में जहां जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े हैं, उन क्षेत्रों को तीर्थ स्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा। गौरतलब है कि भगवान श्रीकृष्ण ने उज्जैन में शिक्षा ग्रहण की थी। इस दौरान धार जिले के अमझेरा और इंदौर के पास जानापाव में उनके चरण पड़े थे। उन्होंने यह बात विधानसभा के पहले सत्र में महामहिम राज्यपाल मंगूभाई पटेल द्वारा पेश अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कही। डॉ मोहन यादव ने कांग्रेस को कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन में साथ आने की चुनौती देते हुए कही। 

राजनीतिक कदम - सामान्य नजरिए से इसे कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदूत्व की काट माना जा रहा है।‌अगर इस दिशा में डॉ मोहन यादव बड़ा काम कर जाते हैं तो राजनीति में वे विभिन्न राजनीतिक दलों के यादव नेताओं में अगुआ के तौर पर नजर आएंगे। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा सहित मध्यप्रदेश के भगवान श्रीकृष्ण से ताल्लुक रखने वाले इलाके में भी वे सभी वर्गों में एक बड़े नेता के तौर पर स्थापित हो सकते हैं। संभवतः उन्होंने हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कदमों का अनुसरण कर उन्हें भी लुभाने की कोशिश कर डाली है। विगत माह 23 नवंबर को मोदी ने मथुरा पहुंचकर भविष्य की राजनीति का संकेत देते हुए राजस्थान के चुनाव परिणामों को भी भाजपा के पक्ष में करने का सफल दांव खेला था।

राम से ज्यादा संख्या कृष्ण भक्तों की - भारत में भगवान राम और भगवान श्रीकृष्ण को पूजने वालों की संख्या लगभग बराबर बराबर है लेकिन वैश्विक तौर पर देखें तो भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों की संख्या अधिक है। पर्यटन की दृष्टि से भी भी विदेशी पर्यटक मध्यप्रदेश में आएंगे। जिससे एक नये टूरिस्ट सर्किट का उदय हो सकता है। अभी कृष्ण में आस्था रखने वाले भक्त मथुरा, वृंदावन और द्वारका तक आकर निकल जाते हैं। भारतीय धर्मालुओं का हाल ही में उज्जैन महाकाल कोरिडोर बनने के बाद उज्जैन का महत्व बड़ा है। जिसके चलते उज्जैन में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है।

विकास की चुनौती - उज्जैन में प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। ऐसे में विकास की नई योजनाओं की भी आवश्यकता है।

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