Supar IAS Officer को दबे होंठों से देते हैं गाली

गौरव चतुर्वेदी /खबर नेशन / Khabar Nation  

 

भोजन पर कलह

बैठक -भोजन-विश्राम प्रिय संगठन कुलीनों के कुनबे में कलह मच रही है। कलह की वजह भोजन है। नव अत्याधुनिक भवन के चक्कर में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय किराए के भवन में चल रहा है। इस कारण से कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं की पेटपूजा के लिए संचालित होने वाली भोजनशाला नये रुप में संचालित की जा रही है। विश्व की सबसे बड़ी और देश की सबसे धनी पार्टी ने मुफ्तखोरी और बचत के लिहाज से भोजन शाला को कैंटीन में तब्दील कर दिया। कैंटीन से व्यावसायिक हित साधने तीन चार पदाधिकारी शिद्दत के साथ लगे हुए थे। अब पार्टी के बड़े नेता इन पदाधिकारियों की आए दिन कैंटीन को लेकर की जा रही शिकायतों से परेशान हो उठे हैं।

 

मौन वाचाल के जलवे - भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी चुप्पी (कम बोलने) के चलते विख्यात थे तो वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते जब महफ़िल लूटने की बारी हो।‌ऐसी ही इक जोड़ी मध्यप्रदेश में भी अपने जलवे बिखेर कर सत्ता का सुख उठा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब बोलते हैं तो अपनी सारी योजनाएं सिलसिलेवार बयां कर जाते हैं। उधर दूसरी तरफ भारत के केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर हैं जो चुप रहकर सत्ता का भरपूर आनंद उठा रहे हैं।  अपनी चुप्पी और शिवराज की वक्तव्य कला के बारे तोमर तो कह भी चुके हैं कि शिवराज दिल और दिमाग से बोलते हैं। 

विधानसभा रिटर्न की तैयारी                                                                                                                                                                                                                                                    बड़े ही अरमानों के साथ विधानसभा में पदस्थ एक एडिशनल सेकेट्री ने वल्लभ भवन के वित्त विभाग से रवानगी ली थी। विधानसभा की दीवानगी ऐसी कि उन्होंने अपनी पदस्थापना वहां पर मर्ज भी करा ली। उनके सपनों पर ऐसा कुठाराघात हुआ कि अब वे छटपटा रहे हैं। सुना हैं इन दिनों वल्लभ भवन मंत्रालय में वापसी की तैयारी कर रहे हैं। वापसी आसान नहीं है सो वे प्रतिनियुक्ति का रास्ता तलाश रहे हैं।

 

पी एच क्यू में भरमार और रेंज खाली

मध्यप्रदेश सरकार जो ना करें कम है और खासकर गृह विभाग के साथ नये नये प्रयोग होते ही रहते हैं। अब देखिए मध्यप्रदेश में रेंज में तीन पुलिस उप महानिरीक्षक के पद खाली पड़े हुए हैं। सरकार तीन अधिकारी तय नहीं कर पा रही है। पुलिस महानिदेशक माह भर पहले प्रस्ताव बनाकर सरकार तक भेज चुके हैं। सरकार निर्णय ही नहीं ले पा रही है। अब एसा ही एक और मामला है। डी एस पी से एडिशनल एसपी की पदोन्नति की डीपीसी हो चुकी है। आदेश जारी नहीं हो पा रहे हैं। कोई कह रहा है कि चुनावी जमावट के लिहाज से तबादले किए जाना है सो इसी माह तबादलों पर से जब प्रतिबंध हटेगा तब पदस्थापना की जाएगी। कोई कह रहा है कि लेन-देन का टारगेट पूरा करना है। अब जो भी है हैं तो नियम प्रक्रिया के विरुद्ध।

दबे होंठों से देते हैं गाली

भारतीय संगीत में सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह की आवाज में अमीर मीनाई की यह ग़ज़ल विश्व विख्यात है....

सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता

निकलता आ रहा है आफ़ताब आहिस्ता-आहिस्ता

इसी ग़ज़ल का एक शेर इन दिनों मंत्रालय के घटनाक्रम पर सटीक बैठ रहा है।

सवाल-ए-वस्ल पर उन को अदू का ख़ौफ़ है इतना

दबे होंठों से देते हैं जवाब आहिस्ता आहिस्ता

हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस एक बार फिर एक्सटेंशन पा गए हैं। अब जो इस पद के तीन चार दावेदार थे वे इन दिनों बैंस का नाम सुनकर दबे होंठों से गाली दे रहे हैं।

चलते - चलते

शिवराज सरकार को 2018 के विधानसभा परिणामों ने 2003 के चुनाव परिणाम याद दिला दिए। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नाराज़गी के चलते कांग्रेस की दिग्विजय सरकार चली गई। कर्मचारियों की नाराज़गी ने 2018 में भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब शिवराज सरकार फूंक फूंक कर कदम रख रही हैं। मंत्रालय में इन दिनों संविदा कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देने और पंचायत सचिवों को मानदेय बढ़ाकर देने की फाईल को गति प्रदान कर रखी है। लाभान्वित होने वाले लगभग दो लाख कर्मचारी माने जा रहे हैं। इतनी ही संख्या दैनिक वेतनभोगीयों की थी।


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