सत्ता संगठन में युद्ध लेटर बम का ब्रह्मास्त्र
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सत्ता संगठन में युद्ध
लेटर बम का ब्रह्मास्त्र
भारतीय जनता पार्टी में संगठन में अहम भूमिका निभा रहे एक पदाधिकारी के खिलाफ तथाकथित लेटर ने हतप्रभ कर दिया है। लेटर बम तब फूटा है जब मध्यप्रदेश के सत्ता और संगठन के बीच बदलाव की आशंकाएं व्यक्त की जा रही है। शक्ति के आराधना पर्व के बीच जब सारे राजनेता तंत्र मंत्र से शक्ति एकत्रित करने का काम कर रहे हैं ऐसे में यह लेटर बम भी ब्रह्मास्त्र साबित हो सकता है। बम राजधानी की एक कालोनी के रहवासियों ने फोड़ा है। संगठन के पदाधिकारी पर आरोप लगाया है कि वे देर रात उनकी कालोनी में एक भाजपा नेत्री के घर आते हैं। उक्त पदाधिकारी के अलावा भी कई मंत्री आते हैं और देर रात तक सुरा पान की पार्टी चलती है। जिससे कालोनी का माहौल खराब हो रहा है। पदाधिकारी का केम्प इसे सत्ता प्रतिष्ठान की हरकत बता रहे हैं। वैसे आरोप ऊंगली गलत भी नहीं उठ रही आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है।
मालवा के कलेक्टर साहब खुद कर रहे सीमांकन
नामांतरण, सीमांकन भू सुधार जैसे काम पटवारी और आर आई (रेवेन्यू इंस्पेक्टर) के जिम्मे होते हैं। तहसीलदार भी बड़ी मुश्किल से मौका मुआयना करने जाते हैं। हाल ही में मालवा क्षेत्र में पदस्थ एक कलेक्टर साहब एक भूमि का सीमांकन कराने पहुंच गए। अब पटवारी,आर आई की क्या मजाल की जमीन एक इंच कम भी नाप दे। सबके कान खड़े हो गए कि आखिर साहब मैदान में क्यूं आए और आए भी तो अपनी निजी कार से। कार में किसी और को नहीं लाए। योजना सरकारी नहीं थी पर जमीन किसी बड़ी वाली शख्सियत की थी। जिनकी खुशी की इच्छा रखना कलेक्टर साहब का धर्म है।
भगवान महाकाल का टोटका
सरकार ने उज्जैन में केबिनेट बैठक रखी तो अध्यक्ष भगवान महाकाल को बना दिया। भूतभावन कहलाने वाले भोले भंडारी आडंबर से दूर रहते हैं पर भक्तों ने भगवान महाकाल के नाम पर अपना आडंबर जरुर फैलाया। पिछले चुनाव में भगवान महाकाल ने इस भक्त के कर्मो को देखकर दूसरे भक्त के पक्ष में फैसला दे दिया था। दूसरा भक्त भी चुनाव पूर्व भगवान महाकाल की शरण में आ गए थे। देखना है इस बार भगवान महाकाल अपना आशीर्वाद किसे देते हैं।
मंत्रालय कामकाज ठप्प
मध्यप्रदेश के मंत्रालय में कामकाज ठप्प पड़ा है। सूखे खेत के किसान की तरह चपरासी से लेकर आला अधिकारी तक नये मुख्य सचिव की तैनाती का इंतजार कर रहे हैं। ये जाएंगे या रहेंगे? कौन आएगा और क्यों आएगा ? की चर्चा छिड़ी रहती
है और इन चर्चाओं में हालिया जारी होने वाले पर्चे मधुर मिठास घोल देते हैं। इस बहाने कई अपनी भड़ास भी नहीं निकाल पा रहे। क्या पता कौन किसका हरिराम निकल जाए।
चमकेगी या निपटेगी आई पी एस की किस्मत
भारतीय पुलिस सेवा के एक वरिष्ठतम अधिकारी की किस्मत पिछली बार तो दगा दे गई थी। कहीं इस बार न दे जाए। मंत्रालय में उनसे संबंधित एक मामले की फाइल ने अचानक गति पकड़ ली है। अब यह मुखिया के ऊपर तय है कि वे क्या फैसला लेते हैं। ऐसे ही मामले में फंसे एक अन्य आई पी एस अफसर जो मुखिया की नाराज़गी का शिकार रह चुके हैं। इन दिनों राहत की सांस तो ले रहे हैं लेकिन उनका उद्धार अभी तक नहीं हो पाया है।
बड़े भोले हैं बाबू मोशाय कमलनाथ
कांग्रेस की राजनीति में उठापटक बड़े अनोखे संकेत देती है। अब मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को लें। पता ही नहीं चला और सरकार चली गई। ऐसे उदाहरण वे अक्सर देते रहते हैं। अब हालिया उदाहरण ले लें। राजस्थान और कांग्रेस में चल रहे घटनाक्रम को लेकर कह बैठे कि अशोक गहलोत ने मुझसे कहा कि राजस्थान में मैंने कुछ नहीं कराया। बता दें कमलनाथ को राजस्थान सरकार बचाने की जबाबदारी सौपी गई है। कमलनाथ की इस अदा पर प्रदेश के एक बड़े नेता कह बैठे। बड़े भोले हैं बाबू मोशाय कमलनाथ जी....
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गौरव चतुर्वेदी
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