दिल्ली मेरी जान योगी और दिल्ली के बीच तनातनी

 

विधानसभा चुनाव से पहले अलग राज्य की अटकलें
सियासी हलकों में शोर

नाज़नीन नकवी/खबर नेशन/Khabar Nation
( लेखक मध्यप्रदेश के रीजनल चैनल IND24 में एसोसिएट एडिटर हैं )
देश के दिल दिल्ली की धड़कनें इन दिनों तेज हैं। गर्मी की तपिश औऱ सूरज के ताप से ज्यादा मेल मुलाकातों से सियासी पारा हाई है। वजह है योगी से लेकर सचिन पायलट तक की दिल्ली दौड़। 
अब इस दौड़ को कितना ही सामान्य साबित करने पर जोर हो। लेकिन ये दौड़ है सियासी ओलंपिक सी। जहां सीने पर मेडल और सत्ता की कुर्सी से कम कुछ मंजूर नहीं। जो काबिज हैं वो छोड़ना नहीं चाहते और जिनको मिली नहीं.. वो हर कीमत पर पाने को आतुर हैं। 

 योगी के मन में क्या
 
उत्तरप्रदेश में बीते दिनों से जारी उठापटक के बीच बीजेपी को कांग्रेस के प्रसाद मिले। तो योगी दिल्ली पहुंचे और मांगों का पिटारा खोल दिया। 
योगी और केंद्रीय नेतृत्व के बीच तनातनी की अटकलें हैं। सियासी हलकों में इसका कारण उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन और कैबिनेट विस्तार बताया जा रहा है, लेकिन इसके पीछे एक और कहानी है। सूत्रों की माने तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा नेतृत्व उत्तर प्रदेश का विभाजन कर अलग पूर्वांचल राज्य बनाने पर विचार कर रहा है।

 पाइलट दिल्ली लैंड

विचारों की बाढ़...महत्वांक्षाओं का ये समंदर...इन दिनों तपते रेगिस्तान में दिख रहा है। 10 महीनों पहले बनी कमेटी मसला सुलझा न सकी। और अब मामला फिर दिल्ली पहुंचा है। राजस्थान में उलझी सियासत को सुलझाने का काम एक बार फिर प्रियंका गांधी करेंगी। पायलट  उड़ान भर दिल्ली पहुंच गए हैं...सियासी रणनीति पर वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर रहे हैं..
उधर गहलोत खेमा भी पाइलट ग्रुप पर नज़र बनाये हुए हैं

 संपर्क की सियासत

खबरों की उड़ान तो देश के दिल मप्र और पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ से भी आ रही हैं। 2018 में भाजपा को पूरी तरह क्लीन स्वीप करने वाली कांग्रेस यूं तो काफी एक्टिव है। लेकिन भाजपा की माने तो वो उसके सियासी कटोरे से कुछ विधायक निकाल सकती है दावा है भाजपा का कि कांग्रेस नेता उसके संपर्क में है। लेकिन कांग्रेस ने इसे कोरी अफवाह बताया। दिल्ली एक बार फिर सियासी विवाद का केंद्र बना हुआ है

 सियासी हलकों में शोर
वही इससे उलट मध्यप्रदेश कांग्रेस के खेमे में हलचल है। राजनीतिक बयानों के नश्तर एक दूसरे को न सिर्फ चुभ रहे हैं। बल्कि इससे एक बार फिर अंतर्कलह का शोर बाहर तक है। लेकिन देखना होगा कि उपचुनाव के परिणामों से पहले एमपी कांग्रेस सबको एक जाजम पर ला पाएगी। और क्या उप्र और राजस्थान के तेवर दिल्ली की गर्मी में नरम पड़ जाएंगे।

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