'पासवान कुनबे' में कलह


Khabar Nation / खबर नेशन
कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर कहावत, सियासत में गाहे बगाहे देखने को मिल जाती है। राजनीति रिश्तों पर भारी भी पड़ती है। और वक्त वक्त पर अपना रूप भी बदलती है। उप्र हो या बिहार फिर सियासत में चाचा-भतीजे की जोड़ी और उसमें नोकझोक सामने है। साढ़े चार साल पहले भतीजे अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव को बीच रास्ते में साइकिल से उतार दिया था...वहीं अब बिहार में चाचा पशुपति नाथ पारस ने भतीजे चिराग पासवान की कुर्सी छीन खुद पार्टी पर कब्जा जमा लिया है..

चाचा-भतीजे की सियासी लड़ाई 

यूपी में भतीजा अपने चाचा पर भारी पड़ा तो बिहार में चाचा ने भतीजे का तख्तापलट कर दिया है..
इन दिनों बिहार के 'पासवान कुनबे' में सियासी वर्चस्व को लेकर चाचा-भतीजे के बीच सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है..हालांकि जो कुछ हुआ उसके पीछे लंबे समय से सुलग रही बगावत की चिंगारी रही। जिसने चिराग को टक्कर दी। रामविलास पासवान की मौजूदगी के कारण ये कभी खुलकर सामने नहीं आ सकी, लेकिन उनके निधन होने के साथ ही सियासी वर्चस्व की जंग तेज हो गई और चाचा-भतीजे के बीच दूरी बढ़ती गई. बिहार चुनाव में चिराग ने अकेले लड़ने का फैसला किया तो पशुपति ने इसका विरोध किया.वहीं, अब पशुपति पारस ने पार्टी के छह में पांच सांसदों को अपने साथ मिलाकर चिराग पासवान से संसदीय दल के पद और पार्टी की कमान दोनों ही छीन ली है...

मदद को आएंगे ‘राम’ !

बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी  की अंदरुनी खटपट अब बाहर आ गई है। चिराग ने साफ कर दिया कि कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़े तो पीछे नहीं हटा जाएगा। परिवार और सियासी इस लड़ाई में भी कई ट्वीट्स है। बीजेपी से मदद मांगने के सवाल पर चिराग ने कहा कि हनुमान को अगर राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर हनुमान काहे के और राम काहे के.दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने कहा था कि पीएम मोदी राम हैं और वह उनके हनुमान हैं.


मैं शेर का बेटा हूं- चिराग

इस सियासी घमासान के बीच चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस के खिलाफ हुंकार भरी. चिराग पासवान ने कहा कि मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं, मैं शेर का बेटा हूं. ना मैं पहले डरा हूं और ना ही आगे डरूंगा. बिहार की जनता हमारे साथ है. जनता दल यूनाइटेड की तरफ से पार्टी में फूट डालने की कोशिश की जा रही है अब चिराग पासवान अपने पिता की सियासी विरासत को दोबारा के पाने की जद्दोजहद में हैं। देखना है कि चिराग क्या अखिलेश यादव की तरह अपने चाचा को सियासी मात दे पाएंगे या फिर नहीं

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