दो राजनेता पुत्रों की पॉलीटिकल ग्रुमिंग

 

विरोधी दल में होने के बावजूद दोनो राजनेता जाने जाते हैं  गुरु चेला के तौर पर

स्थापित करने दोनों जुटे हैं मैदान में 

एक खरगोश की मानिंद चपल  तो तू दूजा कछुए के जैसा गंभीर 
खबर नेशन / Khabar Nation
मध्य प्रदेश की राजनीति में दो चर्चित  शख्सियतें  इन दिनों अपने अपने पुत्रों की "पॉलीटिकल ग्रूमिंग" में लगी हुई है । दोनों राज नेता विरोधी दल में होने के बावजूद गुरु चेले के तौर पर जाने जाते हैं । अपने बेटों को कदम कदम पर राजनीतिक सलाह देने वाले दोनों राजनेता इन दिनों मध्य प्रदेश के मैदान में डटे हुए हैं । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता वापसी कराकर कार्यकर्ताओं के सिरमौर बन गए हैं । सत्ता वापसी के साथ साथ अपनी पार्टी के ही राजनीतिक विरोधी ज्योतिरादित्य सिंधिया को चित्त कर दिग्विजय ने मध्यप्रदेश विधानसभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस के लिए हथिया कर अपनी खोई जमीन को फिर से पाने की कोशिश की है । दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी  के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व संसदीय मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पछाड़ते हुए बुंदेलखंड के कद्दावर नेता गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष बनाने में अहम भूमिका निभाई है । इसी के साथ ही दिग्विजय और कैलाश इन दिनों अपने अपने पुत्र को राजनीतिक तौर पर स्थापित करने के प्रयास कर रहे हैं । दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह राघोगढ़ से दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं और कमलनाथ के मंत्रिमंडल में नगरीय प्रशासन मंत्री का दायित्व संभाल रहें हैं। कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश विजयवर्गीय इंदौर जिले की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 से विधायक निर्वाचित हुए हैं । सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि दिग्विजय और कैलाश कदम कदम पर जयवर्धन और आकाश को राजनीतिक सलाह दे रहे हैं । इसी के साथ ही दोनों अपने पुत्रों को अपने राजनीतिक मित्रों, प्रशासनिक अधिकारियों एवं समर्थकों से मुलाकात करवा रहे हैं । विधानसभा सत्र के दौरान जयवर्धन जहां चपलता और विनम्रता के साथ अपने राजनैतिक सहयोगियों से मिलते हुए दिखाई दिए । वहीं आकाश विजयवर्गीय शांत चित्त होकर विधानसभा के गलियारों में भटकते हुए नजर आए ।
मध्य प्रदेश सरकार में नवनियुक्त नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह मंत्री बनने के बाद पहली बार अपनी विधानसभा क्षेत्र पहुंचे। वहां उन्होंने कहा कि अब राघोगढ़ का हर व्यक्ति कैबिनेट मंत्री है। उन्होंने कहा कि राघोगढ़ के सभी लोग कैबिनेट मंत्री की हैसियत से सरकारी कार्यालयों में जाएं। राघोगढ़ पहुंचे जयवर्धन ने हालांकि हिदायत देते हुए यह भी कहा कि भ्रष्टाचार, नशा ,स्मैक और दलाली जैसी चीजों से सभी लोग बचें।

आकाश विजयवर्गीय विधायक बनने के बाद अपने क्षेत्र में वार्ड स्तर पर विधायक आपके द्वार अभियान की शुरुआत कर चुके हैं । राजनीति में सक्रिय होने के साथ साथ ऊं नमः शिवाय मंत्र के जाप का अभियान भी युवाओं को डिप्रेशन और नशे से बचने के लिए चला रहे हैं । अमूमन डायनिंग टेबल पर अपने पिता कैलाश विजयवर्गीय से राजनैतिक सलाह मशविरा भी लेते रहते हैं । कैलाश विजयवर्गीय के पारिवारिक मित्रों के अनुसार आकाश ने अपने पिता की सिर्फ एक ही बात को नहीं माना हैं जो आकाश के ड्रेससेंस से झलकता है । जहां कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें कुर्ते पायजामा पहनने की सलाह दी थी पर आकाश पेंट शर्ट और जींस टी-शर्ट में ही अधिकतर नजर आए हैं।

यूएस में की थी पढ़ाई
 जयवर्धन की पढ़ाई देहरादून, दिल्ली और अमेरिका में हुई। कोलंबिया यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल करने के बाद जयवर्धन राजनीति में आ गए।

आकाश विजयवर्गीय ने मध्यप्रदेश के उज्जैन से इंजीनियरिंग की है और स्पेश्लाइजेशन यू एस से किया है । कुछ समय नौकरी कर इंदौर में कारोबार भी किया है।

सबसे युवा विधायक जयवर्धन सिंह हैं जिनकी उम्र 32 साल है और राघोगढ़ से दूसरी बार विधायक हैं। विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस सरकार बनते ही यह तय हो गया था कि जयवर्धन सिंह मंत्री बन सकते हैं। क्योंकि वे उन मापदंडों पर फिट बैठते दिखाई दे रहे थे जिन पर टीम कमलनाथ मंत्रिमंडल गठन का चयन कर रही थी।  राघोगढ़ दिग्विजय सिंह की पुरखों की जमीन रही है। दिग्विजय सिंह के पिताजी बलभद्र सिंह मध्य प्रदेश की पहली विधानसभा में विधायक थे। उसके बाद 1977 में दिग्विजय सिंह भी पहली बार वहीं से विधायक बने। उसके बाद 2013 में जयवर्धन सिंह भी वहीं से पहली बार विधायक बने। जयवर्धन सिंह का मानना है  कि विकास की कोई सीमा नहीं होती। दिग्विजय सिंह अपने बयानों की वजह से सुर्ख़ियों में बने रहते हैं. उनके बयानों की तीखी आलोचना विपक्ष तो करता ही है, कभी-कभी कांग्रेस पार्टी भी असहज हो जाती है। वहीं इसके उलट जयवर्धन सिंह बेहद शांत और संतुलित नजर आते हैं। उनके बयान को लेकर कभी ज्यादा विवाद होता दिखा भी नहीं.इस बात पर जयवर्धन सिंह का कहना है कि दिग्विजय सिंह के बयानों को हमेशा तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है। उनके बयानों से किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। वे हमेशा देशहित और कांग्रेस पार्टी के हित की ही बात करते हैं । हालांकि दिग्विजय सिंह का कहना है कि जयवर्धन खुद की इच्छा से राजनीति में आए हैं।मैं उन्हें बताने वाला कौन होता हूं कि राजनीति कैसे करते हैं । जयवर्धन सिंह का कहना है कि मैं अपने पिता से ही राजनीति सीखता हूं ।

जयवर्धन अपने पिता दिग्विजय सिंह की तरह राजनैतिक करिश्में दिखाने की कोशिश करते नजर आए हैं । जो उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भोज पर बुलाकर दिखाया । ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार जयवर्धन सिंह के आमंत्रण पर गुना जिले के राघौगढ़ में उनके निवास पर दोपहर भोज के लिए पहुंचे। राज्य में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कमलनाथ की ताजपोशी के एक माह के भीतर ही राघौगढ़ किले में सिंधिया और  सिंह की लगभग एक घंटे की मुलाकात को राजनीतिक गलियारों में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि जयवर्धन सिंह का कहना रहा कि इस मुलाकात का राजनीति से कोई वास्ता नहीं है। सिंधिया और जयवर्धन समर्थकों का कहना था कि इस भोज के पीछे दिग्विजय सिंह की मूक सहमति थी।

दिग्विजय सिंह की तरह ही कैलाश विजयवर्गीय अपने बयानों और राजनैतिक शैली को लेकर चर्चा में रहते हैं और कई बार विवादों को जन्म दे देते हैं । जिस पर आकाश विजयवर्गीय का मानना है कि मीडिया इसे कई बार व्यक्तिगत आकलन क के तौर पर या तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत करती हैं।
आकाश विजयवर्गीय का इस मामले में कहना है कि जिस तरह एक पिता अपने बेटे को चौराहे पर भेजने के दौरान भयग्रस्त रहता है । वैसे ही कई बार मेरे पिता भी परेशान रहते हैं । यह एक पिता पुत्र के रिश्ते की केमिस्ट्री रहती है ।

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