इंदौरी छात्र निकला पृथ्वी को बचाने ग्यारह साल के बस सफर पर


सोलर मैन ऑफ इंडिया और सोलर गांधी के रूप में पहचाने जाते हैं  प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी

शैक्षणिक संस्थान SGSITS  इंदौर की यात्रा पर आए सोलंकी से बात की यातायात और जीवन शैली सुधारने के प्रयासों में जुटे कंम्पयूटर इंजीनियर और व्यवसायी राजकुमार जैन ने

खबर नेशन /Khabar Nation

सोलर मैन ऑफ इंडिया और सोलर गांधी के रूप में पहचाने जाने वाले प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी अपनी ऊर्जा स्वराज यात्रा के एक वर्ष पूर्ण होने पर अपने शैक्षणिक संस्थान SGSITS  इंदौर आए हुए हैं, उनका कहना है कि धरती एक ही है और हम दूसरी धरती नहीं बना सकते हमें इस धरती को बचाना है तो पर्यावरण को बचाना होगा वह पृथ्वी के लिए जी रहे हैं. चेतन ने चेतना जगाई है उन्होंने कहा ऊर्जा स्वराज यात्रा के दौरान लोगों को सोलर ऊर्जा के बारे में जागरुक किया जाएगा. डा सोलंकी अपने सौर ऊर्जा प्रोग्राम के तहत अब तक 7.5 मिलियन परिवारों तक सोलर लैंप पहुंचा चुके हैं. सोलर ऊर्जा से चलने वाली जिस बस में ये अपनी यात्रा निकाल रहे हैं वो भी खुद उन्होंने तैयार की है. चेतन मानते हैं कि पैसा माध्यम है, मंजिल नहीं। उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में शिक्षा ली है चाहते तो और मित्रों की तरह पैसा और स्टेटस बना सकते थे लेकिन उनका मानना है कि जीवन बिना लक्ष्य के नहीं जिया जा सकता। सबकुछ कमा कर भी मैंने लोगों में खालीपन देखा है लेकिन मैं खुद को अपने फैसले के साथ संपूर्ण पाता हूं। स्वतंत्र पत्रकार राजकुमार जैन से हुई उनकी चर्चा के कुछ अंश :

चेतन जी आपने अपनी  शिक्षा कहां से प्राप्त की ?
मैने अपनी प्राथमिक शिक्षा की शुरुआत अपने पैतृक गाँव झिरन्या, पोस्ट-उदरिया से की वहाँ की शासकीय पाठशाला से कक्षा तीसरी टीके पढ़ाए कर आगे चौथी कक्षा से बारहवी तक मल्हार आश्रम-इंदौर से पढ़ाई की और इंदौर के ही एस जी एस आई टी एस से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेली कम्यूनिकेशन ब्रांच में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की, 1999 में IIT मुंबई से माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स में एम.टेक किया और सन 2004 में बेल्जियम से सोलर एनर्जी पर पीएचडी पूर्ण की।

चेतन जी समाज मे जागृति लाने का विचार कैसे आया ?
मुंबई IIT में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान किसी लेक्चर में मैंने सुना था कि एक इंजीनियर को नौकरी नहीं करनी चाहिए बल्कि उसे दूसरों के लिए रोजगार का सृजन करना चाहिए बस तब से ही यह बात मन मे उतर गई कि मुझे ऐसा कुछ करना है जिससे युवा समाज सेवा के साथ साथ रोजगार भी पा सके,  उसी दौरान एक बार मेरी मुलाक़ात श्री अन्ना हजारे जी से हुई पहले मैंने सोचा था कि मैं शादी नहीं करूंगा और सारा ध्यान समाज सेवा में ही लगा दूंगा, जब अन्नाजी  को यह बात बताई तो उन्होंने कहा कि देखो चेतन जब मैं लोगों के बीच जाता हूं तो वे कहते हैं इनका तो कोई घर-बार है नहीं कोई जिम्मेदारे नाही है अतः इनको समाज की सेवा का समय मिलता है, इसलिए अगर तुम गृहस्थी बसाने के बाद समाज सेवा करोगे तो समाज में एक सार्थक संदेश जाएगा कि जब चेतन अपने सब ‍दायित्वों के साथ समाज के उत्थान के लिए वक्त दे सकता है तो हम क्यों नहीं दे सकते। बाद में मैंने शादी की और समाज सेवा भी जारी रखी।

 चेतन जी अभी आपकी क्या कार्य योजना है ?

देखिये पिछले सतरह वर्षों से मैं आईआईटी मुंबई के एनर्जी साइंस एण्ड इंजीनियरिंग विभाग में सोलर एनर्जी  विषय पढ़ा रहा था। पिछले साल विश्व यात्रा पर निकला। करीब 30 देशों की यात्रा की। इस दौरान मैंने देखा कि सभी देश आर्थिक तरक्की के पीछे भाग रहे हैं किसी को पर्यावरण बदलाव की कोई खास चिंता नहीं है। पर्यावरण संरक्षण की बातें तो होती हैं लेकिन ये प्रयास इस स्तर पर नहीं होते कि इससे पर्यावरण मे आ रहे बदलाव  ( climate change ) को रोका जा सके। इसके लिए एक जनअभियान की जरूरत देख मैंने पिछले साल जुलाई में भोपाल से ही मेरी यह यात्रा शुरू की। इसके लिए कॉलेज से 11 साल यानी 2030 तक की अनपेड लीव ( unpaid leave ) ली है। इस दौरान मैं बस में ही सफर करूंगा। कभी घर नहीं जाऊंगा। मेरा लक्ष्य है कि मेरी इस 11 वर्षीय यात्रा मे कम से कम एक करोड़ घरों में सौर ऊर्जा से अपनी बिजली स्वयम बनाने लगे।

 

चेतन जी आपको क्यों लगता है कि ऊर्जा संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है ?

देखिये क्लाएमेट क्लॉक के अनुसार हमारे पास साढ़े सात वर्षों से भी कम समय बचा है धरती का तापमान एक से डेढ़ डिग्री बढ़ जाने से बचाने के लिए और यदि यह घटना घट गई तो इसको पुनः ठीक नही किया जा सकता, हमें अभी से ही ऊर्जा के नवकरणीय स्रोतों की उपयोगिता बढ़ानी होगी। यदि हमने आज से ही बदलना शुरू नहीं किया तो इसके परिणाम भयावह होंगे। हमें ऊर्जा पैदा करने के तरीकों के बारे में दोबारा सोचने की जरूरत है। इसके लिए आर्थिक हितों की कुर्बानी भी देनी होगी, वरना इसका खामियाजा पीढ़ियों तक भुगतना होगा। हमे अपने जीने के तरीकों मे पर्यावरण अनूकूल बदलाव लाना होगा

 

चेतन जी हमारे पाठकों के लिए आपका क्या संदेश है ?

मेरा लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा शैक्षणिक संस्थाओं और घरों से बिजली कनेक्शन हमेशा के लिए ही खत्म हो जाएं। हम सौर ऊर्जा के माध्यम से अपनी विद्युत ऊर्जा की जरूरत के मामले मे आत्मनिर्भर बन जाएं। यदि शैक्षणिक संस्थाओं में बिजली कनेक्शन नहीं होंगे और वे सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करेगी तो इससे लाखों युवाओं को संदेश जाएगा कि हम सीमित साधनों में भी बेहतर जीवन जी सकते हैं। हर साल हम GDP तो बढ़ाते है लेकिन बढ़ती GDP के साथ खुशी बढ्ने की बजाय कम होती जाती है ऐसा नही होना चाहिए, हमें अपनी जरूरतों को कम कर आंतरिक प्र्सन्नता पर ध्यान देना चाहिए।

 

डॉ. सोलंकी के मुताबिक जिस तरह महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज की परिकल्पना की थी, वैसे ही लोगों को ऊर्जा स्वराज को समझना होगा। इस यात्रा में सौर बस व एक सौर घर साथ में चलेंगें। इसमें चार सदस्यीय दल रहेगा। 11 मीटर लंबी इस बस में एक मीटिंग रूम, किचन, वाशरूम व ट्रेनिंग रूम रहेगा। साथ ही 360 वर्ग फीट का सौर घर रहेगा। इसमें टीवी, कूलर, वॉशिंग मशीन सहित अन्य घरेलू उपयोग का इलेक्ट्रॉनिक सामान रहेगा, जो पूरा सौर ऊर्जा से चलेगा। इसके माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा कि सौर ऊर्जा का उपयोग हम पूरे घर के लिए भी कर सकते हैं। आगामी वर्षों मे यह यात्रा संपूर्ण भारत में जाएगी। इसके बाद इसका विस्तार भारत के बाहर करीब 50 देशों तक किया जाएगा। यात्रा का खर्च एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के सहयोग से और उन्हें मिली विभिन्न पुरस्कार राशि से होगा।

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