आर्थिक मदद से अपनी नाकामी को ढांकना चाहती है महिला अपराध रोकने में अक्षम सरकारः कृष्णा गौर

 

 

  खबर नेशन / Khabar Nation

 

                भोपाल। महिलाओं के सम्मान और उनकी जान-माल की सुरक्षा सरकार का दायित्व है, लेकिन प्रदेश की कमलनाथ सरकार अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने में बुरी तरह असफल रही है। सरकार का यह पाप ढंका-छिपा रहे, उसके नकारेपन की तरफ जनता का ध्यान न जाए, इसी के लिए इस सरकार ने एससी/एसटी वर्ग की दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं के लिये आर्थिक मदद की घोषणा की है। लेकिन इस बेशर्म सरकार को इस बात का अहसास नहीं है कि महिलाओं का सम्मान बचाना ज्यादा जरूरी होता है, ना कि उसके लुट जाने पर आर्थिक सहायता देना। महिला को सम्मान चाहिए, सामान या पैसा नहीं। यह बात भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश मंत्री व विधायक श्रीमती कृष्णा गौर ने एससी/एसटी वर्ग की दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं के लिये प्रदेश सरकार द्वारा की गई आर्थिक मदद की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।

 

चीखों, आंसुओं और आह को खरीदने की कोशिश

 

                श्रीमती कृष्णा गौर ने कहा कि अपनी कार्यप्रणाली के चलते प्रदेश की कमलनाथ सरकार इतनी असंवेदनशील हो चुकी है कि इसे दुष्कर्म पीड़ित बच्चियों, बेटियों और महिलाओं की ना चीखें सुनाई देती हैं, ना उनके आंसुओं से कोई सरोकार है और ना ही ये सरकार उनके दिलों से निकलने वाली आह को महसूस कर पाती है। लेकिन अपनी इस कमी को ढांकने के लिये, प्रदेश की जनता और विशेषकर महिलाओं के मन में सरकार के प्रति पैदा हुए आक्रोश को कम करने के लिये मुख्यमंत्री कमलनाथ अब दुष्कर्म पीड़िताओं की चीखों, आंसुओं और आह को पैसे से खरीदने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में अगर जरा भी नैतिकता बाकी है, तो मुख्यमंत्री कमलनाथ को प्रदेश की महिलाओं, बेटियों से उनकी सुरक्षा में नाकाम रहने पर माफी मांगनी चाहिए और इस्तीफा दे देना चाहिए।

 

हर महिला को अपना सम्मान प्यारा, फिर जातियों का भेद क्यों?

 

                श्रीमती कृष्णा गौर ने कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लोगों की मदद करना आवश्यक है और हर सरकार का दायित्व है। लेकिन दुष्कर्म ऐसा अपराध है, जिसका दुष्प्रभाव हर वर्ग की महिलाओं पर एक जैसा ही होता है। महिला किसी भी जाति या वर्ग की हो, उसे अपना सम्मान प्यारा होता है। दुष्कर्म जैसा अपराध हर जाति, वर्ग की महिलाओं के सम्मान पर एक जैसी ही चोट करता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिये अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने वाले कांग्रेस के नेताओं को पीड़िताओं की मनोस्थिति का अगर तनिक भी आभास होता, तो वे दुष्कर्म पीड़िताओं की मदद उनकी जाति पूछकर नहीं करते, बल्कि हर वर्ग की पीड़िताओं को समान दृष्टि से देखते। 

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