चिट्ठी लिखने से कुछ नहीं होगा, किसानों का कर्ज माफ करे सरकार : शिवराज सिंह

 

खबर नेशन /Khabar Nation

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा-सरकार ने प्रदेश के किसानों को बर्बादी के कगार पर पहुंचाया

 

                भोपाल। आज का अखबार पढ़कर हैरान हूं, जिसमें मुख्यमंत्री जी की किसानों के नाम पर चिट्ठी छपी है। मुख्यमंत्री जी किसानों को चिट्ठी नहीं चाहिए, किसानों को कर्ज माफी चाहिए। कब से किसान इंतजार कर रहा है। पता नहीं चिट्ठी में क्या-क्या लिख रहे हैं कि एक या अधिक बैंकों का कर्जा है तो उनकी जांच की जाएगी। मैं कहता हूं चिट्ठी लिखने से कुछ नहीं होगा। सीधे-सीधे किसानों का कर्जा माफ करो, तभी किसान संतुष्ट होगा। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष श्री शिवराजसिंह चौहान ने शुक्रवार को मीडिया से चर्चा करते हुए कही।

किसानों को क्यों धोखा दिया?

                श्री चौहान ने कहा कि विधानसभा चुनाव के समय किसने कहा था 10 दिन के अंदर सारा कर्जामाफ कर दिया जायेगा? किसने कहा था अगर ऐसा नहीं हुआ, तो 11 वें दिन मुख्यमंत्री बदल दूंगा। मैं मुख्यमंत्री कमलनाथ, राहुल गांधी, सोनिया गांधी से पूछना चाहता हूं कि प्रदेश के किसानों को क्यों धोखा दिया ? अब कांग्रेस की सरकार बने 8 महीने हो गए, अब तक तो 27 मुख्यमंत्री बदल जाना चाहिए थे। न  मुख्यमंत्री बदले, न कर्जमाफी का पता है और न राहुल गांधी का। अब किसके पास जाकर कहें। कमलनाथ जी आपने कहा था कि किसानों का दो लाख तक का कर्जा माफ हो जायेगा। अब कह रहे हैं कि एक या अधिक बैंकों का कर्जा है तो उनकी जांच की जाएगी। हरे, पीले, लाल, गुलाबी फार्म भरवाए जा रहे हैं। आपने वचन पत्र में तो यह नहीं कहा था।

कांग्रेस ने प्रदेश की खेती तबाह कर दी

                श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस ने मध्यप्रदेश की खेती तबाह कर दी। प्रदेश में 41 प्रतिशत किसान क्रेडिट घट गई है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने पहले चेताया था कि किसान कर्ज माफी के जंजाल में फंस जाएगा। आखिर वही हुआ, जिसका कर्जा माफ नहीं हुआ वह डिफाल्टर हो गया। ऐसे किसानों को अब बैंक से कर्जा भी नहीं मिलेगा। कांग्रेस की सरकार किसानों को धोखा दे रही है, ठग रहे हो। यह नाटक ज्यादा दिन नहीं चलेगा। ना मध्यप्रदेश का किसान इसे सहन करेगा और ना ही भारतीय जनता पार्टी सहन करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार सोयाबीन पर 500 रू. क्विंटल खा गई। मक्के का 500 रूपए खा गयी। धान का बोनस नहीं दिया। गेहूं 2100 रुपए क्विंटल खरीदना था, लेकिन 160 रुपए भी नहीं दे रहे हैं। कई किसान चने और धान के पेमेंट के लिए तरस रहे हैं। किसान तबाही और बर्बादी के कगार पर खड़ा है। कई किसानों ने शिकायत की कि सरकार ने ओले-पाले का मुआवजा नहीं दिया। सरकार ने अगर किसानों को मुआवजा नहीं दिया, तो किसानों की लड़ाई सड़कों पर लड़ी जाएगी।

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