जीवन में एक बड़ा द्वंद आनंद को लेकर....

खबर नेशन / Khabar Nation

आनंदमयी  जीवन के आधार- पंकज  चतुर्वेदी

जीवन में एक बड़ा द्वंद आनंद को लेकर है। आनंद को व्यक्ति विशेष के हिसाब से अलग-अलग परिभाषित किया जा सकता है। व्यक्तिगत आनंद की परिभाषा हमारी प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। यही कारण है कि एक विषय किसी के लिए हर्ष और आनंद का हो सकता है तो दूसरा व्यक्ति उस विषय पर सामान्य सी प्रतिक्रिया देगा।

इस सबके पीछे हमको इस प्राकृतिक नियम को समझना पड़ेगा कि मानव को आनंद ही क्यों प्रिय है। इसका कारण बहुत स्पष्ट है कि जिस विधाता ने हमको बनाया है मूलतः वह आनंद का भंडार है। इसीलिए आनंदमयी विधाता-प्रकृति के अंश होने के कारण सामान्य मानवीय प्रवृत्ति आनंद का आनंद लेने की है।

किंतु इस सब के बाद भी पृथ्वी पर आनंद कम दिखता है। किंतु ऐसा सत्य नहीं है। वास्तव में इस पृथ्वी पर आनंद, सुख, संपदा, ऐश्वर्य एवं वैभव का अपार और अद्भुत भंडार है।

किंतु हमारी दृष्टि एवं दृष्टिकोण के दोष के चलते हम कहीं और ध्यान केंद्रित करे हुए हैं। जब गलत दिशा में ध्यान केंद्रित होगा तो गलत दशा को प्राप्त होंगे। जहां दृष्टिपात होगा वही जीवन में प्राप्त होगा। ऐसा ही आनंद के विषय में भी है तो सबसे पहले तो हमको योजनाबद्ध रूप से स्वयं को मानसिक रूप से आनंद खोजने के बिंदुओं की ओर ध्यान केंद्रित करना पड़ेगा। जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि यह पुराना सिद्धांत है। किंतु शाश्वत भी है।

इसी प्रकार हमको जो है उस का आनंद लेने का प्रयास करना है। यानी वर्तमान क्षण का संपूर्ण सुख ग्रहण करने का प्रयास करना है। जो बीत गया उसमें परिवर्तन संभव नहीं है।जैसा हमारा वर्तमान मन-मानस होगा वैसा ही हमारे भविष्य का चित्र होगा। चुनौती यही आती है कि हम जो हो गया उसका विषाद करते हैं। भविष्य में क्या होगा इसकी चिंता करते हैं। किंतु वर्तमान में आनंद के अनगिनत अवसर हैं उनको नहीं गिनते। जब गणना गलत है तो शुन्य का भाव उत्पन्न होता है।

आज हमारे जीवन में आनंद की जो भी स्थिति है। वह हमारे बीते हुए कल की सोच व दृष्टि का परिणाम है। कल हमारे जीवन में आनंद का जो भी स्तर होगा। वह हमारी आज की सोच व दृष्टि का परिणाम होगा। इसके साथ- साथ आशावाद भी आनंद का एक अविभाज्य अंग है। यदि अब तक हमारे लिए आनंद के अवसर पर्याप्त नहीं बन पाए तो इसका आशय यह नहीं है कि भविष्य में भी आनंद के अवसर कठिन है। हम को हमारे अवचेतन मन की परम शक्ति को समझना होगा। जैसा हमारे अवचेतन मन में है। वैसा हमारे जीवन में है। इस सत्य को समझना होगा। यह छोटा सा सत्य जीवन में आनंद का विशाल समुद्र हमारे लिए उत्पन्न कर सकता है ।लेकिन यहां भी हम अवचेतन के स्तर पर निराशा भाव बाहुल्य रखते हैं। जिसका बाहुल्य उसी की सरकार यानी आधिपत्य।

आनंदमयी जीवन के लिए स्वस्थ शरीर का होना भी अति आवश्यक है। क्योंकि आनंद का उपयोगए उपभोग व अनुभव स्वस्थ शरीर ही कर सकता है। स्वस्थ शरीर के लिए पर्याप्त पोषण का होना अति आवश्यक है ।

पर्याप्त पोषण के अतिरिक्त पर्याप्त मात्रा में जल, निद्रा एवं आध्यात्म, योग व ध्यान भी आनंदमयी जीवन के लिए आवश्यक हैं।

जैसे हमारे पाठ्यक्रम में भिन्न-भिन्न इकाइयों के अलग-अलग अंक मिलकर उत्तीर्ण की अंकसूची बनती है। वैसे ही आनंदमयी जीवन के लिए भी एक निर्धारित पाठ्यक्रम है। उस पाठ्यक्रम में भिन्न-भिन्न विषय हैं।

कुछ कम अंकों के हैं कुछ अधिक अंकों के पर सबका अपना-अपना महत्व है । उन विषयों पर प्रयास, अभ्यास और विश्वास के साथ निपुणता प्राप्त कर आनंदमयी जीवन प्राप्त करना सरल है ।

इस सब के साथ इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि असफलता भी सफलता का ही एक पक्ष है। जब तक असफलताएं नहीं आएंगी तब तक सफलता का मूल्य हम समझ नहीं पाएंगे। इसलिए यदि जीवन में चुनौतियां,कठिनाई वह असफलताएं हैं तो इसका आशय स्पष्ट है कि आप मैदान में डटे रहे तो आनंद का लक्ष्य प्राप्त करना सरल है। इस सब में एक ही बाधा आती है वह मानवीय  संदेह व अविश्वास की हमारी की प्रवृत्ति। हम आनंदमयी जीवन तो चाहते हैं पर आनंदमयी जीवन की प्रक्रिया और पद्धति को पूर्ण नहीं करना चाहते। धैर्य का अभाव है। अधीरता और शीघ्रता हर चीज में चाहिए।

किंतु जीवन ऐसा नहीं है। वस्तुतः

जैसे हमारी हृदय तरंग होती हैं। जो ऊपर और नीचे होती हैं। यदि हृदय तरंग स्थिर हो गई तो जीवन समाप्त। ऐसे ही हमारा जीवन भी है जहाँ परिस्थितियां ऊपर या नीचे हो तो हम जीवंत हैं। यदि परिस्थितियां एक सीधी लकीर से हो गई तो जीवंतता समाप्त । हम सबको इस सिद्धांत को समझना होगा यह जीवन आनंद के लिए बना है। आनंद का अद्भुत भंडार है। पर हमको उस आनंद के कोष तक पहुंचने के लिए जिस कौशल उन्नयन की आवश्यकता हैएउस पर काम करना पड़ेगा।तब ही आनंद का भंडार हमारे पास होगा।हम स्वयं तो आनंदित रहेंगे ही और जब स्वयं आनंदित रहेंगे तब ही अन्य को आनंद बांट पाएंगे। यदि स्वयं कष्ट में है तो कष्ट ही बाटेंगे।

निर्णय हमारा है कि हम आनंद में रहकर आनंद बांटना चाहते हैं या नहीं।

 

लिखें और कमाएं
मध्यप्रदेश के पत्रकारों को खुला आमंत्रण आपके बेबाक और निष्पक्ष समाचार जितने पढ़ें जाएंगे उतना ही आपको भुगतान किया जाएगा । 1,500 से 10,000 रुपए तक हर माह कमा सकते हैं अगर आप इस आत्मनिर्भर योजना के साथ जुड़ना चाहते हैं तो संपर्क करें:
गौरव चतुर्वेदी
खबर नेशन
9009155999

 

 

 

 

 

Share:


Related Articles


Leave a Comment