हमीदिया अस्पताल की कैजुअल्टी... मरहम-पट्टी का सामान भी साथ लाएं

चार मामलों में संज्ञान

खबर नेशन / Khabar Nation  

मप्र मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने ’चार मामलों में संज्ञान’ लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।
 
जेपी.... गायनिक ओपीडी के शौचालय में जड़ा ताला 
गर्भवती और प्रसूताओं को जाना पड़ रहा 50 फीट दूर
 
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर की एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। जिसमें शहर के जेपी अस्पताल की गायनिक ओपीडी और गायनिक कैजुअल्टी में आने वाली महिला मरीज के साथ वहां का स्टाॅफ ही अन्याय कर रहा है। वहां बनाए गए शौचालय में स्टाॅफ के लोगों ने ताला जड़ दिया है। ऐसे में अब महिला मरीजों को अगर शौचालय जाना है तो उन्हें महिला वार्ड के लिए बनाए गए शौचालय का उपयोग करना होता है। जो वहां से करीब 50 फीट की दूरी पर है। यही नही, शौचालय का उपयोग वार्डों में भर्ती प्रसूताओं के अलावा उनके परिजन भी करते है। यही वजह है कि यह शौचालय न सिर्फ बदबू मारते हैं बल्कि गंदे भी रहते हैं। ऐसे में जेपी अस्पताल आने वाले महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मामले में आयोग ने अधीक्षक जेपी अस्पताल, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर सात दिन में प्रतिवेदन मांगा है तथा महिला मरीजों की सुविधा के लिए बने शौचालय के उपयोग को सुनिश्चित कराकर इस संबंध में जिम्मेदार अधिकारी को निर्देश देने एवं प्रतिवेदन पे्रषित करें।
 
हमीदिया अस्पताल की कैजुअल्टी... मरहम-पट्टी का सामान भी साथ लाएं
 
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर की एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। जिसमें प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया की कैजुअल्टी में मरीजों को एसीलाॅक इंजेक्शन, बीटाडीन साॅल्यूशन, आईवी फ्लूड (नाॅर्मल सलाइन) नहीं मिल पा रहे हैं। हद तो यह है कि यहां काॅटन रोल, थर्मामीटर, सक्शन ट्यूब जैसी बैसिक दवाएं और उपकरण भी नहीं हैं। यह हालात महीनेभर से बने हुए हैं। कैजुअल्टी स्टाफ कई बार अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी दे चुका है, लेकिन न दवाएं मिल रही है और न उपकरण। इधर इलाज की खातिर इन दवाओं और उपकरणों की मांग डाॅक्टर मरीजों के परिजनों से कर रहे हैं। ऐसे में बार-बार विवाद की स्थिति बन रही है। ऐसे में विवाद से निपटने के लिए डाॅक्टरों ने यहां नाॅट अवेलेबल दवाओं और उपकरण की सूची लगा दी है। मामले में आयोग ने संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, संचालनालय, भोपाल एवं अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल, भोपाल से जांच हुए प्रतिवेदन 15 दिवस में तलब किया है। आयोग ने यह भी पूछा है कि दवाओं की उपलब्धता बनी रहे इसके लिए किस अधिकारी का दायित्व है ? दवाओं के स्टाॅक में कम/समाप्त होने के कितने समय पूर्व मांग भेजी गयी और दवाओं की समय पर पूर्ति में विलम्ब क्यो हुआ है ? एवं मरीजों को प्रभावी स्वास्थ्य सुविधा प्राप्ति के मौलिक/मानव अधिकार के उपयोग को सुनिश्चित किये जाने हेतु की गई कार्यवाही तथा वेंटीलेटर्स के उपयोग होने में क्या व्यवस्था/उपाय किये गये हैं ?
 
साहब मैं अभी जिंदा हूं, फिर भी मेरे नाम से अंत्येष्टि राशि आहरित
 
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सिंगरौली जिले की एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। जिसमें कलेक्टर सिंगरौली की जनसुनवाई में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां जनपद पंचायत चितरंगी के ग्राम पंचायत मिसिरगवां निवासी ओम प्रकाश विश्वकर्मा पिता छोटेलाल विश्वकर्मा ने अपने जिंदा होने के साक्ष्य देते हुए न्याय की गुहार लगाई है। जनसुनवाई में शिकायतकर्ता ने बताया कि तत्कालीन रोजगार सहायक ने उसे मृत घोषित करते हुए 2 फरवरी 2015 को जुलाई 2017 में अत्ंयेष्टि अनुदान राशि फर्जी ढंग से आहरित कर ली है। इसी तरह शिकायतकर्ता की आईडी से सीता देवी के नाम से भी अंत्येष्टि की संपूर्ण राशि आहरित कर ली गई है। जबकि सीता देवी जीवित है। मामले में आयोग ने कलेक्टर सिंगरौली से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
 
आठ साल का बच्चा 6 महीने के भाई संग खेल रहा था.. दोनों कुए में गिरे, मौत
 
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने दमोह जिले के रामादेही गांव की एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। जिसमें दमोह जिले के रामादेही गांव में बीते सोमवार रात लगभग दस बजे रामायण पाठ में शामिल होने गई महिला के दो बेटे खेलते-खेलते कुएं में जा गिरे। महिला भी उन्हें बचाने के लिए कूद गई। दोनों बच्चो की मौत हो गई। महिला की हालत गंभीर है। उसे जबलपुर मेडिकल काॅलेज में भर्ती किया है। पुलिस के अनुसार आरती पति भूपंद्र ठाकुर अपने आठ साल के बेटे सार्थिक, 6 माह के बेटे सत्यम को लेकर घर के पास मंदिर में रामायण के पाठ में शामिल होने गई थी। आरती भजन में बैठी थी। सार्थिक भाई सत्यम को गोद में लेकर खिला रहा था। अचानक सार्थिक का संतुलन बिगड़ गया और सत्यम के साथ कुएं में जा गिरा, जिन्हें बचाने के लिए आरती ने लोगों को आवाज लगाई और खुद कुएं में कूद गई। तीनों को ग्रामीणों ने बाहर निकाला और आनन-फानन में स्वास्थ केंद्र ले गए। डाॅक्टर ने दोनों भाइयों को मृत घोषित कर दिया। मामले में आयोग ने कलेक्टर, दमोह से जांच कराकर मृतक बच्चों के उत्तराधिकारियों की संभावित आर्थिक मुआवजा राशि स्वीकृति एवं घटना के संबंध में प्रतिवेदन तथा घटना स्थल के कुएं पर सुरक्षात्मक उपाय कराये जाने के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।

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