कौन रहेगा किस पर भारी ? घर-घर तिरंगा , मंहगाई , या ई डी

खबर नेशन/Khabar Nation 

रंग बदलती सियासत के कितने रंग..

नाज़नीन नकवी

राजनीति के रंग इतने गहरे हैं कि वो दूसरे सभी रंगों की मौजूदगी को धुंधला करने को काफी है। भाजपा-कांग्रेस के बीच छिड़े झंडे के झगड़े का असर भी कुछ ऐसा ही है। जिसने देश के ज्वलंत मुद्दों की ओर से ध्यान मोड़ दिया है। बेरोजगारी और महंगाई पर सदन से लेकर संड़क पर हंगामा करता विपक्ष इससे ध्यान हटा भाजपा की स्ट्रेटजी का शिकार हो गया। देश के सबसे बड़े सियासी दल भाजपा की ये खूबी कही जाएगी कि बार-बार देश के बड़े मुद्दों के आगे उसका इवेंट और मैनेजमेंट विपक्षी दलों पर भारी पड़ता है। सियासी चौसर पर कांग्रेस अक्सर अपनी चाल से पहले खेल से बाहर हो जाती है। भाजपा का राष्ट्रवाद का न मुद्दा नया है औऱ न ही इस पर कांग्रेस को घेरने की रणनीति। लेकिन बीजेपी ने आजादी के अमृत महोत्सव पर हर घर तिरंगा अभियान छेड़ कर कांग्रेस को इसमें शामिल कर लिया। कांग्रेस फिलहाल झंडे पर तकरार कर रही है। नेहरू की हाथ में तिरंगा लिए फोटो लगा कांग्रेस आजादी में दिए योगदान की दुहाई दे रही है। 

झगड़ा झंडे पर क्यों ?

किसी भी देश की आन बान शान उसका अभिमान होता है उसका झंडा। देश का राष्ट्रीय झंडा जो देश की पहचान है और उसका सम्मान हर व्यक्ति करता है। तिंरगा जिसमें तीन रंगों का समावेश है। जिसका हर रंग एक संदेश देता है। लेकिन राजनीतिक दलों का अपना एक ही रंग है, सियासत का रंग। जिसका रंग, रूप समय और उसकी जरूरत के हिसाब से बदलता रहता है। मौजूदा समय में सियासत के रंग कुछ ऐसे ही बदल रहे हैं। जिसके आगे राष्ट्रवाद, देश भावना से आगे अपना-अपना झंडा नजर आ रहा है। 

नहले पर दहला, कौन किस पर भारी ? 

आगामी राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले कांग्रेस एक बार फिर एक्टिव मोड में आने को तैयार है। उदयपुर में हुए मंथन के बाद कांग्रेस ने पार्टी को एकजुट करने के साथ ही कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकालने की भी बात कही थी। 2 अक्टूबर से शुरू होने वाली इस यात्रा में कांग्रेस 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरेगी। भारत जोड़ो यात्रा लोगों को जोड़ने का देशव्यापी अभियान है..लेकिन उससे पहले ही तिरंगा अभियान के जरिए भाजपा ने लोगों से जुड़ने का माध्यम ढूंढ निकाला। वही कांग्रेस अपने सारे मुद्दों के बाद भी इसका जवाब देने में जुटी है। 

अभियान, आरोप, सियासत और राष्ट्रवाद पर ठनी  

भाजपा हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने में जुट गई है। वही कांग्रेस ने इसे प्रोपेगेंडा बताया है। कांग्रेस तिरंगा बेचने के आरोप लगाते हुए भाजपा को कठघरे में ला रही है। इतना ही नही भाजपा के साथ-साथ उसके निशाने पर आरएसएस भी है। लेकिन आरएसएस हो या भाजपा दोनों आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की कमजोर कड़ियों की तलाश कर रहे हैं। कमलनाथ हो या कांग्रेस तिरंगा अभियान पर कभी ट्वीट तो कभी महंगाई पर प्रदर्शन कर अपनी आवाज देश में बुलंद करने में जुटी है। लेकिन कांग्रेस के सिर पर ईडी की तलवार लटक रही है। पार्टी के नेतृत्व पर घपले घोटालों का आरोप है। देखना होगा कि क्या कांग्रेस की एकजुटता और जनता से मिला साथ ये आफत के बादल छांट पाएगा। कांग्रेस हो या फिर भाजपा किसका आरोप कितना और गरमाएगा और राष्ट्रवाद की अपनी लकीर कौन बड़ी कर पाएगा।

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