मध्यप्रदेश की शराब पालिसी बना रहे आबकारी विभाग के दागी अफसर

जहरीली शराब कांड में 13 मौतों का जिम्मेदार भी और मुख्यमंत्री शिवराज के गृह जिले में एक्सपायरी डेट की शराब सप्लाई करने का दोषी भी , लोकायुक्त छापे में करोड़ों की अवैध संपत्ति वाला अफसर भी

गौरव चतुर्वेदी/ खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश की नई शराब नीति बनाएं जाने की जवाबदारी आबकारी विभाग के दागी अफसरों के हवाले हैं। एक अफ़सर जहरीली शराब कांड में 13 मौतों का जिम्मेदार भी है, मुख्यमंत्री शिवराज के गृह जिले में एक्सपायरी डेट की शराब सप्लाई करने का दोषी भी , लोकायुक्त छापे में करोड़ों की अवैध संपत्ति वाला अफसर भी शामिल है।

गौरतलब है कि शराब मध्यप्रदेश का एक ऐसा मुद्दा जिसकी एक विसंगति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को रात भर सोने नहीं देती तो शराब दुकानों के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की खुली खिलाफत भी शिवराज की रातों की नींद उड़ाए रहती है। फिर भी वैध अवैध मोटी कमाई के लालच में शिवराज सरकार इस व्यवसाय को जारी रखने पूरे जतन से जुटी रहती है । 

नई शराब नीति की बात करें तो आबकारी विभाग ने इस नीति को बनाने की जवाबदारी आबकारी उपायुक्त वीरेंद्र कुमार सक्सेना , उपायुक्त आबकारी संभाग भोपाल अजय शर्मा, सहायक आबकारी आयुक्त आलोक खरे को सौंप रखी है। 

पूर्व की आबकारी नीति के चलते मध्यप्रदेश की शराब दुकानों को भ्रष्टाचार कर 2000 करोड़ रुपए कम में देकर घोटाला किए जाने का आरोप है। इस मामले में मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस पर भी आरोपों के छींटें है। सूत्रों के अनुसार बैंस ने अप्रत्यक्ष तौर पर विभाग को अपने नियंत्रण में ले रखा है। जिसके चलते घोटालों को दबा दिया जाता है। अप्रत्यक्ष तौर पर मुख्यमंत्री सचिवालय भी सीधा सीधा इस घोटाले में जुड़ा हुआ है।

अब बात इस बार की नई शराब पालिसी की । नीति बनाने वाले सहायक आबकारी आयुक्त आलोक खरे के ठिकानों पर लोकायुक्त पुलिस के छापे में 150 करोड़ की संपत्ति का ख़ुलासा हुआ था । खरे का न निलंबन हुआ ना बर्ख़ास्तगी। लोकायुक्त की 7 टीमों ने प्रदेश के अलग-अलग शहरों में खरे के 5 ठिकाने खंगाले थे। उसमें खरे की 150 करोड़ से ज़्यादा की काली कमाई का ख़ुलासा हुआ था। दर्जनों प्लॉट, आलीशान बंगले, जे़वरात के साथ 10 लाख का कुत्ता भी उनके घर मिला था। उसके बाद उम्मीद थी कि सरकार खरे के ख़िलाफ सख़्त एक्शन लेगी।.आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंसे आलोक खरे को आबकारी विभाग ने इनाम दिया है। विभाग ने सस्पेंड करने के बजाए भोपाल संभाग के उड़नदस्ते की जिम्मेदारी दे दी । छापे की कार्रवाई के बाद लोकायुक्त ने खरे पर कार्रवाई के लिए विभाग को पत्र भी लिखा था। लेकिन सब बेअसर रहा ।

आबकारी अफसरों की पदस्थापना में फिर भारी पड़ी अफसरशाही

आबकारी अफसरों को सजा की जगह बतौर इनाम रखा गया अफसरों की पंसद का ध्यान

जिन आबकारी अफसरों को मुख्यमंत्री- शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिए गए  निर्देश पर हटाना पड़ा था, उनकी पदस्थापना एक बार फिर से मलाईदार जगह पर कर दी गई है। प्रदेश में यह पहला मामला नहीं है बल्कि, बीते एक साल में इस तरह के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। अब इसको लेकर कहा जा रहा है कि प्रदेश में सजा के तौर पर इनाम देने की नई पंरपरा शुरू की जा चुकी है।

दूसरे अधिकारी हैं आबकारी उपायुक्त वीरेंद्र कुमार सक्सेना के कार्यकाल के दौरान मंदसौर और उज्जैन में जहरीली शराब से 13 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके चलते तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर एक्साइज मंदसौर और जिला आबकारी अधिकारी उज्जैन को हटा दिया गया था। 

मलाईदार पोस्टिंग हासिल करने में महारत हासिल है। वीरेंद्र सक्सेना को रायसेन जिले में असिस्टेंट आबकारी आयुक्त रहने के दौरान लोकायुक्त ने ट्रैप किया था। निर्वाचन की आचार संहिता के चलते आने वाली आपत्तियों को भी सरकार दरकिनार कर देती है और नियमों की आड़ लेकर मनचाही पोस्टिंग दे देती है। यह सर्वविदित तथ्य है कि मनचाही मलाईदार पोस्टिंग की मलाई शासन स्तर पर अधिकारियों और राजनेताओं तक जाती है।

हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने के गृह जिले विदिशा में एक्सपायरी डेट की 600 पेटी शराब जप्त की गई है। यह शराब सोम डिस्टलरीज की है और इस सप्लाई केन्द्र का नियंत्रण अजय शर्मा के हाथों में है। अजय शर्मा के खिलाफ जबलपुर के एक ठेकेदार ने पैसे के लेनदेन के मामले को लेकर ऑडियो वायरल किया था। जिसके बाद तत्कालीन प्रमुख सचिव ने इन्हें निलंबित करते हुए ग्वालियर अटैच कर दिया। 6 साल बाद अपने बहनोई संजय तिवारी जो वर्तमान में आबकारी विभाग में ही उज्जैन में पदस्थ हैं, के रहमों करम पर अजय शर्मा मुख्यधारा में आए हैं ।। संजय तिवारी और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के घनिष्ठ संबंध बताए जाते हैं

 

 

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