शाह-नड्डा ने भाजपा संविधान को लगाया ठिकाने

 

मध्यप्रदेश भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की नियुक्ति अवैध ?

खबर नेशन / Khabar Nation

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह ने संगठन के संविधान को ही ठिकाने लगा दिया । मध्यप्रदेश भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वी डी शर्मा की नियुक्ति संविधान के विपरीत जाकर की है।
ग्वालियर कृषि महाविद्यालय से एग्रीकल्चर और एग्रोनामी में एमएससी की डिग्री प्राप्त वी डी शर्मा 2019 में खजुराहो से लोकसभा सदस्य चुने गए हैं। हाल ही में वीडी शर्मा को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। 
बताया जा रहा है कि शर्मा संघ की पहली पसंद थे।
 वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से लंबे समय तक जुड़े रहे। वे भाजपा संगठन में प्रदेश महामंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। 

2018 के विधानसभा चुनाव में वीडी विधानसभा में टिकट के दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला।
शर्मा को लेकर मई 2019 के लोकसभा चुनाव में चर्चा थी कि उन्हें भोपाल या विदिशा से टिकट दिया जाएगा, लेकिन पार्टी के अंदर कथित विरोध के चलते ऐसा नहीं हो पाया और पार्टी ने उन्हें खजुराहो से टिकट दिया और वे सांसद भी चुने गए।  उन्हें ऐसे समय एबीवीपी से हटाकर भाजपा में लिया गया था जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र आंदोलन से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान असहज हो जाया करते थे ।
वीडी शर्मा संघ का चेहरा हैं और अनुभव में प्रदेश अध्यक्ष के बाकी दावेदारों से काफी कम हैं। बावजूद इसके संघ ने उनके नाम पर सहमति दी 
 आखिर क्यों वी डी शर्मा को भाजपा का अध्यक्ष बनाने के लिए भाजपा के ही शीर्ष नेतृत्व ने भाजपा संविधान का किया अपमान.... ????
संघ की पसंद और वीडी शर्मा के आक्रामक तेवरों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की नज़र में शर्मा तेजी से चढ़ गये । देश में भाजपा के सीनियर और लोकलुभावन चेहरों को दरकिनार करने की मुहिम मोदी शाह ने छेड़ रखी है । मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को मजबूरीवश झेल रहे शाह मोदी को विकल्प के तौर पर वीडी शर्मा का चेहरा भा गया ।
लिहाजा नड्डा ने भारतीय जनता पार्टी के संविधान को पढ़ने की जरूरत महसूस नहीं की और अगर यह बात सामने आई भी हो तो शाह को नाराज़ करना उचित नहीं समझा ।
भाजपा संविधान के की धारा 17 के उपनियम  4 के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष वही व्यक्ति हो सकेगा जो तीन अवधियों तक सक्रिय सदस्य रहा हो और दस वर्ष तक प्राथमिक सदस्य रहा हो । जबकि विष्णु दत्त शर्मा को 2013 के पूर्व भाजपा का संगठन मंत्री बनाए जाने की चर्चा चलती रही जिस पर सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक की ही नियुक्ति की जाती है । अगर कोई प्रचारक भाजपा की सक्रिय राजनीति में प्रवेश करना चाहता है तो उसे संघ के दिए गए दायित्वों को छोड़ना पड़ता है । अगर संविधान की इस धारा को शुचिता और अनुशासन की परिधि में लिया जाए तो विष्णु दत्त शर्मा की नियुक्ति अवैध मानी जा सकती है ।

Share:


Related Articles


Leave a Comment