कांग्रेस की विधायक निधि से भाजपा का हो रहा प्रचार


अजीत लाड़/ खण्डवा /खबर नेशन, Khabar Nation

नारायण नाम रख लेने से कोई नर से "नारायण" की कोटि में नहीं आता है। यह साबित किया है कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नारायण पटेल ने। क़ायदे-क़ानून की धज्जियां उड़ाना तो कोई नारायण पटेल से सीखें। यह वही नारायण पटेल हैं। जो बीते दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास आकूत संपत्ति होने और उनके द्वारा पूरी कांग्रेस खरीद लिए जाने की डींगें मार रहें थे। नारायण जी आप पार्टी बदल लिए तो इसका मतलब यह कतई नहीं आपके लिए क़ायदे-क़ानून बदल गए! अरे आप तो उस भाजपा का सदस्य बने हैं, जो पार्टी शुचिता और नियमों पर चलने की दुहाई देती रहती और एक आप हैं, जो शासन-प्रशासन सभी की आंखों में दिन-दहाड़े धूल झोंकने को तत्पर हैं। नारायण पटेल जी माना आप अपने नाम के साथ न्याय नहीं कर सकते, लेकिन नियमों के साथ अन्याय की उम्मीद तो नहीं कर सकते न! बोलिए फ़िर आपने कांग्रेस के विधायक निधि से भाजपा का प्रचार करने की तरकीब कहाँ से सोची? क्या आपको नियमों का ज्ञान नहीं? या शासन-प्रशासन की आँखों मे धूल झोंकने की क़सम खा रखी हुजूर? जवाब तो देना पड़ेगा, वरना जनता ख़ुद जवाब देंगी आपको। यह भी तय मानिए।


हुजूर जब आप अभी सिर्फ़ भाजपा के कमल निशान से सिर्फ़ प्रत्याशी भर है, फ़िर पेयजल के टैंकरों पर आपका नाम और आपके पार्टी का चिह्न क्यों? दूसरी बात जब चुनाव आचार संहिता क्षेत्र में लगी है, फ़िर सार्वजनिक संपत्ति से आपका प्रचार कैसे हो रहा? आप कांग्रेस पार्टी के विधायक रहते हुए लिए विधायक निधि के पैसे के टैंकर पर भाजपा का चिह्न बनवाएं क्यों? यह सवाल बाद में पहले सवाल यह कि शासन-प्रशासन की आँखों मे धूल झोंकने का काम सीखा कहाँ से आपने? क्या भाजपा का यही चेहरा और नीति है? जिसको आगे बढाने का काम आप अपने क्षेत्र में कर रहें? 


गौरतलब हो जब आप भाजपा के विधायक अभी तक बने नहीं। फिर विभिन्न ग्राम पंचायतों में पेयजल व्यवस्था हेतु पेयजल टैंकर देने की घोषणा भाजपा की होगी नहीं यह तो तय है। ऐसे में आपने कांग्रेस के विधायक रहते हुए जो निधि प्राप्त की। उसे ही पाला बदलते ही बड़ी बेशर्मी से भाजपा का बैनर चढ़ा दिया। अब शासन-प्रशासन की आँखों मे धूल झोंकने के दोषी तो आप हैं ही, साथ में आचार संहिता को तोड़ने के दोषी सो अलग। वर्षों से आप चुनाव लड़ते आ रहें फ़िर चुनाव आचार संहिता तो आपको मालूम ही होगी? यह कहकर बच नहीं सकते कि हमें नियमों का भान नहीं था और नियमों का भान था ही फ़िर विभिन्न पंचायतों में भाजपा के चिह्न लगें और आपके नाम लिखें पानी के टैंकर क्या करने का काम कर रहें यह भलीभांति आपको भी ज्ञात है। आपकी पार्टी अटल बिहारी वाजपेयी की दुहाई हर जगह देती कि राजनीतिक शुचिता के महापुरुष वही है। फ़िर आपके जैसे नेता क्या उनकी साख पर बट्टा लगाने के लिए आगे आएं हैं। यह आपको और आपकी पार्टी दोनों को समझना होगा। 

         यह पानी का वह टैंकर है जो आप जब कांग्रेस के विधायक थे। उस दौरान ग्राम पंचायत हंतिया के ग्रामीणों की पेयजल समस्या के समाधान के लिए स्वीकृत किया था।  जो आज भी ग्राम पंचायत की सरपंच के निजी स्थान पर खड़ा हुआ है। वैसे तो हंतिया में आपकी रिश्तेदारी है और उनके पति महेंद्र पटेल द्वारा ग्राम पंचायत में पिछले कुछ वर्षों में जमकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। कई गरीब आदिवासी रहवासियों को शासन की योजनाओं से महरूम कर राशि कथित रूप से खुद की कंपनी के नाम से निकाल ली गई है जिसकी जांच तत्कालीन सीईओ जनपद पंचायत पूनासा द्वारा किए जाने का प्रतिवेदन एसडीएम पूनासा को सौंपा गया था। जिसे आपने अपने दल बदलने कि शर्तों में शामिल कर जहा एसडीएम और सीईओ का ट्रांसफर करवाकर कथित रूप से अपने रिश्तेदार एवं  अपने अन्य कथित भ्रष्टाचारी समर्थकों की जांच रुकवाई है वहीं आपने सैकड़ों ग्रामीण मतदाताओं के साथ भी विश्वासघात किया है। जिनके आवास योजना की राशि आपके रिश्तेदार ने हड़प ली है। एक बात और आपने अपने समाज के लिए दस मांगलिक परिसर के लिए पांच-पांच लाख रुपए 2020 में ही दिला दिए। बाक़ी के समाज के लिए कुछ भी नहीं। ऐसे में आप किसी समाज विशेष के नेता तो नहीं थे नारायण। फ़िर जनता के साथ दुर्व्यवहार क्यों और शासन की आंखों में धूल क्यों झोंक रहें। इसका जवाब तो देना पड़ेगा। बिकाऊ आपको विपक्ष बोल रहा है। उसके दावे कितने सच यह तो पता नहीं, लेकिन नीतियों को पलीता लगाना तो कोई आपसे सीखें।
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लागत के प्रत्येक जिला विपणन अधिकारी के माध्यम से  2020-21 वित्तीय वर्ष में जारी किए गए । दामखेड़ा ,हरबंस पूरा जलकुआ ,गुलगांव ,हंतिया ,गुजरखेडी ,करौली ,देवला ,नांद खेड़ा पामाखेडी ,जूनापानी ,उंडा मालूम बिल्लौद 2019-20 मोटक्का माफी ,झंगरिया आदि लिस्ट बड़ी लम्बी है

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